शादी की खुशियों में चार चांद लगाने के लिए आजकल नाइट्रोजन गैस का धुआं उड़ाया जाता है, जिससे दूल्हा-दुल्हन की एंट्री भव्य तरीके से दिखाई जा सके. इसका मकसद दूल्हा-दुल्हन को बादलों के बीच से निकलते हुए दिखाना होता है. हालांकि, मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में एक शादी-समारोह में हुई ऐसी ही कोशिश ने सात साल की बच्ची की जान ले ली. आइए आपको बताते हैं कि इंसानों की सेहत के लिए यह गैस कितनी खतरनाक होती है?
कैसे हुआ यह हादसा?
मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के कस्बे खुजनेर में 6 मई को एक शादी थी. इसमें वरमाला की रस्म से पहले दूल्हा-दुल्हन की शानदार एंट्री की प्लानिंग की गई थी, जिसके लिए इवेंट मैनेजर ने लिक्विड नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया. दरअसल, लिक्विड नाइट्रोजन जब हवा के संपर्क में आता है तो काफी ज्यादा सफेद धुआं निकलने लगता है. इससे फॉग स्मोक जैसा माहौल हो जाता है, जो देखने में काफी शानदार लगता है, लेकिन सेहत के लिए बेहद खतरनाक होता है. इस शादी में दूल्हा-दुल्हन की एंट्री के लिए एक बर्तन में लिक्विड नाइट्रोजन रखा गया था, जिसमें सात साल की बच्ची वाहिनी गिर गई और बुरी तरह झुलस गई.
लिक्विड नाइट्रोजन ने कैसे पहुंचाया नुकसान?
बता दें कि लिक्विड नाइट्रोजन की ठंडक का स्तर -195.8°C तक होता है, जिससे इंसान का शरीर फ्रॉस्टबाइट (ज्यादा ठंड से शरीर का गलना) या क्रायोजेनिक बर्न का शिकार हो जाता है. लिक्विड नाइट्रोजन के बर्तन में गिरने से बच्ची का शरीर 80 पर्सेंट तक जल गया. उसे तुरंत इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां वह पांच दिन तक जिंदगी के लिए जूझती रही और 10 मई की रात उसने आखिरी सांस ली. इस हादसे ने कस्बे के लोगों को बुरी तरह डरा दिया है. बच्ची के पिता का कहना था कि जिस बर्तन में लिक्विड नाइट्रोजन रखा था, उसकी देखभाल के कोई इंतजाम नहीं थे. कोई जानता तक नहीं था कि इवेंट को शानदार बनाने के मकसद से जिस लिक्विड नाइट्रोजन को इस्तेमाल किया जा रहा है, वह कितनी खतरनाक है. अब लोगों ने ऐसे खतरनाक इवेंट्स पर रोक लगाने की मांग की है. अब परिवार ने बच्ची की आंखें डोनेट करने का फैसला लिया है.
क्यों इस्तेमाल की जाती है नाइट्रोजन गैस?
नाइट्रोजन एक रासायनिक तत्व है, जिसका प्रतीक N और परमाणु क्रमांक 7 है. यह पृथ्वी के वायुमंडल का लगभग 78 फीसदी हिस्सा बनाती है और सामान्य तापमान पर गैस के रूप में मौजूद होती है. बता दें कि नाइट्रोजन रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन गैस है, जो आम तौर पर रासायनिक रिएक्शन में शामिल नहीं होती है. हालांकि, जब इसे लिक्विड नाइट्रोजन के रूप में ठंडा किया जाता है तो इससे कोल्ड फॉग यानी सफेद धुआं निकलने लगता है. दरअसल, शादी-समारोह में इसका इस्तेमाल धुएं के बादल बनाने के लिए होता है.
कितनी खतरनाक होती है नाइट्रोजन गैस?
नाइट्रोजन गैस जहरीली नहीं होती है, लेकिन इस्तेमाल और मैनेजमेंट में लापरवाही बरतने पर यह काफी खतरनाक साबित हो सकती है. लिक्विड नाइट्रोजन का तापमान -195.8°C होता है. अगर यह स्किन के संपर्क में आती है तो फ्रॉस्टबाइट या क्रायोजेनिक बर्न हो सकता है. राजगढ़ हादसे में बच्ची की स्किन नाइट्रोजन की ठंडक बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसका शरीर 80 पर्सेंट तक झुलस गया. नाइट्रोजन गैस हवा से भारी होती है. अगर यह किसी बंद जगह में फैल जाए तो ऑक्सीजन को खत्म कर सकती है. इससे सांस लेने में दिक्कत, बेहोशी और मौत तक हो सकती है. शादी जैसे भीड़भाड़ वाले कार्यक्रमों में इस गैस के इस्तेमाल से खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है. अगर लिक्विड नाइट्रोजन का धुआं सांस के जरिए फेफड़ों में चला जाए तो यह फेफड़ों की कोशिकाओं को फ्रीज कर सकता है. इससे सांस लेने में भी काफी दिक्कत होने का खतरा रहता है. लिक्विड नाइट्रोजन को गलत तरीके से स्टोर करने या गर्म करने पर यह तेजी से गैस में बदलती है, जिससे विस्फोट भी हो सकता है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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