Newborn Jaundice : नवजात बच्चों में पीलिया एक आम समस्या है, जो अक्सर जन्म के बाद पहले हफ्ते में दिखाई देती है. पीलिया के कारण बच्चे की स्किन और आंखों का सफेद भाग पीला हो जाता है. ऐसा उनके शरीर में बिलीरुबिन ज्यादा बनने की वजह से होता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नवजात शिशुओं में पीलिया होने के एक नहीं कई कारण होते हैं. इसमें बच्चे का संपूर्ण विकास न होना, प्रेगनेंट महिलाओं का पौष्टिक आहार न लेना शामिल है.
आमतौर पर ये समस्या कुछ दिनों के अंदर ठीक भी हो जाती है, लेकिन कभी-कभी गंभीर रूप भी ले सकती है. ऐसे में नवजात की सही देखभाल बेहद जरूरी होती है. खासकर पैरेंट्स को इसका ज्यादा ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते हैं कि नवजात बच्चों को पीलिया क्यों होता है और यह कितना खतरनाक हो सकता है…
न्यूबॉर्न को पीलिया होने के कारण
1. नवजात बच्चों में बिलीरुबिन का स्तर अधिक होता है, जो पीलिया का कारण बनता है.
2. नवजात बच्चों का लिवर पूरी तरह से विकसित नहीं होता है, जिससे बिलीरुबिन का टूटना धीमा हो जाता है.
3. नवजात बच्चों में लाल रक्त कोशिकाओं (RBC) का टूटना अधिक होता है, जिससे बिलीरुबिन का स्तर बढ़ता है.
नवजात में पीलिया के लक्षण
त्वचा और आंखों का पीलापन
वजन कम होना
थकान और कमजोरी
भूख न लगना
नवजात में पीलिया क्यों खतरनाक
नवजात बच्चों में पीलिया का खतरा तब बढ़ जाता है जब इसका इलाज नहीं किया जाता है. पीलिया के गंभीर मामलों में बच्चे को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. इनमें केर्निक्टरस होने का खतरा रहातै ह, जो एक गंभीर समस्या है. जिसमें बिलीरुबिन का हाई लेवल ब्रेन को नुकसान पहुंचा सकता है.
इसके अलावा पीलिया के गंभीर मामलों में बच्चे को सुनने की समस्या हो सकती है. बच्चे का विकास भी धीमा हो सकता है. डॉक्टर्स का कहना है कि वैसे तो पीलिया 1-2 हफ्तों में खुद ही ठीक हो जाता है. लेकिन कुछ स्थिति में गंभीर बन सकता है. शरीर में बिलीरुबिन का लेवल ज्यादा बढ़ने से बच्चों के दिमाग को नुकसान पहुंचता है, उनका मानसिक विकास रूक जाता है.
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पीलिया से बच्चों को कैसे बचाएं
नवजात बच्चों में पीलिया का इलाज आमतौर पर फोटोथेरेपी से किया जाता है. इस इलाज में बच्चे को विशेष प्रकार की रोशनी में रखा जाता है, जो बिलीरुबिन को तोड़ने में मदद करती है. इसके अलावा, बच्चे को नियमित रूप से मां का दूध पिलाना और उसकी त्वचा की देखभाल करना भी उन्हें इस बीमारी से बचाने में मदद करता है.
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