Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि शक्ति साधना और देवी भक्ति का महान पर्व है. नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर किया जाने वाला कन्या पूजन देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का सार माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन नौ कन्याओं को माता के नौ रूप मानकर पूजन, भोजन और वंदन किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि इस पूजन में थोड़ी भी भूल हो जाए, तो उसका पुण्यफल नहीं मिलता? ऐसे में यह ज़रूरी है कि आप कन्या पूजन की विधि, नियम और शुभ मुहूर्त को सही ढंग से पालन करें
शास्त्रों में कन्या पूजन का महत्व
देवी भागवत पुराण और मार्कंडेय पुराण के अनुसार, नौ कन्याओं को मां दुर्गा के नौ स्वरूपों के रूप में पूजना सबसे श्रेष्ठ माना गया है. मनुस्मृति में कहा गया है कि कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर सेवा करने से परिवार में धन, ऐश्वर्य और सुख-शांति बनी रहती है.
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त (Kanya Pujan Muhurat 2025 Date): ज्योतिषाचार्य डॉक्टर अनीष व्यास बताते हैं कि कन्या पूजन अष्टमी या नवमी तिथि को किया जाता है. पंचांग अनुसार यानि 5 अप्रैल 2025 को सुबह 07:41 से सुबह 09:15, दोपहर 12:24 – दोपहर 01:58 तक कर सकते हैं. राम नवमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के लिए अभिजीत मुहूर्त सबसे अच्छा समय है. ऐसे में सुबह 7.40 से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक कन्या पूजन कर सकते हैं. अगर सुबह संभव न हो, तो सायंकाल (शाम) में भी किया जा सकता है. muhurat 2025
कन्या पूजन के लिए आवश्यक सामग्री (Kanya Pujan 2025 Samagri)
- कलश और जल
- रोली, कुमकुम, हल्दी, अक्षत (चावल)
- फूल, माला और पान के पत्ते
- दीपक और अगरबत्ती
- गंगाजल और शुद्ध जल
- मिठाई और फल
- सिंदूर और चूड़ियां
- भोजन के लिए पूरी, चना और हलवा
पूजन के लिए कन्याओं का चयन
- 2 से 10 वर्ष की कन्याओं का पूजन श्रेष्ठ माना जाता है.
- 9 कन्याएं पूजना उत्तम है, लेकिन कम से कम 2, 5 या 7 कन्याओं को भी पूजा जा सकता है.
- यदि एक कन्या भी उपलब्ध न हो, तो गौ (गाय) पूजन करना भी वैकल्पिक उपाय है.
- 1 बालक (लंगूर-भैरव स्वरूप) को भी आमंत्रित करें, क्योंकि यह आवश्यक माना जाता है. और अधिक जानने के लिए ये पढ़ें- कन्या पूजन के दौरान कन्याओं के साथ क्यों होना चाहिए लंगूर
पूजन विधि (Pujan Vidhi Step-by-Step)
- स्थान और कन्याओं का स्वागत
- घर में शुद्ध स्थान पर पूजा की व्यवस्था करें.
- कन्याओं को स्वच्छ वस्त्र पहनाकर आदरपूर्वक आमंत्रित करें.
- उनके चरण धोकर (गंगाजल या स्वच्छ जल से) पाँव पोंछने के लिए स्वच्छ कपड़ा दें
कन्याओं का पूजन (Kanya Pujan Vidhi)
- सभी कन्याओं को तिलक लगाकर, अक्षत और फूल चढ़ाएं.
- उन्हें माला पहनाएं और पैर छूकर आशीर्वाद लें.
- फिर उन्हें मिठाई या फल अर्पित करें.
- चूड़ियां और लाल वस्त्र भी भेंट कर सकते हैं.
भोग (भोजन) अर्पण: पारंपरिक रूप से हलवा, चना और पूरी का प्रसाद बनाएं.पहले मां दुर्गा को नैवेद्य अर्पित करें, फिर कन्याओं को भोजन कराएं. जब तक कन्याएं भोजन कर रही हों, तब तक स्वयं भोजन न करें.
दक्षिणा और विदाई: भोजन के बाद दक्षिणा (धन या उपहार) दें. कन्याओं को प्रणाम करके विदा करें. जाते समय उन्हें एक नारियल और मिठाई देना शुभ माना जाता है.
कन्या पूजन में क्या न करें?
किसी कन्या को जबरदस्ती न बुलाएं. यदि वे सहज न हों, तो उन्हें न बुलाएं. अशुद्धता (खराब वस्त्र, गंदगी) में पूजन न करें. पूजन करते समय क्रोध या अपशब्द न बोलें. कन्याओं के साथ भेदभाव न करें (सभी को समान रूप से सम्मान दें).
कन्या पूजन से मिलने वाले लाभ
मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है. घर में सुख-समृद्धि और धन-वैभव बढ़ता है. संतान सुख में वृद्धि होती है. सभी दोषों (पितृ दोष, ग्रह दोष) की शांति होती है.
शास्त्रों में कहा गया है:
‘या देवी सर्वभूतेषु कन्यारूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः.
(अर्थात, ‘जो देवी कन्याओं के रूप में इस संसार में व्याप्त हैं, उन्हें बार-बार नमन है.)
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