Ramadan 2025 Day 4: इस्लाम धर्म में रोजा का बेहद खास महत्व है और दुनियाभर के अधिकांश मुसलमान रमजान के महीने में रोजा रखते हैं. रोज इस्लाम के पांच मूलभूत सिद्धांतों में एक है और सभी मुसलमानों पर फर्ज किया गया है.
कहा जाता है कि इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा की शुरुआत दूसरी हिजरी में हुई. कुरान की दूसरी आयत सूरह अलबकरा में भी जिक्र मिलता है कि रोजा तुम पर इस तरह फर्ज है जैसे तुमसे पहले की उम्मत पर फर्ज था. कहा जाता है कि मोहम्मद साहब के मक्के से हजरत कर मदीना पहुंचने के एक साल बाद मुसलमानों पर रोजा रखने का हुकुम किया गया.
चौथा रोजा है हिफाजत का कवच
इस साल रमजान की शुरुआत 2 मार्च 2025 से हो चुकी है और रोजेदार नियमित रूप से रोजा रख रहे हैं. आज बुधवार 5 मार्च 2024 को रमजान का चौथा रोजा रखा गया है. सुबह सहरी के साथ रोजेदारों ने रोजा का संकल्प लिया और इफ्तार के साथ चौथे दिन का रोजा पूरा किया जाएगा. रोजा नेकी का छाता है. यह ऐसा छाता है जो रोजेदारों की हिफाजत (सुराक्षा) करता है. लेकिन यह छाता रोजेदारों की हिफाजत तभी करेगा जब रोजेदार शरई तरीके (धार्मिक नियमानुसार) से रोजा रखेंगे.
पवित्र कुरान के 19वें पारे की सूरत अलमुरसिलात की 41वीं/42वीं आयत में कहा गया है कि, ‘इन्नाल मुत्तक़ीना फ़ी ज़िलालिवँ व अयूनिवँ व फवाकिहा मिम्मा यशतहन’. इसका अर्थ है कि, बेशक संयमी और सत्कर्मी छांव में, चश्मों में होंगे और मेवों में होंगे जो उनको मरगूब (पसंद) होंगे.
यानी नेकी का यह छाता कुल मिलाकर उनकी हिफादत की अपील करता है, जो सत्कर्म और संयम के साथ रोजा रखते हैं. इसलिए रमजान के चौथे रोजे को हिफाजत का कवच कहा जाता है. चौथा रोजा अल्लाह की अदालत में रोजेदार की वकील है.
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