Mahabharat: महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें अनेक रहस्य समाहित हैं. महाभारत की जब भी बात आती है तो इसके पात्र से लेकर युद्ध तक सभी घटनाओं का जिक्र होता है. आज हम आपको बता रहे हैं महाभारत से जुड़ी ऐसी बातों जिनपर शायद आपने कभी गौर नहीं किया होगा.
18 की संख्या
कहते हैं कि महाभारत युद्ध में 18 संख्या का बहुत महत्व है.महाभारत की पुस्तक में 18 अध्याय हैं. कृष्ण ने कुल 18 दिन तक अर्जुन को ज्ञान दिया. 18 दिन तक युद्ध चला छा. गीता में भी 18 अध्याय हैं. कौरवों और पांडवों की सेना भी कुल 18 अक्षोहिनी सेना थी जिनमें कौरवों की 11 और पांडवों की 7 अक्षोहिनी सेना थी. कहा जाता है कि इस युद्ध में सिर्फ 18 योद्धा ही जीवित बचे थे.
अंक ज्योतिष में 18 यानी 1+8=9 की संख्या को शुभ माना गया है. कहते हैं 18 का अंक बताता है कि आप सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. आप जो अच्छे काम कर रहे हैं, इससे आपको लाभ होगा क्योंकि यह भाग्य को आकर्षित करता है.
दुर्योधन का शरीर लोहे का लेकिन जांघ कैसे रह गई प्राकृतिक ?
गांधारी हमेशा से आंखों पर पट्टी बांधे रखती थीं. उन्हें ये वरदान मिला था कि जब भी वह आंखें खोलकर जिस इंसान को देखेगी, उस इंसान का पूरा शरीर लोहे का हो जाएगा. अपने पुत्र(दुर्योधन) को संकट में आता देख गांधारी ने दुर्योधन से कहा वह स्नान करके नग्न अवस्था में उनके सामने आए. श्रीकृष्ण ने चाल चली और दुर्योधन से कहा माता के सामने इस अवस्थ में मत जाओ कम से कम जांघों पर तो कुछ ढंक लेना.
दुर्योधन ने ऐसा ही किया यही वजह है कि गांधारी ने जब दुर्योधन को देखा तो उसका पूरा शरीर लोहे का हो गया, सिर्फ वह हिस्सा सामान्य रह गया, जहां उसने पत्ते ढंके थे. फिर युद्ध में भीम ने दुर्योधन की जांघों पर वार कर उसे मृत्यु के घाट उतार दिया. इससे ये सीख मिलती है कि जब भी कोई काम करें तो उसे पूरे नियम के साथ करें.
योद्धा किसी न किसी का अवतार या दिव्य पुत्र
महाभारत में श्रीकृष्ण श्रीहरि विष्णु के अवतार थे तो बलराम शेषनाग के अंश थे. आठ वसुओं में से एक ‘घ्घु’ नामक वसु ने ही भीष्म के रूप में जन्म लिया था. वहीं द्रोणाचार्य पहले देवगुरु बृहस्पति थे. अश्वत्थामा रुद्र के अंशावतार थे. वहीं कर्ण सूर्य देव के पुत्र, इंद्र के पुत्र अर्जुन, पवन के पुत्र भीम थे. हर योद्धा किसी न किसी के अवतार थे लेकिन फिर भी उन्हें जीवन में कई परेशानियों का सामना डटकर किया. ऐसे में ये सीख मिलती है कि भले ही कोई धन, पद से कितना ही बड़ा क्यों न हो संकट हर किसी के जीवन में आते हैं बस जरुरत है उन चुनौतियों का बहादुरी से सामना करने की.
Mahabharat: महाभारत की कथा से क्या सीख मिलती है, क्या ये आज भी काम आ सकती हैं, जानें
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