Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचनी एकादशी आने वाली है, नवरात्रि से पहले जान लें इस एकादशी का म

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Papmochani Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में हर महीने दो एकादशी पड़ती है जोकि कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के 11वें दिन होती है. एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है. वहीं चैत्र महीने में पड़ने वाली पापमोचनी एकादशी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. यह बहुत ही पवित्र एकादशी मानी जाती है जोकि चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) से पहले होती है.

पापमोचनी एकादशी के नाम से ही प्रतीत होता है कि यह एकादशी पापों का नाश करती है. शास्त्रों में भी उल्लेख मिलता है कि इस एकादशी के व्रत और पूजन के प्रभाव से व्यक्ति द्वारा जाने-अनजाने में किए पाप कर्मों का भी नाश होता है और उसे बैकुंठ लोक में स्थान प्राप्त होता है. आइये जानते हैं होली के बाद और चैत्र नवरात्रि से पहले पड़ने वाली इस एकादशी की तिथि और महत्व के बारे में-

कब है पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025 Date)

चैत्र कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि आरंभमंगलवार 25 मार्च सुबह 05:05
चैत्र कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि समाप्तबुधवार सुबह 03:45
पापमोचनी एकादशीमंगलवार, 25 मार्च 2025
पूजा का समय25 मार्च, सुबह 09:22 से दोपहर 01:57
पारण का समयहरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 09:01

पापमोचनी एकादशी का महत्व (Papmochani Ekadashi Puja Importance)

पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा करने का महत्व है, जिसमें श्रीहरि अपने चार हाथ में गदा, चक्र, शंख और कमल धारण किए होते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी का पूजन भी जरूर करना चाहिए. मान्यता है कि इस एकादशी को करने से ठीक ऐसा ही पुण्यफल मिलता है, जैसा हजारों साल किए तपस्या का मिलता है. यह एकादशी पाप कर्मों का नाश करती है और स्वर्ग में स्थान दिलाती है, जब च्यवन ऋषि के उत्कृष्ट तपस्वी पुत्र मेधावी का मंजुघोषा के संसर्ग से पूरा तप और तेज समाप्त हो गया था, तब पिता ने उससे पापमोचनी एकादशी का व्रत कराया था. इसके बाद उसके सारे पाप नष्ट हो गए और फिर वह धर्म-कर्म, सदनुष्ठान और तपस्या में लीन हो गया.

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