सावन का पावन महीना 11 जुलाई से शुरू हो चुका है. हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और आस्था का पर्याय माना जाता है. आइए आपको भगवान भोले नाथ के उन मंदिरों के बारे में बताते हैं, जिनके दर्शन करते किस्मत बदल जाती है. साथ ही, जानते हैं कि इन मंदिरों तक कैसे पहुंचा जा सकता है?
अमरनाथ गुफा, जम्मू कश्मीर
- जम्मू-कश्मीर में मौजूद अमरनाथ गुफा के दर्शन भोले बाबा का हर भक्त अपने जीवन में एक बार जरूर करना चाहता है. यहां प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है, जिसके दर्शन के लिए सावन महीने में लाखों श्रद्धालु अमरनाथ जाते हैं.
- हवाई मार्ग: अमरनाथ गुफा का नजदीकी एयरपोर्ट श्रीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है. यहां से पहलगाम (91 किमी) और बालटाल (93 किमी) तक टैक्सी या बस से पहुंच सकते हैं. इन दोनों पॉइंट से पंचतरणी तक हेलिकॉप्टर सेवा मिल जाती है. इसके बाद पैदल या पालकी से सफर करना पड़ता है.
- रेल मार्ग: अगर आप ट्रेन से जा रहे हैं तो जम्मूतवी सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो पहलगाम से 250 किमी और बालटाल से 275 किमी दूर है.
- सड़क मार्ग: आप सड़क मार्ग से जम्मू आकर बालटाल या पहलगाम के रास्ते अमरनाथ गुफा के दर्शन करने जा सकते हैं. जम्मू से पहलगाम होते हुए जाने के लिए जम्मू, पटनीटॉप, अनंतनाग, पहलगाम, चंदनवाड़ी, शेषनाग, पंचतरणी और गुफा वाला रूट लेना पड़ता है. वहीं, बालटाल वाले रूट के लिए जम्मू, श्रीनगर, गांदरबल, सोनमर्ग, बालटाल, डोमेल होते हुए गुफा तक जा सकते हैं.
- लोकल ट्रांसपोर्ट: जम्मू से बालटाल या पहलगाम तक टैक्सी या बसें मिल जाती हैं. वहीं, पहलगाम और बालटाल से बेस कैंप तक लोकल ट्रांसपोर्ट या घोड़ा-पालकी आदि से जा सकते हैं.
काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
- काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव की प्रिय नगरी वाराणसी में गंगा नदी के तट पर बना है. सावन के दौरान लाखों कांवड़िए गंगाजल लेकर यहां भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं.
- हवाई मार्ग: वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा मंदिर से करीब 25 किमी दूर है. दिल्ली, मुंबई, और कोलकाता से नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं. हवाई अड्डे से मंदिर तक टैक्सी या ऑटो से पहुंचा जा सकता है.
- रेल मार्ग: वाराणसी जंक्शन और काशी रेलवे स्टेशन मंदिर से 3-5 किमी दूर हैं. देश के प्रमुख शहरों से वाराणसी के लिए ट्रेनें मिलती हैं.
- सड़क मार्ग: वाराणसी नेशनल हाईवे से अच्छी तरह जुड़ा है. लखनऊ से इसकी दूरी 300 किमी है, जबकि प्रयागराज से यह 120 किमी दूर है. हर जगह से वाराणसी के लिए बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं.
- लोकल ट्रांसपोर्ट: मंदिर तक पहुंचने के लिए ऑटो-रिक्शा, साइकिल रिक्शा या ई-रिक्शा ले सकते हैं. मंदिर प्रशासन ने ऑनलाइन दर्शन पंजीकरण की सुविधा शुरू की है. आप www.srikashivishwanath.org वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.
महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन
- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग दक्षिणमुखी शिवलिंग के लिए मशहूर है. सावन के महीने में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. वहीं, भोले बाबा की भस्म आरती में शामिल होने के लिए भक्त रात से ही लाइनों में लग जाते हैं.
- हवाई मार्ग: इंदौर का देवी अहिल्याबाई होल्कर हवाई अड्डा उज्जैन से 55 किमी दूर है. वहां से टैक्सी या बस से मंदिर पहुंचा जा सकता है.
- रेल मार्ग: उज्जैन जंक्शन रेलवे स्टेशन मंदिर से 2 किमी दूर है. दिल्ली, मुंबई, और भोपाल से सीधी ट्रेनें मिलती हैं.
- सड़क मार्ग: उज्जैन भोपाल से 190 किमी और इंदौर से 55 किमी दूर है. यहां राज्य परिवहन की बसें और प्राइवेट टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं.
- लोकल ट्रांसपोर्ट: मंदिर तक ऑटो या टैक्सी से पहुंच सकते हैं. भस्म आरती के लिए www.mahakaleshwar.nic.in वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना अनिवार्य है.
बैद्यनाथ धाम, देवघर
- बैद्यनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. सावन के महीने में यहां देश के सबसे बड़े कांवड़ मेलों में से एक का आयोजन होता है. यही वजह है कि यहां भोले के भक्तों का रेला लगा रहता है.
- हवाई मार्ग: रांची का बिरसा मुंडा हवाई अड्डा (250 किमी) या पटना हवाई अड्डा (270 किमी) देवघर के सबसे नजदीकी एयरपोर्ट हैं. वहां से टैक्सी या बस आसानी से मिल जाती हैं.
