वॉटर बॉटल के सिपर में फंसी कक्षा 3 की छात्रा की जीभ, जानें बिना जीभ काटे कैसे निकाला ढक्कन?

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यूपी के गोरखपुर में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक स्‍कूल में कक्षा 3 में पढ़ने वाली छात्रा की जीभ वॉटर बॉटल के ढक्‍कन के सिपर में एयर प्रेशर से फंस गई. ढाई घंटे तक छात्रा ढक्‍कन में फंसी जीभ को लेकर चिल्‍लाती रही. स्‍कूल मैनेजमेंट ने पहले जीभ निकालने का प्रयास किया. जब जीभ बाहर नहीं निकली तो उसे डॉक्‍टर के पास ले जाया गया. वहां डॉक्‍टर ने ढक्‍कन को कटर से काटकर निकाला. जरा भी देर होती तो जीभ का नीला पड़ रहा हिस्‍सा बेकार हो जाता और उसे काटना पड़ सकता था. आइए जानते हैं कि डॉक्टरों ने बिना जीभ काटे ढक्कन कैसे निकाला? 

यह है पूरा मामला

गोरखनाथ के सेंट जोसेफ स्कूल की कक्षा तीन की छात्रा अदित्री की जीभ वॉटर बॉटल से पानी पीते समय उसके ढक्‍कन के सिपर में फंस गई. अदित्री ने बताया कि वह दूसरे पीरियड में बॉटल से पानी पी रही थी. एयर प्रेशर की वजह से पहले उसका होंठ बॉटल के सिपर में फंस गया. उसने जीभ से दबाव बनाकर उसे निकाला. इस प्रक्रिया में उसकी जीभ का अगला हिस्‍सा बॉटल के सिपर में फंस गया. बॉटल में पानी होने और प्रेशर की वजह से आधी जीभ अंदर की ओर फंस गई. उसने जीभ निकालने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद वह चिल्‍लाने लगी तो टीचर्स उसे अस्‍पताल ले गए. दो अस्‍पताल ने तो ऑपरेट करने से इनकार कर दिया. तीसरे डॉक्‍टर ने ढक्‍कन को काटकर बाहर निकाला.  

जीभ में क्या हुई दिक्कत?

बीमा कंपनी में काम करने वाले विनीत सिंह ने बताया कि वह रामजानकीनगर के गंगा टोला में परिवार के साथ रहते हैं. उनकी आठ साल की बेटी अदित्री सिंह सेंट जोसेफ स्कूल गोरखनाथ में कक्षा तीन में पढ़ती है. अदित्री शनिवार को स्कूल गई थी. क्लास रूम में बोतल (सिपर) से पानी पी रही थी. वह ढक्कन में जीभ डालकर पानी पी रही थी, जिससे उसकी जीभ ढक्कन में फंस गई. एयर प्रेशर की वजह से बॉटल भी नहीं खुल रही थी. किसी तरह बॉटल को खोलकर निकाला गया. जीभ के आगे के हिस्से में स्‍वेलिंग आने लगी. वहीं, ब्लड फ्लो रुकने की वजह से जीभ काली पड़ने लगी थी. 

सिपर वाली बॉटल कितनी खतरनाक?

अदित्री के पिता विनीत सिंह ने बताया कि राजेंद्र नगर में ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. पीएन जायसवाल बच्ची को ऑपरेशन थियेटर में ले गए और उन्होंने कटर से ढक्कन को काट दिया, जिससे उसकी जीभ बच गई. उन्‍होंने अन्य अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि सिपर वाली पानी की बॉटल बच्‍चों के लिए नहीं खरीदें. ऐसा हादसा किसी के साथ भी हो सकता है.

पहली बार देखा ऐसा केस

डॉ. जायसवाल ने बताया कि यह अपने आप में अलग तरह का केस था. वॉटर बॉटल के ढक्‍कन के सिपर में बच्‍ची की जीभ फंसी हुई थी. काफी सावधानी से ढक्कन को दो तरफ से काटकर निकाला गया. उन्‍होंने अपनी प्रैक्टिस में ऐसा केस कभी नहीं देखा था. बच्‍ची को बेहोशी का इंजेक्‍शन नहीं दे सकते थे. वह दर्द से कराहने के साथ डर भी रही थी. ढक्कन काटते वक्त ध्यान रखा गया कि जीभ को कोई नुकसान नहीं पहुंचे. अगर और देर होती तो ब्लड फ्लो रुकने से जीभ के अगला हिस्सा डेड हो सकता था.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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