इंसान का शरीर किसी मशीन से कम नहीं है. अगर किसी शख्स को मेडिकली डेड घोषित कर दिया जाता है तो भी उसके शरीर के सभी अंग तुरंत काम करना बंद नहीं करते हैं. मॉडर्न मेडिकल साइंस और ऑर्गन डोनेशन के प्रोसेस से यह संभव हो चुका है कि मौत के बाद भी कुछ अंगों को सुरक्षित रखकर जरूरतमंदों को नई जिंदगी दी जाती है. यह प्रोसेस मुख्य रूप से ब्रेन डेड घोषित किए गए लोगों के मामले में संभव होती है, क्योंकि उनके शरीर में ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन की आपूर्ति कृत्रिम साधनों से कायम रहती है, जिससे अंगों को कुछ समय तक जीवित रखा जा सके.
मृत्यु के बाद कौन से अंग कितने समय तक रहते हैं जीवित?
अलग-अलग अंगों की जीवन अवधि अलग-अलग होती है, जिसका सीधा संबंध उनके ट्रांसप्लांट की समय-सीमा से है. अंगों को शरीर से निकालने के बाद उन्हें विशेष घोल में और ठंडे तापमान पर रखा जाता है ताकि उनकी कार्यक्षमता बनी रहे.
यहां कुछ प्रमुख अंग और उनके ट्रांसप्लांट की अनुमानित समय-सीमा दी गई है.
- हार्ट: हृदय सबसे संवेदनशील अंगों में से एक है. इसे मृत्यु के बाद 4 से 6 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना सबसे अच्छा माना जाता है.
- फेफड़े: फेफड़ों को भी हृदय के समान ही 4 से 6 घंटे के अंदर ट्रांसप्लांट करने की आवश्यकता होती है. ये भी समय के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं.
- लिवर: लिवर को ट्रांसप्लांट के लिए 8 से 12 घंटे तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इसकी तुलनात्मक रूप से लंबी अवधि इसे लंबी दूरी तक परिवहन के लिए अधिक अनुकूल बनाती है.
- पैनक्रियाज: अग्नाशय को आमतौर पर 12 से 18 घंटे तक ट्रांसप्लांट के लिए उपयोग किया जा सकता है. कुछ स्रोतों के अनुसार यह 24 घंटे तक भी हो सकता है.
- आंतें: आंतों को 8 से 16 घंटे के भीतर ट्रांसप्लांट करना आवश्यक होता है.
- किडनी: किडनी सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले महत्वपूर्ण अंगों में से है. इसे मृत्यु के बाद 24 से 36 घंटे तक ट्रांसप्लांट के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है, कुछ मामलों में 72 घंटे तक भी. यही कारण है कि किडनी ट्रांसप्लांट की संख्या अन्य अंगों की तुलना में अधिक होती है.
- आंखें: आंखों के कॉर्निया को मृत्यु के बाद 6 से 8 घंटे के भीतर निकाला जा सकता है. हालांकि, कॉर्निया ऊतक को निकालने के बाद 14 दिनों तक संग्रहीत किया जा सकता है, जिससे ट्रांसप्लांट के लिए अधिक समय मिलता है.
- त्वचा: त्वचा ऊतक को मृत्यु के बाद 24 घंटे के भीतर निकाला जा सकता है और इसे विशेष प्रक्रिया के बाद 5 साल तक संग्रहीत किया जा सकता है.
- हड्डियां: हड्डियों को भी 24 घंटे के भीतर निकालकर 5 साल तक संग्रहीत किया जा सकता है.
- हार्ट वॉल्व: हार्ट वॉल्व को मृत्यु के बाद निकाला जा सकता है और इन्हें 10 साल तक संग्रहीत किया जा सकता है.
अंग दान की प्रक्रिया और चुनौतियां
महत्वपूर्ण अंगों का दान तभी संभव है जब व्यक्ति को अस्पताल में ‘मस्तिष्क मृत’ घोषित किया गया हो और उसे वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया हो. ऐसा इसलिए होता है, ताकि अंगों को ऑक्सीजन मिलती रहे और वे व्यवहार्य रहें. यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु घर पर या हृदय गति रुकने से होती है, तो उसके महत्वपूर्ण अंगों का दान आमतौर पर संभव नहीं होता , क्योंकि ऑक्सीजन की कमी के कारण अंग कुछ ही मिनटों में क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. अंगों के ट्रांसप्लांटेशन में समय बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसे कोल्ड इस्कीमिया टाइम कहा जाता है. इस समय के दौरान अंग को शरीर से बाहर निकालकर ठंडे वातावरण में रखा जाता है. जितना कम समय इस प्रक्रिया में लगता है. ट्रांसप्लांट की सफलता दर उतनी ही बेहतर होती है.
अंग दान एक जीवनरक्षक कार्य है. यह समझना महत्वपूर्ण है कि मृत्यु के बाद भी हमारे कुछ अंग कुछ समय तक जीवित रहते हैं और वे किसी और को जीवन का अनमोल उपहार दे सकते हैं. चिकित्सा विज्ञान की प्रगति और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणालियों के कारण अब यह संभव हो पाया है कि इन अंगों को सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया जा सके, जिससे हजारों लोगों को नई उम्मीद मिल रही है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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