मां बनना हर महिला का ख्वाब होता है. ये जीवन का ऐसा पल होता है, जिसकी खुशी को सिर्फ एक मां ही महसूस कर सकती है. इस अहसास को शब्दों में बयां करना आसान नहीं होता. लेकिन कई बार हेल्थ प्राॅब्लम के चलते ये सपना अधूरा सा लगने लगता है. इन्हीं में से एक है ऑटो इम्यून डिजीज एप्ला (एंटीफोसफोलिपिड एंटीबाॅडीज) है. इस ऑटोइम्यून डिजीज के चलते न सिर्फ शरीर पर असर पड़ता है, बल्कि ये महिलाओं के मां बनने के सपन में भी बड़ी बाधा बनता है. इस बीमारी के क्या लक्षण हैं और ये कितनी खतरनाक हो सकती है, आइए जानते हैं…
फेसम एक्ट्रेस भी पीड़ित
पिछले दिनों बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी कुंद्रा ने बताया था कि बेटे वियान के बाद वह लंबे समय से एक और बच्चा चाह रही थीं. क्योंकि वह खुद को बहनें हैं, इसलिए जानती हैं कि भाई-बहन का कितना महत्व होता है. लेकिन एप्ला के चलते उन्हें कई कॉम्प्लिकेशंस से गुजरना पड़ा. इसके चलते कई बार मिसकैरेज हुआ.
क्या है एप्ला?
एप्ला एक ऑटोइम्यून डिजीज है. इस तरह की डिजीज में हमारा शरीर ही खुद अपना दुश्मन बन जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार ये बीमारी महिला-पुरुष किसी को भी हो सकती है. इस बीमारी में स्वस्थ कोशिकाओं पर हमले से शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं. इस सिंड्रोम का असर शरीर की नसों, धमनियों और अंगों पर पड़ता है. ब्ल्ड सर्कुलेशन प्रभावित होने के कारण किडनी, फेफड़े, ब्रेन, हाथ-पैर और प्रेग्नेंसी पर असर देखने को मिल सकता है. इसमें अंगो के निष्क्रिय होने के अलावा बार-बार गर्भपात जैसी समस्या भी सामने आ सकती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक यह बीमारी 20 से 50 साल की उम्र के लोगों में देखने को मिल सकती है. दुनियाभर में एक लाख में से 40 से 50 लोगों को ही यह बीमारी होती है.
महिलाओं पर अधिक असर
यह बीमारी पुरुषों की अपेक्षा ज्यादातर महिलाओं में पाई जाती है. इस बीमारी में महिला के शरीर में ऐसी कोशिकाएं बनने लगती हैं, जो स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें खत्म कर देती हैं. इसका कारण आनुवांशिक या फिर हार्मोनल हो सकता है. ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होना प्लेसेंटा में थक्के का कारण बन सकता है, जिससे कोख में बच्चे तक रक्त का प्रवाह कम हो जाता है. गर्भपात हो सकता है या फिर बच्चा अविकसित या मृत पैदा हो सकता है.
ये लक्षण आ सकते हैं नजर
- जोड़ों में दर्द और सूजन, चलने में या उंगलियों को मोड़ने में परेशानी
- मुंह में छाले होना, स्किन रैशेज, आंखों में जलन और बालों का झड़ना
- सिरदर्द, बुखार, छाती में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, वजन कम होना
- थकान, चक्कर आना, महिलाओं में बार-बार गर्भपात होना
- गंभीर स्थिति में शरीर के अंगों का निष्क्रिय होना
क्या है इस बीमारी का इलाज?
डाॅक्टर के मुताबिक इसका समय से इलाज किया जाए तो समस्याओं से बचा जा सकता है. ब्लड टेस्ट से इस बीमारी को डायग्नोज किया जा सकता है. कई केसेज में अगर पहले ही एप्ला सिंड्रोम होने का पता चल जाए तो इलाज के बाद महिलाएं सामान्य प्रसव से भी मां बन सकती हैं.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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