आज के समय में मां बनना जितना खूबसूरत सपना होता है उतना ही चुनौती पूर्ण भी यह होता जा रहा है. बदलती लाइफस्टाइल और खराब खान-पान साथ ही तनाव भरी दिनचर्या ने महिलाओं के लिए नेचुरल प्रेग्नेंसी को एक मुश्किल काम बना दिया है. एक्सपर्ट्स के अनुसार भारत में हर 6 में से 1 कपल ऐसा होता है जो शादी के वर्षों बाद भी बिना मेडिकल मदद के पेरेंट्स नहीं बन पाते हैं. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताएंगे कि महिलाओं में बच्चे पैदा करने की दिक्कत क्यों होती है साथ ही किस तरह की गलतियां उनके ऊपर और भारी पड़ सकती है.
महिलाओं में इन वजह से रुकती है प्रेगनेंसी
महिलाओं में गर्भधारण न कर पाने के पीछे जैविक और लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याएं भी जिम्मेदार होती है. जिसके कारण कई बार महिला नेचुरल तरीके से प्रेग्नेंट नहीं हो पाती है. इसमें सबसे आम वजह होती है पीरियड्स का रेगुलर न होना या फिर ओवुलेशन में रूकावट आना. इसके अलावा पीसीओडी, हार्मोनल इंबैलेंस और थायराइड की समस्या भी महिला की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है. वहीं अगर फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो जाए, यूट्रस की बनावट में गड़बड़ी हो या पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज जैसी कोई परेशानी हो तो भी महिलाओं का कंसीव करना मुश्किल हो जाता है. कई बार उम्र बढ़ना, लगातार तनाव, गलत खानपान और लाइफस्टाइल भी इस समस्या को बढ़ा देती है. हालांकि समय रहते इन कारणों की पहचान हो जाए और सही जांच व इलाज शुरू किया जाए तो नेचुरल प्रेग्नेंसी के संभावना फिर से बन सकती है.
सिर्फ महिलाएं ही नहीं पुरुष भी हो सकते हैं कारण
अभी भी समाज में यह धारणा चलती आ रही है कि अगर महिला गर्भवती नहीं हो पा रही है तो गलती सिर्फ उसी की होती है. जबकि सच्चाई यह है कि भारत में करीब 40 प्रतिशत मामलों में पुरुषों में पाई गई इनफर्टिलिटी की वजह से कपल्स पेरेंट्स नहीं बन पाते. डॉक्टरों के अनुसार कम स्पर्म काउंट, वीक स्पर्म क्वालिटी या उनकी सही दिशा में नहीं बढ़ाना पुरुषों में इनफर्टिलिटी के प्रमुख कारण होते हैं.
बिना जांच के न करें अंदाजा यह टेस्ट भी है जरूरी
अगर कोई महिला 1 साल तक कोशिश करने के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पा रही है. वही उस महिला की उम्र 35 साल तक है तो उसे डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. सबसे पहले ऐसी स्थिति में महिला के पार्टनर का स्पर्म टेस्ट कराया जाता है. क्योंकि पुरुषों की फर्टिलिटी की स्थिति को नजरअंदाज करना ठीक नहीं है. इसके बाद महिला के हार्मोनल टेस्ट और अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं जिससे सही कारण का पता लगाया जा सकें कि वह कंसीव क्यों नहीं कर पा रही.
यह आदतें बन सकती है कंसीव करने में रुकावट
कई बार महिलाएं बिना किसी मेडिकल समस्या के भी कंसीव नहीं कर पाती है. जिसकी वजह उनकी रोजमर्रा की आदतें हो सकती है. जैसे देर रात तक जागना, लगातार तनाव में रहना, फास्ट फूड खाना और प्रोसेस्ड चीजों का ज्यादा सेवन करना, नियमित व्यायाम की कमी और बहुत ज्यादा वजन या बहुत कम वजन होना भी शरीर के हार्मोन बैलेंस को बिगाड़ सकता है. जिससे ओवुलेशन पर असर पड़ता है और गर्भधारण में मुश्किल आती है.
इसके अलावा धूम्रपान और शराब का सेवन करने वाली महिलाओं की फर्टिलिटी पर भी असर पड़ सकता है. कुछ महिलाएं बिना डॉक्टर की सलाह के लंबे समय तक पेनकिलर या हार्मोनल दवाएं लेती है जो आगे चलकर कंसीव करने में रुकावट बन सकती है. इसलिए अगर आप कंसीव करने की योजना बना रहे हैं तो सबसे पहले अपनी लाइफस्टाइल को संतुलित करना जरूरी होता है.
सही समय पर प्रेग्नेंसी चाहती है तो इन बातों का रखें ध्यान
अगर कोई महिला जल्दी या सही समय पर कंसीव करना चाहती है तो उसे अपने ओवुलेशन साइकिल को समझना होगा. साथ ही उसी के अनुसार शारीरिक संबंध बनाने होंगे. फोलिक एसिड, विटामिन सी और अन्य प्रीनेटल विटामिन लेने चाहिए. हेल्दी डाइट और रेगुलर एक्सरसाइज भी महिलाओं की फर्टिलिटी को बेहतर बनाती है. जिससे महिलाएं जल्दी कंसीव कर पाती है.
जब नेचुरल तरीके से नहीं हो पाए तो आईवीएफ हो सकता है ऑप्शन
कुछ मामलों में महिला के एग या फैलोपियन ट्यूब में भी गंभीर दिक्कत होती है तो डॉक्टर आईवीएफ की सलाह देते हैं. इसमें महिला के एग और पुरुष के स्पर्म को शरीर के बाहर मिलाकर भ्रूण तैयार किया जाता है. फिर उसे महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है. हालांकि यह प्रक्रिया नेचुरल गर्भधारण से अलग होती है. वहीं गर्भधारण में दिक्कत आना आज एक आम चुनौती बन गया है. लेकिन समय रहते सही जानकारी, जांच और इलाज से इस पर काबू पाया जा सकता है. इसके लिए बस जरूरी होता है कि महिला और पुरुष दोनों इस विषय में समान जिम्मेदारी समझें और समय पर डॉक्टर की सलाह लें.
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