HMPV वायरस को लेकर फैलाए जा रहे हैं ये मिथ, पैनिक होने से पहले जरूर जान लें सच

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हैदराबाद स्थित डॉक्टर ने एचएमपीवी से घबराने की बजाय सतर्क रहने और आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह दी है. अधिक गंभीर मामलों में यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है. खासकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को यह बीमारी जल्द ही अपना शिकार बनाती है. एचएमपीवी के कारण खांसी, बुखार, नाक बंद होना और सांस लेने में तकलीफ जैसे फ्लू जैसे लक्षण होते हैं. अधिक गंभीर मामलों में यह ब्रोंकाइटिस या निमोनिया का कारण बन सकता है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा इस बीमारी को लेकर पैनिक न हो

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के बारे में चिंताओं को दूर करते हुए स्पष्ट किया है कि यह कोविड-19 जितना संक्रामक नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि HMPV की तुलना कोविड-19 से नहीं की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के  लक्षण भले ही मिले सकते हैं लेकिन बीमारी बिल्कुल अलग है. 

पीटीआई के साथ एक खास इंटरव्यू में सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. विशाल राव ने बताया कि HMPV छिंक या सांस लेने के बजाय बूंदों के माध्यम से फैलता है, उन्होंने लोगों से अपील की है कि घबराएं नही. उन्होंने इस बात पर जोर डाला है कि जिन व्यक्तियों ने फ्लू का टीका और कोविड-19 वैक्सीन की तीनों खुराक ली हैं. उनमें HMPV के खिलाफ लड़ने की संभावना दूसरे लोगों के मुकाबले अधिक है. साथ ही उन्होंने संक्रमण को रोकने के लिए बुनियादी सावधानियों पर जोर दिया है. 

HMPV को लेकर डॉक्टरों की सलाह

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. इस वायरस के लिए कोई वैक्सीन नहीं है. लेकिन अगर आपने फ्लू का टीका और कोविड वैक्सीन की तीन खुराक ली हैं. तो आपके पास पहले से ही इम्युनिटी है. यह कोविड की तरह बात करने या सांस लेने से फैलने वाली कोई बीमारी नहीं है. HMPV खांसी के कारण होने वाला ड्रॉपलेट संक्रमण है. इसलिए सावधानी बरतना ज़रूरी है.

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दिल्ली के एम्स में इंटरनल मेडिसिन के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल ने ANI से कहा इसकी (HMPV) तुलना कोविड-19 से न करें. क्योंकि कोविड बिल्कुल नया वायरस था और हममें से किसी में भी इसके खिलाफ़ लड़ने के लिए कोई खास न प्लान था और न ही इम्युनिटी थी. HMPV का पता साल 2001 में भी चल गया था. 1950 के दशक के आखिर से ही है. 10 साल की उम्र तक ज़्यादातर बच्चों में इसके खिलाफ़ प्रतिरक्षा विकसित हो जाती है.

लोगों को इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है. यह एक पुराना वायरस है, जो रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन का कारण बनता है और इसके मामले अधिकतर हल्के होते हैं. इसके अलावा उन्होंने लोगों को सर्दी के लक्षणों के लिए बरती जाने वाली सामान्य सावधानियों को बरतने की सलाह भी दी. हर पैथोजन का पता लगाने के बजाए हम सभी को सर्दी होने पर सामान्य सावधानियां बरतनी चाहिए. इसके लिए मास्क जरूर लगाएं. भीड़ भाड़ में जाने से बचें, बार-बार हाथ धोएं और गंभीर लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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