HMPV से इस उम्र के बच्चों को ज्यादा खतरा, न दवा है और न वैक्सीन… एक्सपर्ट ने दिए ये टिप्स

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चीन में दहशत फैला रहे HMPV (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) के पांच केस भारत में भी मिल चुके हैं. पहले दो केस बेंगलुरु में मिले. यहां आठ महीने और तीन महीने के दो बच्चों में एचएमपीवी का संक्रमण पाया गया. तीसरा केस गुजरात में मिला, जहां दो महीने का बच्चा एचएमपीवी वायरस से पॉजिटिव मिला. इसके अलावा चेन्नै में दो मामले मिलने की जानकारी मिली है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस वायरस के मामलों पर खास निगरानी रखने की बात कही है, लेकिन एक एक्सपर्ट ने ऐसा दावा किया है, जो आपको बेहद डरा देगा. उन्होंने बताया कि इस वायरस से सबसे ज्यादा खतरा दो साल से छोटे बच्चों को है. सबसे ज्यादा डराने वाली बात यह है कि भले ही इस वायरस की पहचान 2001 के दौरान हो गई थी, लेकिन अब तक न तो इसकी कोई दवा बनी है और न ही वैक्सीन.

कितना खतरनाक है HMPV?

इस मामले में एबीपी लाइव ने पीसीआईआर चेयरमैन पल्मोनरी, क्रिटिकल केअर एंड स्लीप मेडिसिन डॉ. जीसी खिलनानी से बात की. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कहर को कोई नहीं भूल सकता है. दुनिया में उसकी तरह के हजारों-लाखों वायरस हैं. 2001 में एचएमपीवी को आइडेंटिफाई किया गया था. इसमें हल्का-फुल्का खांसी-जुकाम होता है. खासतौर पर पांच साल से छोटे बच्चे इसकी चपेट में जल्दी आते हैं और दो साल से छोटे बच्चों को खतरा काफी ज्यादा है. डॉ. जीसी खिलनानी के मुताबिक, इस वक्त चिंता इस बात की है कि अभी वायरस के म्यूटेशन का पता नहीं लग पाया है. यह कौन-सा म्यूटेशन है, यह भी नहीं कहा जा सकता है. इसके अलावा वायरस की गंभीरता की जानकारी भी नहीं है. अगर खराब म्यूटेट हुआ तो यह कोविड की तरह भी फैल सकता है. कुछ लोग कह रहे हैं कि यह नया वायरस है तो ऐसा नहीं है. 

छोटे बच्चों को कितना खतरा?

डॉ. खिलनानी ने बताया कि यह वायरस दो साल से छोटे बच्चों और बुजुर्गों को काफी जल्दी चपेट में लेता है. इस वायरस का पीरियड तीन से छह दिन का होता है. बुखार-जुकाम और खांसी ही इसके लक्षण है. यह उन लोगों को जल्दी चपेट में लेता है, जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है. ऐसे लोगों को आईसीयू में भी एडमिट कराना पड़ सकता है. 

इस वायरस की वैक्सीन या दवा नहीं है मौजूद

डॉ. खिलनानी के मुताबिक, ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस की कोई भी वैक्सीन नहीं है. वहीं, इसकी एंटी वायरल ड्रग भी हमारे पास नहीं है. इसका इलाज लक्षणों के हिसाब से होता है. यही वजह है कि अब तक जो भी केस सामने आए हैं, उनमें मरीज का इलाज लक्षण देखकर किया जा रहा है. 

सावधानी से ही कम होगा ट्रांसमिशन

एक्सपर्ट के मुताबिक, सबसे पहले यह समझने की जरूरत है कि यह वायरस कैसे फैलता है. उन्होंने कहा कि अगर संक्रमित शख्स नॉन लिविंग ऑब्जेक्ट जैसे टेबल-कुर्सी और दरवाजे को छूता है तो इस वायरस का ट्रांसमिशन हो सकता है. संक्रमित व्यक्ति अगर पब्लिक प्लेस में जाता है तो यह वायरस फैल सकता है. अगर सर्दी-खांसी या जुकाम के लक्षण हैं तो पब्लिक प्लेस पर जाने से बचें. हाथ धोने और मास्क लगाने जैसी सावधानियां बरतें.

कितना म्यूटेट हुआ है HMPV?

डॉ. खिलनानी ने बताया कि यह वायरस कितना म्यूटेट हुआ है, यह अभी पता नहीं लगा है, क्योंकि इसका डेटा सामने नहीं आया है. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि खतरा कितना ज्यादा है. फिलहाल पैनिक करने की जरूरत नहीं है. हेल्थ मिनिस्ट्री इस पर नजर रखे हुए है. सावधानी से ही किसी भी बड़े खतरे को टाला जा सकता है. ऐसे में हर किसी को सावधानी बरतनी चाहिए.

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