Islamic calendar: सभी धर्मों में शुभ-मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त जरूरी होता है, क्योंकि यह स्वाभाविक सी बात है कि यदि कोई जरूरी या शुभ कार्य अशुभ समय में किया जाए तो वह पूर्ण नहीं होता या उसमें व्यवधान आते हैं.
हिंदू धर्म में शुभ-मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश यहां तक कि खरीदारी आदि के लिए भी शुभ मुहूर्त देखा जाता है. हिंदू धर्म में शुभ मूहूर्त जानने के लिए पंचांग (Panchang) का उपयोग किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुस्लिम धर्म के लोग किसी काम के लिए शुभ मुहूर्त कैसे चुनते हैं और इसके लिए कौन से कैलेंडर का उपयोग करते हैं.
मुसलमान हिजरी कैलेंडर या इस्लामी कैलेंडर का उपयोग करते हैं, जोकि चंद्र कैलेंडर है. हिजरी कैलेंडर (Hijri Calendar) के आधार पर ही इस्लामी धार्मिक तिथियां, धार्मिक यात्रा (हज), त्योहार (जैसे रमज़ान, ईद, हज आदि), और कई अहम धार्मिक कार्यों के लिए तिथि और मुहूर्त तय की जाती है.
हिजरी कैलेंडर से जुड़ी अहम बातें
- हिजरी कैलेंडर चंद्रमा के चरणों पर आधारित है. इसलिए इसमें साल के 365 नहीं बल्कि 354 या 355 दिन होते हैं.
- इस्लामिक मान्यतानुसार हिजरी कैलेंडर की शुरुआत पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) के मक्का से मदीना की हिजरत (प्रवास) से हुई, जोकि 622 ईस्वी बताई जाती है.
- हिंदू पंचांग या ग्रेगोरियन कैलेंडर की तरह हिजरी कैलेंडर में भी 12 माह होते हैं, जोकि इस प्रकार हैं- मुहर्रम, सफर, रबीउल अव्वल, रबीउल आखिर, जमादिउल अव्वल, जमादिउल आखिर, रज्जब, शाबान, रमजान, शव्वाल, ज़िलकदा और ज़िलहिज्जा (Hijri Months).
- निकाह, नए काम की शुरुआत आदि के लिए भी मुसलमान हिजरी कैलेंडर से शुभ तिथि या मुहूर्त जानते हैं. इसके लिए आमतौर लोग स्थानीय मौलवी की सलाह भी ली जाती है.
इस्लामिक नजरिए से शुभ तिथि और महीने |
दिन या तारीख | जुम्मा (शुक्रवार) |
पाक महीने | रमजान, शव्वाल, मुहर्रम और ज़िलहिज्जा |
फजीलत वाले दिन | ईद, शबे-बरात, लैलत-उल-क़द्र |
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