Dadi-Nani Ki Baatein: शुभ-मांगलिक कार्यों के दौरान हम कई तरह की चीजें देखते हैं. खासकर रीति-रिवाज और नियम के साथ ही मान्यताओं पर भी विश्वास करते हैं, जिससे कि कार्य में किसी तरह की बाधा न उत्पन्न हो. वैसे तो मांगलिक कार्य में ऑड नंबर जैसे 5, 7, 11, 21 आदि को शुभ माना जाता है, लेकिन 3 नंबर को शुभ नहीं माना जाता है.
दरअसल 3 नंबर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि ‘तीन तिगड़ा काम बिगड़ा’ यानी जहां तीन लोग मिले वहां काम का बिगड़ना निश्चित है. ये कहावत आपने भी कई बार सुनी होगी. अगर इसका मतलब आप नहीं जानते तो आइये आपको बताते हैं. दादी-नानी आज भी इस कहावत को मानती हैं और शुभ काम के लिए तीन लोगों को कहीं जाने से मना करती हैं.
दादी नानी के अनुसार, अच्छे काम के लिए घर से तीन लोगों को नहीं जाना चाहिए. सिर्फ 3 लोग ही नहीं बल्कि हिंदू धर्म में इस अंक को अशुभ मानते हुए अन्य चीजों पर भी फॉलो किया जाता है. जैसे भोजन की थाली में तीन रोटी नहीं परोसना, पूजा-पाठ में तीन लोगों का बैठना आदि. यानि तीन का आंकड़ा बनते ही इसे अशुभ फलदायी समझ लिया जाता है. आइए जानते हैं आखिर क्यों 3 अंक को अशुभ मानती हैं दादी-नानी.
3 अंक की धार्मिक मान्यता
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि, धार्मिक मान्यतानुसार 3 अंक को अशुभ नहीं माना जाता है. क्योंकि सृष्टि 3 मूलभूत स्तंभ त्रिदेव पर आधारित है. सृष्टि में संतुलन भी त्रिदेवियों (सरस्वती, लक्ष्मी, पार्वती) से होती है. आरती भी 3 बार उतारी जाती है, परिक्रमा का मुख्य अंक भी 3 है. शिवजी का त्रिशूल भी 3 भागों में बंटा है. कुंडली में भी 3 ग्रह को प्रमुख माना जाता है. इसके अलावा टैरो कार्ड में भी 3 अंक को गज का ऊर्जावान माना जाता है.
हालांकि मान्यताओं के आधार पर 3 अंक को शुभ नहीं माना जाता है. इसलिए जब विवाह के लिए रिश्ता तय करने जाते हैं तो बड़े-बुजुर्ग 3 लोगों को जाने से मना करते हैं. घर से निकलते समय 3 बार छींक आने को भी बुरा संकेत माना जाता है. खाने की थाली में भी 3 रोटी नहीं परोसी जाती है.
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