Aurangzeb:औरंगजेब का सुधारस और रसना विलास से क्या था संबंध, क्या आप जानते हैं इससे जुड़ा किस्सा

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Aurangzeb: आम (Mango) को फलों का राजा कहा जाता है. खासकर ग्रीष्मकाल की शुरुआत होते ही उपमहाद्वीप में आमों के मौसम की शुरुआत भी हो जाती है. उर्दू शायरियों में भी आम की बड़ी तारीफ की गई है. साग़र ख़य्यामी की आम पर ये शायरी काफी मशहूर है, जिसमें वे लिखते हैं- आम तेरी ये ख़ुश-नसीबी है,वर्ना लंगड़ों पे कौन मरता है. वहीं जलील मानिकपूरी लिखते हैं- नायाब आम लुत्फ़ हुए रंग रंग के, कोई है ज़र्द कोई हरा कुछ हैं लाल लाल.

शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसने अपने जीवन में आम का स्वाद न चखा हो और आम चखने के बाद इसके स्वाद का कायल न हुआ है. आम मुगल बादशाहों का भी पसंदीदा फल रहा है. हुमायूं और शेरशाह सूरी से लेकर मुगल बादशाह शाहजहां को भी आम बेहद पसंद थे. शाहजहां जब दक्कन के गर्वनर थे तब उन्होंने वहां आम के पड़े लगवाएं थे. बाद में दक्कन की जिम्मेदारी उनके बेटे औरंगजेब पर आ गई.

औरंगजेब ने आमों को दिए संस्कृत नाम

औरंगजेब ने सिपाहियों को सख्त निर्देश दिए थे कि दक्कन में लगे आम के पेड़ों की विशेष निगरानी और देखभाल की जाए और वे जहां भी रहें उन तक आम भिजवाया जाए. औरंगजेब को आम इतने पसंद थे कि उन्हें तोहफे में भी आम भिजवाए जाते थे. एक बार औरंगजेब के बेटे ने उन्हें आम की दो नई किस्में भिजवाई और इनके नाम रखने का अनुरोध किया. तब औरगंजेब ने इन आमों का संस्कृत भाषा में नाम रखा.

सुधारस और रसना विलास का किस्सा

औरंगजेब ने बेटे द्वारा भिजवाए दो किस्मों की आमों में एक का नाम सुधा रस और दूसरे का रसना विलास रखा. सुधा का अर्थ अमृत और रस का अर्थ रस (जूस) से होता है. सुधारस आम का अर्थ अमृत के समान रसीला है. वहीं रसना का अर्थ होता है जो जीभ को स्वाद का अहसास कराती हो. जबकि विलास का अर्थ आनंद से है. संस्कृत में आमों का नाम रखने पर एक बात यह भी पता चलती है कि, औरंगजेब संस्कृत भाषा से परिचित थे.

बता दें कि आज भारत में डेढ़ हजार से भी ज्यादा आम की किस्में हैं. लेकिन भारत में आम की खेती और किस्मों का विकास सदियों पुराना है,जोकि कई संस्कृतियों, राजवंश और यहां तक कि मुगल शासकों से प्रभावित रहा है. शाहजहां के समय भी बिहार और बंगाल में आम के कई बड़े-बड़े बागान लगाए गए और कई प्रजातियां भी विकसित की गई थीं. वहीं औरंगजेब के शासनकाल में कृषि और बागवानी को बढ़ावा दिया गया था, जिसमें आमों का उत्पादन भी एक था. ‘अदब आलमगिरी’ नाम के ऐतिहासिक ग्रंथ में औरंगजेब और आम के किस्से दर्ज हैं.

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