इतने दिन से ज्यादा पीरियड्स हो सकते हैं खतरनाक, तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी

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महिलाओं के लिए पीरियड्स सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, जब यह प्रोसेस सामान्य से ज्यादा वक्त तक चले या काफी ब्लीडिंग हो तो चिंता करना जरूरी है. कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि 7 दिन से ज्यादा वक्त तक पीरियड्स चलने या ज्यादा ब्लीडिंग (मेनोरेजिया) होने से कई गंभीर बीमारियों का सिग्नल मिलता है. आइए इसके बारे में जानते हैं. 

पीरियड्स की सामान्य अवधि क्या है?

आमतौर पर एक पीरियड साइकल 21 से 35 दिन का होता है, जिसमें ब्लीडिंग 2 से 7 दिन तक होती है. एक महिला को अपने पीरियड्स के दौरान 20 से 90 मिलीलीटर ब्लड लॉस होता है, लेकिन ब्लीडिंग 7 दिन से ज्यादा या काफी हैवी हो तो हर घंटे पैड या टैम्पोन बदलना पड़ता है. इसे मेनोरेजिया कहा जाता है. बता दें कि करीब 20 पर्सेंट महिलाएं अपने जीवन में कभी न कभी मेनोरेजिया का सामना करती हैं. यह स्थिति कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का लक्षण भी हो सकती है.

क्या होते हैं लंबे पीरियड्स के कारण?

हार्मोनल डिसबैलेंस: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), थायरॉयड डिसऑर्डर या पेरिमेनोपॉज के दौरान हार्मोनल उतार-चढ़ाव लंबे और भारी पीरियड्स का कारण बन सकते हैं. PCOS से पीड़ित महिलाओं में अक्सर अनियमित और लंबे समय तक चलने वाले पीरियड्स देखे जाते हैं.

  • गर्भाशय की दिक्कतें: गर्भाशय में फाइब्रॉयड (गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर), पॉलिप्स (एंडोमेट्रियम की असामान्य वृद्धि) या एडेनोमायोसिस (गर्भाशय की दीवार में एंडोमेट्रियल टिशूज का बढ़ना) भारी ब्लीडिंग का कारण बन सकते हैं.
  • एंडोमेट्रियोसिस: यह एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें गर्भाशय की परत जैसा टिशू शरीर के अन्य हिस्सों में बढ़ता है. इससे दर्दनाक और लंबे पीरियड्स हो सकते हैं.
  • ब्लीडिंग डिसऑर्डर: वॉन विलेब्रांड  जैसे ब्लीडिंग डिसऑर्डर के कारण खून का थक्का बनना मुश्किल होता है, जिससे पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग ज्यादा होती है. 
  • दवाएं और गर्भनिरोधक: खून को पतला करने वाली दवाएं जैसे एस्पिरिन या हार्मोनल गर्भनिरोधक जैसे IUD का इस्तेमाल भी लंबे पीरियड्स का कारण बन सकता है.
  • गर्भावस्था से संबंधित समस्याएं: गर्भपात या एक्टोपिक गर्भावस्था (जब भ्रूण गर्भाशय के बाहर विकसित होता है) भी असामान्य ब्लीडिंग का कारण बन सकती हैं.

लंबे पीरियड्स से होता है यह खतरा 

  • एनीमिया: ज्यादा ब्लीडिंग से शरीर में आयरन की कमी हो सकती है, जिससे एनीमिया होता है. इससे थकान, कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ और चक्कर आने जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं. मेनोरेजिया से पीड़ित महिलाओं में एनीमिया का खतरा 30 पर्सेंट तक बढ़ जाता है.
  • हार्ट संबंधित दिक्कतें: लंबे समय तक अनियमित और हैवी पीरियड्स की वजह से हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ सकता है. यह दिक्कत उन महिलाओं को ज्यादा हो सकती है, जो PCOS या मोटापे से पीड़ित हैं.
  • प्रेग्नेंसी से संबंधित दिक्कतें: एंडोमेट्रियोसिस या फाइब्रॉयड जैसी दिक्कतें प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे प्रेग्नेंट होने में दिक्कत हो सकती है.
  • मेंटल हेल्थ पर असर: लंबे पीरियड्स के कारण होने वाली दिक्कत से चिंता, डिप्रेशन और टेंशन बढ़ सकती है.
  • इंफेक्शन का खतरा: लंबे समय तक टैम्पोन या पैड इस्तेमाल करने से टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम या अन्य ओवरी इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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