होलाष्टक का मतलब क्या होता है, ये कब से शुरु हो रहा है ?

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Holashtak 2025: हर साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर होली का त्योहार मनाया जाता है. इस बार होलिका दहन 13 मार्च को होगा और रंग वाली होली 14 मार्च को खेली जाएगी. होली तो खुशियों का त्योहार है लेकिन होलिका दहन से पहले के कुछ दिनों को बेहद अशुभ माना जाता है.

साल में जिस तरह पंचक काल के पांच दिन अशुभ माने जाते हैं उसी तरह होली से पहले लगने वाले होलाष्टक के 8 दिन बहुत खतरनाक माने गए हैं. क्या है होलाष्टक, मार्च में ये कब से शुरू हो रहे हैं.

होलाष्टक क्या है ?

होलाष्टक ‘होली और अष्टक’ से मिलकर बना है. इसका अर्थ है होली से पहले के 8 दिन. होलाष्टक को अशुभ काल कहा जाता है. धार्मिक परंपराओं में कहा गया है कि विवाह, समारोह, मुंडन (मुंडन समारोह), गृह प्रवेश आदि सहित सभी शुभ कार्यक्रमों का करना अशुभ है और इन आठ दिनों के दौरान इनको करने से बचना चाहिए. 

इसका वैज्ञानिक पहलू देखें तो होलाष्टक के दौरान मौसम के परिवर्तन के कारण मन अशांत, उदास और चंचल रहता है. इस दौरान मन से किए हुए कार्यों के परिणाम शुभ नहीं होते हैं.

होलाष्टक कब से शुरू होंगे

होलाष्टाक की शुरुआत 7 मार्च 2025 से हो रही है, इसकी समाप्ति होलिका दहन पर 13 मार्च को होगी. होलाष्टक का शुभारंभ फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है और समापन फाल्गुन पूर्णिमा यानी होलिका दहन के दिन होता है.

होलाष्टक में हुई थी ये घटनाएं

होलाष्टक की शुरुआत वाले दिन ही शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया था. वहीं एक दूसरी कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप का बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था. उसकी भक्ति से हिरण्यकश्यप बहुत क्रोधित रहता था. अपने पुत्र की भक्ति को भंग करने के लिए हिरण्यकश्यप ने लगातार 8 दिनों तक प्रहलाद को कई तरह की यातनाएं दीं. होलाष्टक के ये 8 दिन उन्हीं यातनाओं के दिन माने जाते हैं. यही वजह है कि इन 8 दिनों में किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किए जाते हैं. 

होलाष्टक में क्या करते हैं ?

होलाष्टक के आठ दिनों की अलग-अलग तिथियों पर अलग-अलग ग्रह उग्र स्थिति में रहते हैं. होलाष्टक की आठ रात्रियों का काफी अधिक महत्व है। इन आठ रात्रियों में की गई साधनाएं जल्दी सफल होती हैं. इन रातों में तंत्र-मंत्र से जुड़े लोग विशेष साधनाएं करते हैं.

होलाष्टक में क्या नहीं करते ?

होलाष्टक की अवधि में भी विवाह, मुंडन, नामकरण और गृह प्रवेश समेत समस्त शुभ संस्कार नहीं किए जाते हैं. होलाष्टक के समय नए घर के निर्माण का आरंभ नहीं करना चाहिए. सोना, चांदी, संपत्ति और वाहन नहीं खरीदना चाहिए. होलाष्टक के समय नया कारोबार नहीं शुरू करना चाहिए.

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