Ramadan 2025 Day 9: माह-ए-रमजान की शुरुआत के बाद से ही रोजेदार नेकी और नियम के सात रोजा रख रहे हैं. रमजान का पहला अशरा रहमत का होता है. पहले दिन से लेकर 10 दिनों तक रोजा पहला अशरा रहता है, जोकि रहमत का अशरा होता है. इस दौरान रखे रोजे और की जाने वाली इबादत से अल्लाह रहमत की बारिश करते हैं.
रमजान की शुरुआत इस साल भारत में 2 मार्च 2025 से हुई है और अब तक 8 रोजे पूरे हो चुके हैं. आज सोमवार 10 मार्च को रोजेदारों ने रमजान का नौवां रोजा रखा है. सभी रोजे की तरह यह रोजा भी खास अहमियत रखता है.
9वौं रोजे का महत्व
नौवें रोजे को दोस्ती का दस्वावेज कहा गया है. क्योंकि यह जकात के महत्व को बताता है. जकात यानी दान दोस्ती का दस्तावेज है सात ही रोजे का जेवर भी है. जकात का यह जेवर रोजे की जैब-ओ-जीनत बढ़ाता है. बशर्ते जकात में दिखावा नहीं होना चाहिए. सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फर्माया है कि- रोजा रखते हुए शख्स को बुरी बात कहने से बचना चाहिए, यह भी एक तरह से जकात ही है.
पवित्र कुरआन-ए-पाक के पहले पारे अलिफ-लाम-मीम की सूरह अल बकरह की आयत 43 में अल्लाह का इरशाद है कि, ‘और नमाज कायम रखो और जकात दो और रुकूअ करने वालों के साथ रुकूअ घुटनों पर रखकर, सिर झुकाए हुए अल्लाह की का स्मरण करो.’
पाक महीना रमजान मुसलमानों के लिए सिर्फ रोजा या उपवास रखने का नाम नहीं है. बल्कि यह इबादत और नेकी के जरिए अल्लाह के करीब जाने का अवसर ङी है. इसलिए कोशिश करें कि इस पूरे महीने आपके द्वारा किसी को कोई नुकसान न पहुंचे. अधिक से अधिक जकात और सदका दें. इस दौरान पांच वक्त की नमाज के अलावा तरावीह और तहज्जुद की नमाज भी पढ़ें:
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