- रेल मार्ग: जसीडीह जंक्शन रेलवे स्टेशन देवघर से महज 8 किमी दूर है. यहां से बैद्यनाथ धाम आसानी से पहुंचा जा सकता है.
- सड़क मार्ग: रांची, पटना और कोलकाता (320 किमी) से देवघर सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है. सावन के महीने में यहां स्पेशल कांवड़ बसें चलती हैं.
- लोकल ट्रांसपोर्ट: जसीडीह से मंदिर तक ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं. मंदिर में दर्शन के लिए स्पेशल लाइनें बनाई जाती हैं.
सोमनाथ मंदिर, गुजरात
- सोमनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में पहले पायदान पर आता है. समुद्र तट पर बना यह मंदिर अपनी भव्यता के लिए मशहूर है. सावन में यहां जलाभिषेक करने वालों की लाइनें लगी रहती हैं.
- हवाई मार्ग: दीव हवाई अड्डा (90 किमी) या राजकोट हवाई अड्डा (190 किमी) सोमनाथ के नजदीकी एयरपोर्ट हैं. वहां से टैक्सी या बस उपलब्ध हैं.
- रेल मार्ग: वेरावल रेलवे स्टेशन मंदिर से 7 किमी दूर है. अहमदाबाद और मुंबई से ट्रेनें उपलब्ध हैं.
- सड़क मार्ग: अहमदाबाद (400 किमी) और जूनागढ़ (85 किमी) से बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं.
- लोकल ट्रांसपोर्ट: वेरावल से मंदिर तक ऑटो या टैक्सी ले सकते हैं. मंदिर की वेबसाइट (www.somnath.org) पर दर्शन की जानकारी उपलब्ध है.
त्र्यंबकेश्वर मंदिर, नासिक
- त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के तट पर अपने त्रिमुखी शिवलिंग के लिए जाना जाता है. सावन में यहां रुद्राभिषेक करने वालों की कमी नहीं होती है.
- हवाई मार्ग: नासिक का ओझर हवाई अड्डा (30 किमी) या मुंबई हवाई अड्डा (180 किमी) त्र्यंकबेश्वर मंदिर के नजदीकी एयरपोर्ट हैं. यहां से मंदिर के लिए टैक्सी या बस आसानी से मिल जाते हैं.
- रेल मार्ग: नासिक रोड रेलवे स्टेशन (35 किमी) से मंदिर तक टैक्सी या बस ले सकते हैं.
- सड़क मार्ग: मुंबई (180 किमी) और पुणे (200 किमी) से सड़क मार्ग के रास्ते नासिक पहुंच सकते हैं.
- लोकल ट्रांसपोर्ट: त्र्यंबकेश्वर शहर से मंदिर तक ऑटो या प्राइवेट वाहन से पहुंचा जा सकता है. मंदिर में दर्शन के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा भी उपलब्ध है.
नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश
- ऋषिकेश में हिमालय की तलहटी में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर का कनेक्शन समुद्र मंथन की कथा से भी है. सावन के महीने में यहां बेलपत्र और गंगाजल चढ़ाने वालों का तांता लगा रहता है.
- हवाई मार्ग: देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा (20 किमी) इसका नजदीकी एयरपोर्ट है. वहां से टैक्सी या बस ले सकते हैं.
- रेल मार्ग: ऋषिकेश रेलवे स्टेशन (12 किमी) या हरिद्वार रेलवे स्टेशन (35 किमी) से टैक्सी मिल जाती हैं.
- सड़क मार्ग: दिल्ली (240 किमी) और देहरादून (45 किमी) से नीलकंठ महादेव मंदिर तक के लिए बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं.
- लोकल ट्रांसपोर्ट: मंदिर तक पहुंचने के लिए ऋषिकेश से टैक्सी या जीप ले सकते हैं, जो पहाड़ी रास्ते से 12 किमी की दूरी पर है.
अधूरा शिव मंदिर, देव बलौदा
- छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित अधूरा शिव मंदिर अपनी रहस्यमयी कहानी के लिए मशहूर है. यह मंदिर अधूरा होने के बावजूद चमत्कारिक माना जाता है. सावन के महीने में यहां स्पेशल मेला लगता है.
- हवाई मार्ग: रायपुर का स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा (50 किमी) इसका नजदीकी एयरपोर्ट है. वहां से टैक्सी या बस उपलब्ध हैं.
- रेल मार्ग: दुर्ग रेलवे स्टेशन (15 किमी) या रायपुर रेलवे स्टेशन (40 किमी) से टैक्सी लेकर देव बलौदा पहुंच सकते हैं.
- सड़क मार्ग: रायपुर (40 किमी) और भिलाई (20 किमी) से सड़क मार्ग द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं.
- लोकल ट्रांसपोर्ट: देव बलौदा गांव तक ऑटो या प्राइवेट वाहन से पहुंचा जा सकता है. सावन के महीने में मेला स्थल पर पार्किंग और अन्य सुविधाएं मिलती हैं.
lifestyle, hindi lifestyle news, hindi news, hindi news today, latest hindi news, hindi news, hindi news today,
English News