हवा में मौजूद ये छोटे-छोटे कण सांस से फेफड़ों में और फेफड़ों से खून में और फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाते हैं. इससे फेफड़ों की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, जो क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के रूप में सामने आ रही है.

इस समस्या में सांस लेना मुश्किल हो जाता है. इसमें मुख्य रूप से वातस्फीति और क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस शामिल हैं, जो समय के साथ फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व सीओपीडी दिवस की शुरुआत की गई.

सीओपीडी के लक्षण:लगातार खांसी,अत्यधिक बलगम बनना,घरघराहट, सांस फूलना और सीने में जकड़न, सांस लेने में बहुत कठिनाई और बार-बार श्वसन संक्रमण, सीओपीडी के कारण, सीओपीडी मुख्य रूप से फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले उत्तेजक पदार्थों के लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण होता है.

धूम्रपान इसका मुख्य कारण बना हुआ है, हालांकि वायु प्रदूषण या ईंधन के धुएं के संपर्क में आने वाले धूम्रपान न करने वाले लोग भी जोखिम में हैं. अल्फा-1 एंटीट्रिप्सिन की कमी जैसे आनुवंशिक कारण भी बीमारी का कारण बन सकते हैं.

अगर आप सीओपीडी को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो अपनी जीवनशैली में सुधार करें और धूम्रपान और शराब पीने जैसी कुछ बुरी आदतों को छोड़ दें. इसके अलावा, प्रदूषित वातावरण में मास्क पहनना और घर के अंदर की हवा की गुणवत्ता में सुधार करना इसके जोखिम को काफी हद तक कम कर देता है. फ्लू और निमोनिया के खिलाफ टीकाकरण भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

सीओपीडी का इलाज:सीओपीडी का कोई इलाज नहीं है, आप केवल अपनी जीवनशैली में सुधार करके इस बीमारी को नियंत्रित कर सकते हैं. इसके लिए आमतौर पर ब्रोंकोडायलेटर्स, स्टेरॉयड और ऑक्सीजन थेरेपी जैसी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है.
Published at : 16 Nov 2024 05:22 PM (IST)
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