Saudi Arabia Dust Storm: आंधी-तूफान प्राकृतिक मौसमी घटनाओं के संकेत हैं. सऊदी अरब में हाल ही में भीषण आंधी आई, जिससे रियाद समेत कई शहरों में तबाही मच गई है. धूल और रेत भरी आंधी से सामान्य जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया. मौसम विभाग ने भी चेतावनी जारी कर दी. आइये जानते हैं आंधी, तूफान, मूसलाधार बारिश, बाढ़, भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं को लेकर इस्लाम में क्या कहा गया है.
इस्लाम की पवित्र धार्मिक किताब कुरान में करीब 1600 आयतें हैं, जिनमें 700 आयतें और नबी की सैकड़ों हदीसों में पर्यावरण और प्रकृति का जिक्र है. कुरान में धरती शब्द का 485 बार इस्तेमाल हुआ है. इस्लामिक मान्यतानुसार अल्लाह ने सृष्टि की खूबसूरत रचना की है और इसके संरक्षण की जिम्मेदारी मनुष्यों को सौंपी है. इसलिए इसका किसी भी तरह से शोषण करना गुनाह है और पर्यावरण का संरक्षण करना इबादत.
आंधी को लेकर इस्लाम में क्या कहा गया है
“आद की क़ौम ने भी सत्य को झुठराया. फिर मेरी यातना और मेरी चेतावनी कितनी भयानक थी!
हमने उनपर एक बहुत लम्बे समय तक भयंकर आंधी चलाई, जो लोगों को इस प्रकार उखाड़ ले गई
मानो वे उखड़े हुए और खोखले खजूर के तने हों।”[54:19-21]
बता दें कि, आद कौम एक प्राचीन अरब कौम थी, जिसका जिक्र कुरान में मिलता है. अल्लाह ने आद कौम को उनकी नाफरमाणी और पापों के कारण नष्ट कर दिया था. अल्लाह ने आद कौम को ईश्वर की इबादत करने और बुरे कामों से दूर रहने के लिए पैगंबर हूद को भी भेजा था, लेकिन उन्होंने पैगंबर हूद की भी नहीं मानी और बुरे काम और गलतियां करते रहे. अल्लाह ने आद कौम को तेज हवा या आंधियों से जलजला की सजा दी, जिससे कि आद कौम पूरी तरह से नष्ट हो गया और इतिहास में केवल उसके गुनाहों की कहानी बची.
अल्लाह की चेतावनी है प्राकृतिक आपदाएं
इस्लाम में प्राकृतिक आपदाओं (Natural Disaster in Islam) को अल्लाह की तरफ से लोगों को एक चेतावनी के रूप में देखा जाता है. यह चेतावनी होती है कि, गलत कामों से दूर रहो, अपने कर्मों पर विचार करो और अल्लाह के बताए रास्ते पर चलो. प्राकृतिक आपदाओं के जरिए अल्लाह लोगों के धैर्य, संयम और दृढ़ता की परीक्षा भी लेते हैं.
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