Coronavirus: कोरोना की पहली, दूसरी, तीसरी लहर और चौथी लहर के पश्चात लोगों के मन में एक ही सवाल है इस वायरस से कब मुक्ति मिलेगी और क्या और लहर आएगी. वैज्ञानिक और डॉक्टर लगातार इसका सफलतम इलाज खोजने में लगे हुए हैं. वही ज्योतिषी इस पर ज्योतिष आंकलन भी कर रहे हैं. कोरोना के नए वेरिएंट का भारत पर असर कैसा रहेगा प्रभाव.
इस बात को लेकर लोगों में अलग-अलग तरह की धारणा है. कभी तो कोराने संक्रमण कम हो जाता है तो कभी किसी दिन काफी बढ़ जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि कोरोना के नए वेरिएंट का कितना प्रभाव रहेगा. क्या भारत कोरोना के नए वेरिएंट को पटखनी देने में सफल होगा या कोराना फिर अपना दम दिखाएगा.
26 दिसंबर 2019 को हुए एक बड़े सूर्य ग्रहण के बाद कोरोना वायरस ने चीन से फैलते हुए एक बड़ी महामारी का रूप लिया किंतु अभी अप्रैल 2025 के पिछले सप्ताह में चीन के निकट सिंगापुर और हांगकांग में बढे कोरोना के मामले स्वस्थ्य विशेषज्ञों के लिए बड़ी चिंता का कारण बने गए हैं.
सिंगापुर, जिसकी आबादी केवल 59 लाख है, वहां 27 अप्रैल से 3 मई 2025 के बीच 14 हज़ार से अधिक कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों के अस्पताल पहुंचने से प्रशासन चिंता में है। भारत में खबरों के मुताबिक 19 मई 2025 तक केवल 257 कोरोना वायरस के केस हैं.
ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखें तो राहु और केतु के नक्षत्र में बड़े ग्रहों के आ जाने या राहु-केतु से अधिक संख्या में ग्रहों के युति के समय वायरस से संबंधित रोग अपने पैर फैलाते हैं और लोगों को प्रभावित करते हैं.
2025 का आधा हिस्सा बीत चुका है. इस साल की दूसरी छमाही का आरंभ होने जा रहा है. ज्योतिष गणनाओं के मुताबिक इस वर्ष युद्ध, आपदा के साथ जलवायु परिवर्तन का योग ग्रहों की दृष्टियों, गोचर और उनकी स्थिति के चलते बना हुआ है. र्तमान समय में शनि, राहु, केतु और विशेष रूप से देवगुरु बृहस्पति का राशि परिवर्तन हो चुका है.
यह चार वे महत्वपूर्ण ग्रह हैं, जो समाज, राजनीति सहित वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक उथल-पुथल मचाते हैं. लिहाजा देखने वाली बात यह होगी कि आखिर इन ग्रहों के परिवर्तन से किस तरह के योग का निर्माण होगा और उसका नकारात्मक-सकारात्मक प्रभाव किस रूप में देश-दुनिया पर पड़ेगा.
शनि का राशि परिवर्तन
29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश कर चुके हैं लेकिन उससे पहले ही ऐसा अनुमान लगाया गया था कि जब भी शनि राशि परिवर्तन करेंगे, तो देश-दुनिया में युद्ध और कई बड़ी घटनाएं घटित हो सकती हैं. ऐसे में देखा गया कि शनि के मीन राशि में गोचर करते ही 29 मार्च 2025 को साल का पहला सूर्य ग्रहण घटित हुआ हालांकि इसे भारत में नहीं देखा गया.
परंतु यह ग्रहण यूरोप, एशिया के उत्तरी इलाकों, अफ्रीका के उत्तरी व पश्चिमी इलाकों समेत नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका के उत्तरी हिस्सों, अटलांटिक व आर्कटिक क्षेत्रों में नजर आया। यही नहीं शनि के मीन में आने से इस राशि में छह ग्रहों की युति भी हुई. ऐसा माना गया है कि जब साल 2019 में कोरोना ने दस्तक दी थी, तब भी इसी तरह 6 ग्रहों की युति बनी हुई थी.
