चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना इस मुहूर्त में भूलकर भी न करें, 9 दिन की पूजा विधि जानें

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Chaitra Navratri Ghatasthapana 2025 Time: चैत्र नवरात्र यानी बासंतिक नवरात्रि इस साल 9 नहीं बल्कि 8 दिन के होंगे. मान्यता है कि इस अवधि में यदि सच्चे भाव से उपासना की जाए, तो न केवल जीवन में सुख-समृद्धि बल्कि घर परिवार और करियर में भी शुभ परिणामों की प्राप्ति होती हैं.

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की परंपरा भी सदियों से चली आ रही है. कहते हैं जहां शुभ मुहूर्त में घटस्थापना होती है तो वहां सदा मां दुर्गा का आशीर्वाद बना रहता है, संकटों के बादल कभी नहीं मंडराते हैं ऐसी मान्यता है. चैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना से लेकर पूजा सामग्री, विधि जानें.

घटस्थापना कब है ?

चैत्र नवरात्रि का पहला दिन 30 मार्च 2025 को है. इस दिन से महानवमी तक 9 दिन के व्रत की शुरुआत होती है. नवरात्रि के दिन घटस्थापना, अखंड ज्योति जलाई जाती है. घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए. राहुकाल समय में घटस्थापना न करें, इसे अशुभ माना गया है.

कलश स्थापना मुहूर्त

चैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 13 मिनट से 10 बजकर 22 मिनट तक रहने वाला है.  इस दौरान आप कलश स्थापना कर सकते हैं. अभिजित मुहूर्त सुबह 11:59 से दोपहर 12:49 तक है. इस दौरान कुल 4 घंटे और 40 मिनट के 2 मुहूर्त रहेंगे.

घटस्थापना की सामग्री

  • मिट्टी का बर्तन और कलश
  • किसी पवित्र स्थान की मिट्टी (मंदिर या घर के गमले से)
  • साफ जवा, मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर, फूल माला
  • पान, अखंड ज्योति के लिए दीया, लाल रंग का कपड़ा
  • शहद, इत्र, घी, गुड़, धूप, कपूर, नैवेद्य
  • हल्दी की गांठ, फूल, फूल माला, कलावा/मौली, सुपारी, सिंदूर
  • नैवेध, दूध, वस्त्र, दूर्वा, अक्षत, रुई की बाती
  • नारियल, मिठाई, फल, पंचामृत, आम या अशोक के पत्ते
  • मौली, जटाओं वाला नारियल, अगरबत्ती, दही
  • गंगाजल, सिक्का, साफ लाल कपड़ा

चैत्र नवरात्रि की पूजा विधि

  • नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. अब  एक चौकी बिछाकर वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं.
  • फिर रोली और अक्षत से टीका करें और फिर वहां माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद विधि विधान से माता की पूजा करें.
  • इस बात का ध्यान रखें कि कलश हमेशा उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में स्थापित करें.
  • कलश के मुंह पर चारों तरफ अशोक के पत्ते लगाकर  नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांध दें.
  • अब अम्बे मां का आह्वान करें और दीपक जलाकर पूजा करें.
  • रोजाना 9 दिन तक सुबह शाम माता के अलग-अलग स्वरूप पूजा करें, भोग लगाएं और आरती करें.
  • आखिरी दिन कन्या भोजन करें, हवन करने के बाद ही व्रत पारण करें.

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