भारत के 9 शक्तिपीठ तस्वीरों में जानिए चमत्कारी शक्ति के केंद्र

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कामाख्या शक्तिपीठ मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठ में से एक है. कामाख्या मंदिर असम के गुवाहटी के पास स्थित है. मान्यता है कि यहां माता सती के योनि भाग गिरा था. इस मंदिर को तांत्रिक साधना के लिए प्रसिद्ध माना गया है.

विंध्याचल शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले के विंध्याचल में गंगा नदी के तट पर स्थित है . यह भारत के शक्ति पीठ मंदिरों में से एक है. मां विंध्यवासिनी के साथ मां काली और अष्टभुजा का मंदिर भी है.

विंध्याचल शक्तिपीठ उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले के विंध्याचल में गंगा नदी के तट पर स्थित है . यह भारत के शक्ति पीठ मंदिरों में से एक है. मां विंध्यवासिनी के साथ मां काली और अष्टभुजा का मंदिर भी है.

हरसिद्धि शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है. माता सती की कोहनी उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर की जगह पर गिरी थी. यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है.

हरसिद्धि शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है. माता सती की कोहनी उज्जैन के हरसिद्धि मंदिर की जगह पर गिरी थी. यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है.

ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है, जो कुल्लू जिले के निकट है. यहाँ नौ ज्वालाएं लगातार जलती रहती हैं, जो देवी के रूप में पूजित हैं. मान जाता है यहां सती माता की जिह्वा गिरी थी. पांडवों ने इस मंदिर को खोजा था और यहां आकर माता की पूजा की थी.

ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है, जो कुल्लू जिले के निकट है. यहाँ नौ ज्वालाएं लगातार जलती रहती हैं, जो देवी के रूप में पूजित हैं. मान जाता है यहां सती माता की जिह्वा गिरी थी. पांडवों ने इस मंदिर को खोजा था और यहां आकर माता की पूजा की थी.

पूर्णागिरि मंदिर, उत्तराखंड के चंपावत ज़िले के टनकपुर में स्थित है. यह मंदिर समुद्र तल से करीब 3,000 फ़ुट की ऊंचाई पर है. यह मंदिर 51 सिद्ध पीठों में से एक है. मान्यता है इस जगह सती माता की नाभी गिरी थी. हर साल इस शक्तिपीठ के दर्शन के लिए हजारों भक्त आते हैं.

पूर्णागिरि मंदिर, उत्तराखंड के चंपावत ज़िले के टनकपुर में स्थित है. यह मंदिर समुद्र तल से करीब 3,000 फ़ुट की ऊंचाई पर है. यह मंदिर 51 सिद्ध पीठों में से एक है. मान्यता है इस जगह सती माता की नाभी गिरी थी. हर साल इस शक्तिपीठ के दर्शन के लिए हजारों भक्त आते हैं.

चिंतापूर्णी शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित है और सती देवी के पैर इस स्थान पर गिरे थे. मंदिर में चिंतपूर्णी शक्ति पीठ जहां लोग दर्शन के लिए आते हैं.चिंतपूर्णी में निवास करने वाली देवी को छिन्नमस्तिका के नाम से भी जाना जाता है.

चिंतापूर्णी शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित है और सती देवी के पैर इस स्थान पर गिरे थे. मंदिर में चिंतपूर्णी शक्ति पीठ जहां लोग दर्शन के लिए आते हैं.चिंतपूर्णी में निवास करने वाली देवी को छिन्नमस्तिका के नाम से भी जाना जाता है.

कोलकाता में स्थित कालीघाट मंदिर बहुत प्रसिद्ध है मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती  के पांव की चार ऊंगलियां गिरी थी. यह मां सती के 51 शक्तिपीठों में प्रमुख शक्तिपीठ है. हर वर्ष लाखों की संख्या में इस प्रसिद्धि मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं.

कोलकाता में स्थित कालीघाट मंदिर बहुत प्रसिद्ध है मान्यता है कि इस स्थान पर माता सती के पांव की चार ऊंगलियां गिरी थी. यह मां सती के 51 शक्तिपीठों में प्रमुख शक्तिपीठ है. हर वर्ष लाखों की संख्या में इस प्रसिद्धि मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं.

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में स्थित नैना देवी मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है.  मान्यता है सती माता के यहां नेत्र गिरे थे, जिस कारण इसका नाम नैना देवी मंदिर पड़ा.इस पवित्र तीर्थ स्थान पर वर्ष भर तीर्थयात्रियों और भक्तों का मेला लगा रहता है.

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में स्थित नैना देवी मंदिर एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ है. मान्यता है सती माता के यहां नेत्र गिरे थे, जिस कारण इसका नाम नैना देवी मंदिर पड़ा.इस पवित्र तीर्थ स्थान पर वर्ष भर तीर्थयात्रियों और भक्तों का मेला लगा रहता है.

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी का मंदिर भी प्रमुख शक्तिपीठों में एक है. कहा जाता है कि यहां मां सती का त्रिनेत्र गिरा था. यह मंदिर इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां चारों दिशाओं से प्रवेश के मार्ग है और यहां साल में एक बार सूर्य की किरणें सीधे देवी की प्रतिमा पर पड़ती है.

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी का मंदिर भी प्रमुख शक्तिपीठों में एक है. कहा जाता है कि यहां मां सती का त्रिनेत्र गिरा था. यह मंदिर इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि यहां चारों दिशाओं से प्रवेश के मार्ग है और यहां साल में एक बार सूर्य की किरणें सीधे देवी की प्रतिमा पर पड़ती है.

पश्चिम बंगाल के बीरभूल जिले में यह शक्तिपीठ मां तारा देवी को समर्पित है. कहा जाता है कि यहां मां सती के नयन (तारा) गिरे थे. इस कारण इसका नाम तारापीठ पड़ा. इस शक्तिपीठ को तांत्रिक क्रिया और तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए प्रसिद्ध माना जाता है.

पश्चिम बंगाल के बीरभूल जिले में यह शक्तिपीठ मां तारा देवी को समर्पित है. कहा जाता है कि यहां मां सती के नयन (तारा) गिरे थे. इस कारण इसका नाम तारापीठ पड़ा. इस शक्तिपीठ को तांत्रिक क्रिया और तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए प्रसिद्ध माना जाता है.

Published at : 11 Apr 2025 07:37 AM (IST)

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