Eid al Adha 2025 Date: ईद उल-अजहा इस्लाम धर्म को मानने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार होता है, जोकि ईद-उल-फितर की तरह की खास होता है. इसे आम बोलचाल की भाषा में बकरीद कहते हैं. आइए जानते हैं इस साल कब मनाया जाएगा यह पर्व.
कब है बकरीद (Bakrid 2025 Kab Hai)
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार बकरीद का पर्व जुल हिज्जा (Dhul Hijjah) महीने की दसवीं तारीख को मनाई जाती है, जोकि हिजरी कैलेंडर का 12वां या आखिरी महीना होता है. इस साल बकरीद का पर्व 7 या 8 जून को मनाए जाने की संभावना जताई जा रही है. पक्की तारीख की आधिकारिक घोषणा चांद नजर आने के बाद ही की जाएगी. आमतौर पर इस्लाम के प्रत्येक पर्व-त्योहार चांद दिखाई देने के बाद ही तय किए जाते हैं. इसलिए बकरीद के तारीख के लिए भी आपको चांद के दीदार का इंतजार करना पड़ेगा. हालांकि बहुत अधिक संभावना है कि बकरीद या ईद उल-अजहा 7 जून को मनाई जा सकती है.
ईद उल-अजहा का महत्व (Eid al Adha Islamic Importance)
ईद उल-अजहा का पर्व जुल हिज्जा में मनाया जाता है. इसी महीने में मुसलमान पवित्र हज यात्रा (Hajj Yatra) के लिए भी निकलते हैं. बकरीद का त्योहार हज यात्रा का समापन भी है. इसके अलावा बकरीद का त्योहार मुख्य रूप से कुर्बानी के लिए प्रसिद्ध है. कुर्बानी के जरिए लोग अल्लाह के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण भाव प्रकट करते हैं. इस्लामिक मान्यताओं व शिक्षाओं के अनुसार ईद उल-अजहा पर बकरा या फिर अन्य हलाल पशुओं की कुर्बानी वाजिब मानी गई है और इसका सवाब भी मिलता है. इसलिए इस पर्व को कुर्बानी का दिन कहा जाता है.
ईद उल-अजहा पर कैसे शुरू हुई कुर्बानी की परंपरा (Eid al Adha History)
इस पर्व के इतिहास पर नजर डालें तो बताया जाता है कि, पैगंबर इब्राहिम को अल्लाह का आदेश मिला था कि उसे अपनी सबसे प्यारी चीज अल्लाह के लिए कुर्बानी देनी होगी. इब्राहिम ने बिना झिझके अपनी सबसे प्यारी चीज अपने बेटे इस्माईल की कुर्बानी का इरादा कर लिया. वह जैसे ही अपने बेटे की कुर्बानी देने वाला था, तभी अल्लाह ने उसके बेटे की जगह बकरे की कुर्बानी करा दी. अल्लाह इब्राहिम के इरादे और भक्ति से बहुत खुश हुए और उसके बेटे की जान भी बचा ली. माना जाता है कि इसी घटना के बाद से ईद उल-अजहा पर कुर्बानी की परंपरा की शुरुआत हुई. इस दिन लोग बकरे की कुर्बानी देते हैं जिस कारण इसका नाम बकरीद भी है.
बकरीद का अर्थ सिर्फ कुर्बानी से नहीं
बकरीद का मतलब केवल पशु की कुर्बानी मात्र से नहीं है, बल्कि इसका धार्मिक अर्थ बहुत ही गहरा है. यह पर्व अल्लाह के प्रति समर्पण, त्याग और दान से जुड़ा हुआ है. दरअसल बकरीद पर कुर्बानी के हिस्से को तीन भागों में बांटा जाता है. पहला हिस्सा गरीब और जरूरतमंदों को दान किया जाता है. दूसरा हिस्सा लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों में बांटते हैं. वहीं तीसरा हिस्सा अपने घर-परिवार के लिए रखते हैं. इस तरह से बकरीद का पर्व यह सीख भी देता है कि कोई भूखा न रहे, हर कोई खुश रहे और सबको बराबरी का दर्जा दिया जाए.
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