छींकना एक सामान्य शारीरिक क्रिया है जो धूल, पोलेन या किसी बाहरी कण के नाक में जाने पर उसे बाहर निकालने के लिए होती है. यह आमतौर पर हानिरहित होती है, लेकिन कुछ दुर्लभ परिस्थितियों में बहुत जोर से या गलत तरीके से छींकने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जो जानलेवा भी साबित हो सकती हैं. हालांकि, छींकने से सीधे मौत होना बेहद असामान्य है, लेकिन इससे जुड़ी जटिलताएं खतरनाक हो सकती हैं.
किन स्थितियों में छींकना हो सकता है खतरनाक?
- दिमाग में ब्लीडिंग: बहुत ज़ोर से छींकने पर दिमाग की रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसल्स) पर अचानक दबाव बढ़ सकता है. यदि किसी व्यक्ति के दिमाग में पहले से कोई कमजोर रक्त वाहिका या एन्यूरिज्म (खून की नली में गुब्बारा जैसा फूलना) हो, तो छींकने से वह फट सकता है. इससे दिमाग में खून बहने लगता है, जिसे सेरेब्रल हेमरेज कहते हैं. यह स्थिति जानलेवा हो सकती है और तुरंत मेडिकल इमरजेंसी की जरूरत होती है.
- पसलियों का टूटना: अत्यधिक ज़ोर से या बार-बार छींकने से पसलियों पर इतना दबाव पड़ सकता है कि वे टूट सकती हैं. यह खासकर उन लोगों में हो सकता है जिनकी हड्डियां कमजोर होती हैं, जैसे ऑस्टियोपोरोसिस के मरीज या बुजुर्ग. टूटी हुई पसली फेफड़ों या आस-पास के अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे और गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं.
- फेफड़े का फटना: बहुत जोर से छींकने से फेफड़ों में हवा के दबाव में अचानक वृद्धि होती है. दुर्लभ मामलों में, इससे फेफड़े का एक छोटा सा हिस्सा फट सकता है, जिससे हवा फेफड़े और छाती की दीवार के बीच जमा हो जाती है. इसे न्यूमोथोरैक्स कहते हैं. यह स्थिति सांस लेने में गंभीर समस्या पैदा कर सकती है और जानलेवा हो सकती है, अगर तुरंत इलाज न मिले.
- गले या छाती में चोट: अगर कोई व्यक्ति छींक को रोकने की कोशिश करता है, तो गले और छाती में हवा का दबाव खतरनाक स्तर तक बढ़ सकता है. इससे गले में रक्त वाहिकाएं या वायुमार्ग क्षतिग्रस्त हो सकते हैं. कुछ मामलों में, इससे अन्नप्रणाली (एसोफैगस) या वायु नली (ट्रेकिआ) को नुकसान पहुंच सकता है.
- गर्दन में चोट: अचानक और तेज़ छींकने पर गर्दन की मांसपेशियों या लिगामेंट्स में खिंचाव या चोट लग सकती है. हालांकि यह जानलेवा नहीं होता, पर इससे गंभीर दर्द और असुविधा हो सकती है.
छींकने से जुड़े खतरों को कम करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
- छींक को रोकने की कोशिश न करें. जब आपको छींक आए, तो उसे स्वाभाविक रूप से निकलने दें. अपनी नाक और मुंह को कसकर बंद करने से बचें, क्योंकि इससे शरीर के अंदर दबाव बढ़ सकता है, जो खतरनाक हो सकता है.
- ठीक से छींकें. छींकते समय अपने मुंह और नाक को टिश्यू या अपनी कोहनी से ढंकें. यह न केवल दूसरों तक कीटाणुओं को फैलने से रोकता है, बल्कि दबाव को भी थोड़ा कम कर सकता है.
- धूल और एलर्जी से बचें. अगर आपको एलर्जी है, तो उन चीजों से दूर रहें जो आपको छींकने पर मजबूर करती हैं. एलर्जी की दवाएं लेने पर भी विचार करें.
- स्वस्थ रहें. अपनी हड्डियों और रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार लें और नियमित व्यायाम करें.
- लक्षणों पर ध्यान दें. अगर आपको छींकने के बाद अचानक तेज सिरदर्द, छाती में दर्द, सांस लेने में दिक्कत या शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
- छींकना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इससे डरने की ज़रूरत नहीं है. हालांकि, ऊपर बताई गई दुर्लभ जटिलताओं के बारे में जानकारी रखना और सावधानी बरतना बुद्धिमानी है. खासकर यदि आपको पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है. अपनी सेहत को लेकर कोई भी
- असामान्य लक्षण दिखने पर हमेशा डॉक्टर की सलाह लें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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