Parshuram Jayanti 2025: कलियुग में आज भी ऐसे 8 चिरंजीव देवता और महापुरुष हैं, जो जीवित हैं। इन्हीं 8 चिरंजीवियों में एक भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम भी हैं. हर साल अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम जी की जयंती मनाई जाती है. परशुराम ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी जिसके बाद उन्हें वरदान के रूप में एक फरसा मिला था.
इसके जरिए परशुराम ने कई तरह की युद्ध कला सीखी थी. कहा जाता है कि परशुराम जी का ये फरसा आज भी धरती पर मौजूद है. आइए जानते हैं कहां है परशुराम जी का फरसा और ये कितना शक्तिशाली था.
परशुराम जी का फरसा कहां है ?
झारखंड की राजधानी रांची से करीब 150 किलोमीटर दूर गुमला जिले में एक पहाड़ी है, जहां स्थित है टांगीनाथ धाम. इसी धाम के एक मंदिर में भगवान परशुराम का फरसा होने का दावा किया जाता है. कहते हैं कि यहां स्वंय परशुराम जी ने फरसा गाड़ा था.
क्या है रहस्य ?
ये फरसा खुले आसमान के नीचे है, लेकिन कहा जाता है कि इसमें कभी जंग नहीं लगा. यहां तक कि इसे उखाड़ने के लिए कई बार प्रयास किए गए लेकिन सभी असफल रहे. यह किसी रहस्य से कम नहीं है कि हजारों साल बाद भी यह सुरक्षित कैसे है.
यहां कैसे आया फरसा ?
श्रीराम ने जब शिव जी का धनुष तोड़ा था जब परशुराम जी बहुत क्रोधित हुए थे. उन्होंने क्रोध में बहुत बुरा भला कहा लेकिन जब उन्हें ये अपनी गलती का अहसास हुआ तब वह बहुत लज्जित हुए और अपने किए का प्रायश्चित करने के लिए घने जंगलों के बीच एक पहाड़ पर चले गए. वहीं पर उन्होंने अपना फरसा गाड़ दिया और तपस्या करने लगे. दावा किया जाता है कि टांगीनाथ धाम वही जगह है.
परशुराम जी को फरसा किसने दिया ?
भगवान शिव ने उन्हें कई दिव्य अस्त्र-शस्त्र भेंट किए. उसमें एक अजेय हथियार फरसा भी था जिसे परशु कहा जाता है. अधर्म को नष्ट करने के लिए परशुराम जी ने इसी फरसे से 36 बार हयवंशीय क्षत्रिय राजाओं का वध किया था.
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