Diwali 2024: कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली का त्योहार भारत समेत पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू धर्म के लोगों के लिए दिवाली का त्योहार बेहद खास होता है. इस दिन भगवान राम ने 14 वर्ष का वनवास पूर्ण करके अयोध्या लौटे थे. जिस वजह से अयोध्यावासियों ने इस दिन पूरे नगर में दीप जलाकर दिवाली मनाई थी. इस साल दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा. ऐसे में जानते हैं दिवाली लक्ष्मी पूजन से लेकर मुहूर्त और सामग्री के बारे में.
दिवाली 2024 कब है? (Diwali 2024 Kab Hai)
इस साल दिवाली की तारीख को लेकर काफी सारे लोग उलझन में थें. ऐसे में तमाम धर्म गुरुओं, ज्योतिषाचार्यों और धर्मशास्त्र कार्यों ने खगोलीय गणनाओं के आधार पर दिवाली की तारीखों का ऐलान करते हुए बताया कि इस साल दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर 2024 मनाया जाएगा. पंचांग के आधार पर इस साल दिवाली प्रदोष काल मुहूर्त में मनाई जाएगी. जो 31 अक्टूबर 2024 को 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू होकर 1 नवंबर 2024 को 6 बजकर 25 मिनट में समाप्त होगी.
लक्ष्मी पूजन कब है? (Diwali Laxmi Pujan Kab Hai)
हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन करने का समय शाम को 6 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 20 मिनट के बीच में करना शुभ माना जाता है. इस दौरान पूजा-अर्चना करने से मां लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
दिवाली पूजन विधि (Diwali Pujan Vidhi)
दिवाली के दिन सूर्यास्त होने के बाद मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा करनी चाहिए. लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति को ईशान कोण में स्थापित करें. लाल सिंदूर से स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसके ऊपर चावल से भरी कटोरी रख दें. मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा के साथ कुबेर जी की भी पूजा अर्चना करें. पूरे घर में गंगाजल छिड़कें. उसके बाद मां लक्ष्मी समेत गणेश जी और कुबेर महाराज की पूजा अर्चना करें. पूजा संपन्न होने के बाद भगवान को लड्डू और मिठाइयों का भोग लगाएं. मां लक्ष्मी को भोग में शहद चढ़ाएं. ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है.
दिवाली 2024 पूजन सामग्री (Diwali 2024 Pujan Samagri)
दिवाली 2024 की पूजा के लिए मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा के साथ धनपति कुबेर जी को पूजे. इसके लिए पूजन सामग्री में आपके पास रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी के दीए, रुई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, बताशे, जनेऊ, श्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, बैठने का आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते और प्रसाद होना चाहिए.
मां लक्ष्मी की आरती (Maa Laxmi Aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, मैया जी को निसदिन सेवत
हर विष्णु धाता, ॐ जय लक्ष्मी माता
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
(मैया, तुम ही जग-माता)
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत (सूर्य-चंद्रमा ध्यावत)
नारद ऋषि गाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख, संपत्ति दाता
(मैया, सुख, संपत्ति दाता)
जो कोई तुमको ध्यावत (जो कोई तुमको ध्यावत)
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता
(मैया, तुम ही शुभ दाता)
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी (कर्म प्रभाव प्रकाशिनी)
भवनिधि की त्राता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
जिस घर तुम रहती तः सब सद्गुण आता
(मैया, सब सद्गुण आता)
सब संभव हो जाता (सब संभव हो जाता)
मन नहीं घबराता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
तुम बिन यज्ञ ना होते, वस्त्र ना हो पाता
(मैया, वस्त्र ना हो पाता)
खान-पान का वैभव (खान-पान का वैभव)
सब तुमसे आता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
(मैया, क्षीरोदधि जाता)
रत्न चतुर्दश तुम बिन (रत्न चतुर्दश तुम बिन)
कोई नहीं पाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
महालक्ष्मी जी की आरती जो कोई नर गाता
(मैया, जो कोई नर गाता)
उर आनंद समाता (उर आनंद समाता)
पाप उतर जाता (ॐ जय लक्ष्मी माता)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया, जय लक्ष्मी माता
तुमको निसदिन सेवत, मैया जी को निसदिन सेवत
हर विष्णु धाता, ॐ जय लक्ष्मी माता
गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
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