Islam Religion: दुनिया में जितने भी धर्म हैं सभी की अपनी अलग-अलग मान्यताएं और रीति-रिवाज है. हिंदू धर्म में जिस तरह अभिवादन के लिए नमस्ते, प्रणाम या नमस्कार जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है. वहीं इस्लाम में जब लोग एक दूसरे से मिलते हैं तो ‘अस्सलाम वालेकुम’ कहते है. सदियों से इस्लाम धर्म में कई तरह के अभिवादनों के नाम से बोला जाता है. जैसे- रहमतुल्लाह, बरकातुह आदि. पवित्र किताब हदीस में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति गैर मुस्लिमों को भी सलाम करता है तो उसमें भी कोई हर्ज नहीं होनी चाहिए.
इस्लाम धर्म में अभिवादन करने के लिए “अस्सलाम वालेकुम” क्यों कहा जाता है
अस्सलाम वालेकुम का शाब्दिक अर्थ होता है- आप भी सलामत रहें और आप पर अल्लाह की बरकत और रहमत बरकरार रहें. इसे बोलने का सही तरीका होता है अस सलामू अलेयकुम है. परंपरा के अनुसार, मुस्लिम व्यक्ति को अपने जीवन में जब भी कोई अपने धर्म का या दूसरे धर्म का मिलता है तो उसे हाथ आगे बढ़ाकर और सिर झुकाकर सामने वाले व्यक्ति को अस्सलाम वालेकुम करना होता है. लोगों को अस्सलाम वालेकुम के जवाब में “वालेकुम अस्सलाम” बोलना होता है.
दुनिया के अलग-अलग देशों में अस्सलाम वालेकुम किस तरह बोला जाता है
दुनिया के अलग- अलग देशों में इसका हाव-भाव अलग तरह का होता है. जैसे अरब देश साऊदी अरब, ईरान, इराक,सीरिया, जार्डन, तुर्की आदि देशों में हाथ मिलाने के बाद दो या तीन बार गोलों को चूमा जाता है और उसके बाद अस्सलाम वालेकुम किया जाता है. पाकिस्तान में अभिवादन करने के लिए हाथ मिलाना होता है जिसे इसे करने का एक तरीका है. इंडोनेशिया में सलाम के बाद आमतौर पर दो हाथ मिलाते है. इसको सलाम को रूप में भी प्रयोग किया जाता है जिसे हम आमतौर पर खुदा हाफिज या अल्लाह हाफिज के नाम से भी जानते है जिसका मतलब होता है- ईश्वर व्यक्ति को सुरक्षित रखे.
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