गुरु और राहु-केतु का राशि परिवर्तन
14 मई 2025 को गुरु वृषभ से अपनी यात्रा को विराम देते हुए मिथुन राशि में प्रवेश कर चुके हैं. जब भी देवगुरु अपनी चाल में बदलाव करते है, तो देश-दुनिया पर इसका खास प्रभाव पड़ता है. मान्यता है कि गुरु ग्रह की असामान्य गति से धरती पर काफी उथल-पुथल मच सकती हैं, वहीं गुरु के बाद 18 मई 2025 को राहु कुंभ और केतु सिंह राशि में प्रवेश कर चुके हैं.
राहु एक राशि में लगभग 18 महीने तक रहते हैं, इसलिए वह जब भी राशि परिवर्तन करते हैं, तो देश में नई महामारी के आने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में एक बार फिर देश में कोरोना वायरस की दस्तक से लोगों की मुश्किलें बढ़ रही हैं.
शनि-राहु की युति से हो सकती है बड़ी घटना
शनि मीन राशि में विराजमान है. यह जल तत्व की राशि है. ऐसे में राहु का कुंभ राशि में गोचर शनि से युति निर्माण कर रहा है. ऐसा माना जाता है कि जब भी शनि-राहु युति की होती है, तो व्यक्तिगत स्तर से लेकर देश-दुनिया में कुछ विशेष घटनाएं घटती हैं, जिसे शुभ नहीं माना जाता है.
शनि-गुरु की युति
जब शनि के मीन राशि में प्रवेश किया था तब गुरु वृषभ राशि में गोचर कर रहे थे. ऐसे में उनका नजदीकी संबंध बना हुआ था, जिससे गुरु की स्थिति कमजोर होती है और विश्व में रोग बढ़ता है। परंतु अब गुरु मिथुन राशि में मौजूद है और यह गोचर एक अतिचारी गति है जिसको ज्योतिष में आसामान्य माना जाता है. यदि गुरु जैसे शुभ ग्रह अतिचारी गति से गोचर करते हैं, तो यह समय अशुभ होता है.
इसके अलावा आगामी दिनों में 19 अक्तूबर 2025 को बृहस्पति कर्क राशि में प्रवेश करेंगे. यह सामान्य अवस्था नहीं है, क्योंकि देवगुरु बृहस्पति एक राशि में लगभग 12 महीने तक रहते हैं ऐसे में गुरु के अतिचारी होने से धरती पर उथल-पुथल मच सकती है, चाहे वह सत्ता के क्षेत्र में हो या फिर जनता में इस दौरान भूकंप की स्थिति और मौसम में भी कई बदलाव आ सकते हैं.
इससे पहले भी ऐसे ग्रह योग ने मचाई थी तबाही
1918 में स्पैनिश फ्लू नाम से एक महामारी फैली थी जिसकी शुरुआत स्पेन से हुई थी. इस महामारी से दुनिया में करोड़ों लोग संक्रमित हुए थे. उस समय भी बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ था. सन 1991 में ऑस्ट्रेलिया में माइकल एंगल नाम का बड़ा कम्प्यूटर वायरस सामने आया था जिसने इंटरनेट और कम्यूटर फील्ड में वैश्विक स्तर पर बड़े नुकसान किये थे और उस समय भी गोचर में बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ.
सन 2005 में एच-5 एन-1 नाम से एक बर्डफ्लू फैला था और उस समय में भी गोचर में बृहस्पति-केतु का योग बना हुआ था. ऐसे में जब भी बृहस्पति-केतु का योग बनता है उस समय में बड़े संक्रामक रोग और महामारियां सामने आती हैं. 2005 में जब बृहस्पति-केतु योग के दौरान बर्डफ्लू सामने आया था तब बृहस्पति-केतु का योग पृथ्वी तत्व राशि में होने से यह एक सीमित एरिया में ही फैला था.
