जिस महाकुंभ में एक साथ नहा रहे हैं लाखों लोग, उसे पीना कितना सेफ? जानें क्या कहते हैं डॉक्टर

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त्रिवेणी संगम पर गंगा का पानी ‘बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड’ (बीओडी) के हाई लेवल के कारण नहाने के लिए अनसेफ है. बीओडी रीडिंग 3 मिलीग्राम/लीटर की सुरक्षित सीमा से अधिक है. जिससे चल रहे महाकुंभ तीर्थयात्रा के बीच पर्यावरण अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है. महाकुंभ में हर दिन करोड़ों लोग स्नान कर रहे हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या कुंभ के पानी को पी सकते हैं?

प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर गंगा का पानी जहां चल रहे महाकुंभ के दौरान लाखों लोग पवित्र स्नान कर रहे हैं. जैविक ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) के उच्च स्तर के कारण स्नान के लिए असुरक्षित माना गया है. जो पानी की गुणवत्ता का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है.

बीओडी का क्या मतलब था?

बीओडी पानी में कार्बनिक पदार्थों को विघटित करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन एरोबिक सूक्ष्मजीवों को मापता है. उच्च बीओडी स्तर कार्बनिक सामग्री में वृद्धि को इंगित करता है,.जिससे पानी नहाने के लिए सही नहीं माना जाता है. जब बीओडी का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम होता है तो पानी नहाने के लिए सुरक्षित माना जाता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण को बताया कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कई स्थान फेकल कोलीफॉर्म के स्तर के संबंध में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं हैं.

फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया क्या है?

‘कोलीफॉर्म बैक्टीरिया’ इतने खतरनाक होते हैं कि जोकि गर्म खून वाले जानवरों और मनुष्यों की आंतों में जिंदा रहते हैं. ‘जल अनुसंधान केंद्र’ के अनुसार ‘फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया’ इंसान या पशु अपशिष्ट की गंदगी से जुड़ा होता है. ‘कोलीफॉर्म और फेकल स्ट्रेप्टोकोकी’ दो बैक्टीरिया का ग्रुप हैं. जिनका इस्तेमाल सीवेज संदूषण के संकेतक के रूप में किया जाता है. हालांकि वे हानिकारक नहीं हैं, लेकिन वे रोगजनक बैक्टीरिया और वायरस के कारण चिंताजनक हैं. 

पानी में मौजूद गंदगी के कारण बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं

पानी में उनकी मौजूदगी से संकेत मिलता है कि रोगजनक सूक्ष्मजीव भी हो सकते हैं. जो स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकते हैं. पानी में कई तरह के रोगजनकों की मौजूदगी का परीक्षण करना मुश्किल और समय लेने वाला है. इसलिए कोलीफॉर्म और फेकल स्ट्रेप्टोकोकी के लिए इसका परीक्षण किया जाता है. संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के अलावा, फेकल बैक्टीरिया के बढ़े हुए स्तर अप्रिय गंध, बादल वाले पानी और बढ़ी हुई ऑक्सीजन की मांग का कारण बनते हैं.

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जब आप ऐसे पानी में नहाते हैं. तो आपको बुखार, मतली या पेट में ऐंठन होने का खतरा होता है. जल अनुसंधान केंद्र के अनुसार ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रोगजनक मुंह, नाक और कान के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं.इससे टाइफाइड, हेपेटाइटिस, कान में संक्रमण, गैस्ट्रोएंटेराइटिस और पेचिश भी हो सकती है. पानी में फेकल कोलीफॉर्म को उबालकर या क्लोरीन से उपचारित करके रोका जा सकता है. इतना ही नहीं संक्रमण से बचने के लिए आपको खुद को साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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