Matrix या Moksha? जब Easter ने खोला पुनर्जन्म और आत्मा का वैदिक द्वार

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ईस्टर को आमतौर पर ईसा मसीह के पुनरुत्थान (Resurrection) के पर्व के रूप में जाना जाता है. पर क्या आपने कभी सोचा है कि ये ‘पुनरुत्थान’ वैदिक धर्म के पुनर्जन्म (Rebirth) और मोक्ष (Liberation) से कितना मेल खाता है?

Matrix या Moksha, आत्मा की आजादी: Hollywood की Matrix फिल्म को आपने शायद देखा होगा. ये फिल्म सवाल कराती है, जैसे-

  1. क्या जो दुनिया हम देख रहे हैं, वो असली है?
  2. क्या आत्मा इस शरीर के बंधन में फंसी हुई है?
  3. क्या मोक्ष ही असली मुक्ति है?

ये वही सवाल हैं जो वैदिक दर्शन हज़ारों सालों से पूछता आया है. और ईस्टर, इसी आत्मा की मुक्ति की एक पश्चिमी कथा है. Easter और वैदिक खगोलीय संबंध को दर्शाता है. ईस्टर की तारीख कभी तय नहीं रहती, क्योंकि यह खगोलीय घटनाओं पर आधारित है:

  • वसंत विषुव (Spring Equinox) के बाद ( विषुव शब्द का अर्थ है ‘बराबर रात’. वसंत विषुव वह समय होता है जब दिन और रात की लंबाई लगभग बराबर होती है, और यह वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है. यह उत्तरी गोलार्ध में लगभग 20 या 21 मार्च को होता है.)
  • पहली पूर्णिमा के
  • अगले रविवार को

यह गणना वैदिक पंचांग से मेल खाती है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, नवसंवत्सर, और नवरात्रि, ये सभी इसी समय होते हैं. यह वो समय है जब प्रकृति पुनर्जन्म लेती है, और आत्मा चेतना की ओर बढ़ती है.

पुनरुत्थान और पुनर्जन्म: अंतर और समानता? वैदिक और ईसाई दृष्टिकोण में समानताएं हैं, जिसे आसानी से समझा जा सकता है-

  • ईस्टर (Resurrection): यीशु मसीह के शरीर का मृत्यु के बाद दोबारा जीवित होना. यह आत्मा के जागरण और शरीर की विजय का प्रतीक है.
  • वैदिक धर्म (Rebirth/Moksha): आत्मा बार-बार जन्म लेती है जब तक वह मोक्ष यानी परम मुक्ति प्राप्त नहीं कर लेती. मोक्ष का अर्थ है, जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति.
  • ईस्टर का संदेश: अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु के बाद जीवन.
  • वैदिक संदेश: ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ , अज्ञान से ज्ञान की ओर, मृत्यु से अमरत्व की ओर.

दोनों परंपराओं का मूल उद्देश्य आत्मा की मुक्ति और चेतना की ऊंचाई है. फर्क केवल शब्दों और सांस्कृतिक प्रतीकों में है. Easter और वैदिक परंपरा यह सिखाती है कि धर्म की कोई सीमा नहीं, धर्म चेतना का मार्ग है. पश्चिम में उसे Resurrection कहते हैं, भारत में Moksha. लेकिन दोनों का लक्ष्य एक ही है, आत्मा की मुक्ति. ये पर्व एक तरह से East और West की चेतना का संगम भी मान सकते हैं.

यही वजह है कि ईस्टर सिर्फ एक पर्व नहीं है. बल्कि यह एक प्रतीक है, आत्मा के जागरण, शरीर के बंधन से मुक्त होने और सत्य की ओर बढ़ने का. और सनातन धर्म का भी संदेश यही है. शायद Matrix का नियो हो या उपनिषदों का नचिकेता, दोनों ने सवाल पूछे, डर को जीता और मोक्ष पाया. इसलिए जब भी अब ईस्टर के अंडे देखें, तो सोचें, ये सिर्फ रंगीन नहीं है, जीवन के पुनर्जन्म का संकेत भी है.

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