2025 में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में रहेगी
26 दिसंबर 2019 के सूर्य ग्रहण के समय बड़े ग्रह शनि और गुरु अन्य ग्रहों सूर्य, बुध और चन्द्रमा के साथ होकर धनु राशि में केतु के साथ युति कर रह थे. उस समय केतु के नक्षत्र मूल में सूर्य ग्रहण लगा था जिसके बाद से कोरोना वायरस तेज़ी से फैला और एक वैश्विक महामारी बन गया. वर्तमान में यदि हम गोचर की स्थिति देखें तो मीन राशि में शनि का गोचर 29 मार्च से शुरू हुआ था.
शनि ने जल तत्व की राशि मीन में गोचर करके राहु से युति की और इसी के साथ ही अप्रैल-मई में दक्षिण पूर्व एशिया के सिंगापुर और हांगकांग, जो समुद्र के नज़दीक हैं, में कोरोना वायरस के मामले तेज़ी से बढे़. जल राशि में शनि का वायरस यानि सूक्ष्म जीव के कारक ग्रह राहु से आ मिलना कोरोना वायरस के मामले बढ़ने का कारण बना, किन्तु राहु अब मीन राशि को छोड़कर कुंभभ राशि में प्रवेश कर चुके हैं इसलिए कोरोना वायरस का बड़ा खतरा नहीं दिख रहा.
कुंभ राशि में राहु के प्रवेश की वजह से अगले महीने के शुरू में ही सिंगापुर और हांगकांग में कोरोना के मामले कम हो सकते हैं. मंगल 6 जून को सिंह राशि में प्रवेश करेंगे जिससे मंगल की युति केतु से होगी जिससे कुछ शहरों में कोरोना वायरस के मामले बढ़ेंगे किंतु स्थिति नियंत्रण में रहेगी और महामारी के स्तर तक नहीं पहुँच पाएगी.
इनका करें उपयोग
शास्त्रार्थ उल्लेख है कि हमारे जीवन में कुछ ऐसी वस्तुएं हैं. जिन में किसी भी नकारात्मक वस्तु को रोकने की शक्ति होती है और इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है. यह आसानी से कहीं पर भी मिल जाती है. ज्योतिष शास्त्र में हींग प्याज अदरक नींबू लहसुन तुलसी काली मिर्च लौंग दालचीनी इलायची और राई को किसी भी संक्रमण और नकारात्मक ऊर्जा का काट बताया गया है.
सरसों के तेल की मालिश अपने हाथ पीठ छाती और पैरों पर जरूर करें. जीवन से बढ़कर कोई भी आवश्यक वस्तु नहीं है. भीड़-भाड़ से दूर रहना, मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करने में हम सबकी भलाई है. कोविड वैक्सीन जरूर लगवाएं.
क्या करे उपाय
- हं हनुमते नमः, ऊॅ नमः शिवाय, हं पवननंदनाय स्वाहा का जाप करें.
- महामृत्युंजय मंत्र और दुर्गा सप्तशती पाठ करना चाहिए.
- माता दुर्गा, भगवान शिव, हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए.
- घर पर हनुमान जी की तस्वीर के समक्ष सुबह और शाम आप सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
- सरसों के तेल का दीपक सुबह 9:00 बजे से पहले और सांयकाल 7:00 बजे के बाद जलाना है.
- गोमूत्र, कपूर, गंगाजल, नमक और हल्दी मिलाकर प्रतिदिन घर में पोछा लगाएं.
- घर के मुख्य द्वार के दोनों साईड ( अंदर-बाहर ) बैठे हुए पंचमुखी बालाजी की तस्वीर लगाएं. ईश्वर की आराधना संपूर्ण दोषों को नष्ट एवं दूर करती है.
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