Premanand Ji Maharaj Anmol Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि हमें याद रखना चाहिए अच्छे और बुरे भाव की उत्पत्ति ये इन कारणों की वजह से होती हैं आपके अंदर अच्छे भाव आ रहे हैं या बुरे भाव आ रहे हैं तो उनमें बातें प्रधान होती हैं.
पहला स्थान– आप कहां बैठे हैं , कहां रह रहे हैं, किस जगह खड़े हैं, आपको स्थान देखकर ही बर्ताव में उतरना है. जैसे मदिरालय में खड़े हैं तो आसुरी शक्ति अपने आप बढ़ने लगेगी. जिस स्थान पर खड़े होने से बात करने से, देखने से हमारी वृति बिगड़ रही है तो उसे तत्काल त्याग कर देना चाहिए वहां से हट जाना चाहिए.
जैसे सत्संग यमुना जी का एकांतिक पावन तट, किसी लता के नीचे किसी संत भगवान के सानिध्य में, अब हमारा यह स्थान भजन वृति बढ़ाएगा. उस व्याक्ति का घर जिसके पास जाने से वासना बढ़ रही, उस स्थान में जहां दृश्य देखने से हमारे अंदर गंदी बातें आ रही इनका त्याग कर देना चाहिए.
दूसरा है अन्न- अन्न का बहुत बड़ा प्रभाव होता है. अगर अधर्म के द्वारा कमाया हुआ धन है तो बुद्धि अधर्म में ही लगेगी. यदि भोजन पकाते समय रसोई करते समय आप चिंतन कर रहे हैं तो कोई भी प्रसाद पाए उसके अंदर विकार जागृत हो जाएगा. अन्न का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है. अन्न का प्रभाव पड़ता है. हम जैसा अन्न पाते हैं वैसा. यदि अन्न थोड़ा भी हमारे अंदर दूषित चला गया तो जब कभी ऐसी विकार की भावना हो आपके अंदर विकार बन रहा हो तो खोजिए आपने कोई ऐसा दृश्य देखा है या आपने किसी से बात की है, आपने कोई संकल्प बनाया, अगर नहीं तो फिर भोजन दोष आ गया अब आज उपास कर लो, जब तक वृति ना नष्ट हो तक तब कुछ मत खाना. केवल जल से काम चलाना. भगवान का नाम लेना कीर्तिन करना आपको शांति का अनुभव होगा.
तीसरा है जल- पानी भी बहुत संभाल कर पीना चाहिए. आप जो पानी पी रहे हैं वो कैसे भरा गया किसने भरा नहीं पता. पहले लोगों ने सरोवर, कुंआ, हैंड पंप का जल पिया करते थे. अब लोग मोटर का जल पीते हैं और फिल्टर का पानी पीते हैं. आज के समय में पानी बिक रहा है. गंगा जल के पान से ऐसा लगता था कि सारी पौष्टिकता हमे मिल रही थी. आज पवित्र जल पीने के लिए तरसते हैं. जल का योग है साधना.जल दूषित होता चला जा रहा है. बिहारी जी के लिए आज भी यमुना का जल ही जाता है. इसलिए जल हमेशा पवित्र नदी का पीना चाहिए.
Premanand Ji Maharaj: ‘अपने भाग्य का निर्माण खुद करना सीखो’ जानें प्रेमानंद महाराज के अनमोल वचन
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