Early Signs of Autism in Babies: हर मां-बाप की सबसे बड़ी खुशी होती है उनके बच्चे की मुस्कान, उसकी पहली आवाज, उसका पहली बार आंखों में आंखें डालकर देखना. लेकिन कभी-कभी मन में एक डर भी बैठ जाता है. क्या मेरा बच्चा ठीक से विकास कर रहा है? क्यों ये दूसरों की तरह प्रतिक्रिया नहीं देता? क्यों ये मुझे देखकर भी अनजान सा रहता है? ऐसे सवाल हर उस मां-बाप के मन में उठते हैं जो अपने बच्चे में कुछ “अलग” नोटिस करते हैं. खासकर जब ऑटिज्म का नाम पहली बार सामने आता है. तो कुछ समझ नहीं आता कि, क्या किया जाए. आज हम इसी पर जरूरी बातों के बारे में जानेंगे.
ऑटिज्म क्या है?
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) एक न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति है, जिसमें बच्चे की सोचने, समझने, और दूसरों के साथ संवाद करने की क्षमता अलग होती है. हर बच्चा अलग होता है और इसलिए ऑटिज्म के लक्षण भी एक जैसे नहीं होते. किसी में हल्के लक्षण होते हैं, तो किसी में गंभीर लक्षण देखते को मिलते हैं.
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पैदा होने के बाद कैसे पहचानें ऑटिज्म के शुरुआती लक्षण?
अगर बच्चा 2-3 महीने की उम्र में भी आपकी आंखों में नहीं देखता, या आंख मिलाने से बचता है, तो ये शुरुआती संकेत हो सकते हैं.
4 महीने का बच्चा आमतौर पर मुस्कुराता है और चेहरे के हाव-भाव से प्रतिक्रिया देता है. अगर आपका बच्चा भावहीन है, या दूसरों की मुस्कान का जवाब नहीं देता, तो ध्यान देना चाहिए.
6 महीने तक के बच्चे मां-बाप की आवाज पहचानने लगते हैं. अगर बच्चा आवाज सुनकर भी प्रतिक्रिया नहीं देता, तो यह एक संकेत हो सकता है.
12 महीने की उम्र तक “मामा”, “पापा” जैसे शब्द बोलने लगता है. अगर बच्चा बोलने में देरी कर रहा है या बिल्कुल चुप है, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है.
अगर बच्चा बार-बार एक ही हरकत करता है, जैसे हाथ हिलाना, सिर झुलाना, या किसी चीज को लगातार घुमाना, तो ये भी लक्षण हो सकते हैं.
अगर बच्चा खेलते समय दूसरों की तरफ ध्यान नहीं देता, अकेले खेलता है, या साझा करना नहीं चाहता, तो ये ऑटिज्म का संकेत हो सकता है.
ऑटिज्म के लक्षण दिखने पर क्या करें?
बाल विकास विशेषज्ञ (Developmental Pediatrician) या बाल मनोचिकित्सक (Child Psychologist) से मिलना जरूरी है
जैसे M-CHAT (Modified Checklist for Autism in Toddlers) जो 16 से 30 महीनों के बच्चों में ऑटिज्म की पहचान में मदद करता है.
ऑटिज्म का कोई इलाज नहीं है, लेकिन थैरेपी और सही गाइडेंस से बच्चा बहुत कुछ सीख सकता है और सामान्य जीवन के करीब आ सकता है.
हर बच्चा खास होता है. अगर आपका बच्चा थोड़ा अलग है, तो घबराएं नहीं, ऑटिज्म कोई बाधा नहीं है, बस एक अलग नजरिया है और अगर इसे वक्त रहते पहचान लिया जाए, तो आपका बच्चा भी अपनी पूरी क्षमता से जिंदगी जी सकता है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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