बच्चों को भूलकर भी न खिलाएं ये 5 चीजें, घेर लेंगी इतनी सारी बीमारियां

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बच्चों के फिजिकल और मेंटल डेवलपमेंट के हेल्दी डाइट बहुत जरूरी है. दरअसल, बचपन की खाने की आदतें बच्चों की लॉन्ग टर्म हेल्थ पर डायरेक्ट इफेक्ट डालती हैं, जिससे आगे चलकर हार्ट डिजीज, डायबिटीज और ओबेसिटी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं. इसलिए आपको बच्चे की डाइट बहुत सोच समझकर तय करनी चाहिए. 

दिल्ली की न्यूट्रिशन एक्सपर्ट नेहा बंसल पैरेंट्स को कुछ ऐसे फूड्स से बचने या उन्हें कम देने की सलाह देती हैं, जो बच्चों की फिजिकल और मेटाबॉलिक ग्रोथ पर नेगेटिव असर डाल सकते हैं. यहां हम आपको ऐसे ही 5 कॉमन फूड्स के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें एक्सपर्ट्स बच्चों को खिलाने से मना करते हैं  और इसके पीछे साइंस बेस्ड रीजन्स भी बताते हैं.

  • मीठा दही या फ्लेवर्ड योगर्ट: सादा दही तो बहुत अच्छा होता है, लेकिन बच्चों के लिए बने फ्लेवर्ड योगर्ट्स में अक्सर बहुत ज्यादा शुगर, आर्टिफिशियल कलर आदि कैमिकल पदार्थ होते हैं. ये इसे हेल्दी फूड कम और मिठाई ज्यादा बना देते हैं. बच्चों को एक दिन में 25 ग्राम से ज्यादा एक्स्ट्रा शुगर नहीं लेनी चाहिए. कई फ्रूट योगर्ट्स में एक सर्विंग में ही 20 ग्राम तक शुगर हो सकती है. इसकी जगह सादा दही चुनें और घर पर ताजे फल मिलाकर दें.
  • प्रोसेस्ड मीट: हॉट डॉग, बेकन और पैकेट वाले कोल्ड कट्स बच्चों के खाने में आम हो गए हैं, लेकिन, इनमें आमतौर पर सोडियम, नाइट्रेट्स जैसे प्रिज़र्वेटिव्स और अनहेल्दी सैचुरेटेड फैट्स बहुत ज्यादा होते हैं. इन्हें लगातार खाने से बच्चे के टीनएज में हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा बढ़ सकता है. ऐेसे में प्रोटीन के लिए ग्रिल्ड चिकन, अंडे, दालें या फिश को चुना जा सकती है.
  • अल्ट्रा-प्रोसेस्ड स्नैक्स: अल्ट्रा-प्रोसेस्ड स्नैक्स जैसे माइक्रोवेव पॉपकॉर्न भले ही टेस्टी लगे, पर कई ब्रांड्स सोडियम, आर्टिफिशियल फ्लेवर्स और अनहेल्दी फैट्स से भरे होते हैं. ये अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स की कैटेगरी में आते हैं, जिनका लिंक खराब हार्ट हेल्थ से है. रिसर्च बताती है कि इन फूड्स से भरपूर डाइट बच्चों और किशोरों में सूजन, बढ़ता वजन और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में बढ़ोतरी से जुड़ी है. एयर पॉप्ड पॉपकॉर्न या कम से कम प्रोसेस्ड स्नैक्स ज्यादा हेल्दी ऑप्शन हैं.
  • सीरियल्स और सॉफ्ट ड्रिंक्स: बच्चों के लिए मार्केट में उपलब्ध कई ब्रेकफास्ट सीरियल्स बहुत ज्यादा रिफाइंड और शुगर से भरपूर होते हैं. इसी तरह, सोडा और फ्रूट-फ्लेवर्ड ड्रिंक्स जैसे चीनी वाले पेय ब्लड शुगर को अस्थिर करते हैं, एनर्जी कम करते हैं और लंबे समय तक वन बढ़ने में योगदान देते हैं. सीडीसी का कहना है कि ये ड्रिंक्स बच्चों की डाइट में एक्स्ट्रा शुगर का बड़ा सोर्स हैं और बचपन में ही इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण बन सकते हैं. इसकी जगह ओटमील जैसे साबुत अनाज दें और मीठे ड्रिंक्स की बजाय पानी या बिना चीनी का दूध पिलाएं.
  • फ्राइड फूड्स: चिप्स और नगेट्स जैसे तले हुए स्नैक्स और फास्ट फूड्स में अक्सर ट्रांस फैट और कैलोरी ज़्यादा होती है, लेकिन जरूरी पोषक तत्व कम होते हैं.  भले ही आपके बच्चे इन्हें पसंद करें,  ये अनहेल्दी फूड हैबिट्स को बढ़ावा देते हैं और अक्सर भूख की बजाय बस मजे या इमोशनल कंफर्ट के लिए खाए जाते हैं. रिसर्च बताती है कि तले हुए फूड्स के लगातार सेवन और युवाओं में खराब कोलेस्ट्रॉल और सूजन बढ़ने के बीच संबंध है. तले हुए फूड्स से बचें और बेक्ड किए हुए विकल्प चुनें.

क्यों जरूरी है बचपन से ही हेल्दी फूड चॉइस?

बचपन में हेल्दी खाने की आदतें डालना जिंदगी भर की अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी है, जो बच्चे कम प्रोसेस्ड फूड और ज़्यादा पौष्टिक खाना खाते हैं. उनका दिल ज्यादा हेल्दी रहता है, एनर्जी लेवल्स बेहतर होते हैं और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. पैरेंट्स बच्चों की खाने की पसंद और पोषण के प्रति उनके रवैये को आकार देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं. ऐसे में आप प्रोसेस्ड, शुगर से भरे और फ्राइड फूड्स से बचकर बेहतर फूड हैबिट्स को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे भविष्य में पुरानी बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. आज बच्चों को पौष्टिक खाने के विकल्प देकर एक हेल्दी कल की नींव रखी जा सकती है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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