यमन में फंसी भारत की जिस लड़की की मौत लगभग तय थी, जिसकी मौत को टालने के लिए सरकार से लेकर परिवार तक ने दिन रात एक कर दिया था, जिसके लिए मां ने 8 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की रकम जुटा ली थी, अब उस लड़की की मौत कुछ दिनों के लिए टल गई है.
दरअसल, भारत के ग्रैंड मुफ्ती और सुन्नी नेता कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार इस सजा से चंद घंटे पहले यमन पहुंच गए. उन्होंने यमन के सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज के जरिए पीड़ित परिवार से बात कर निमिषा की मौत को भी टाल दिया.
सवाल ये है कि ये नौबत आई ही क्यों. आखिर निमिषा ने ऐसा क्या किया था कि यमन में उसे मौत की सजा दी गई. आखिर निमिषा के परिवार और भारत की सरकार ने उसे बचाने की कौन-कौन सी कोशिश की, जो इस्लामिक कानून शरिया के आगे फेल हो गई, जिसके बाद ग्रैंड मुफ्ती को हस्तक्षेप करना पड़ा?
क्या है निमिषा प्रिया की कहानी?
केरल का एक जिला है पलक्कड. निमिषा वहीं की रहने वाली हैं. साल 2011 में वो अपने पति टोनी थॉमस और बच्चे के साथ यमन के सना शहर में काम करने के लिए चली गईं. नौकरी इतनी अच्छी नहीं रही कि तीनों का जीवन-यापन हो सके. तो साल 2014 में आर्थिक तंगी की वजह से निमिषा के पति टोनी थॉमस और बेटे भारत लौट आए. हालांकि निमिषा वहीं रह गईं.
उन्होंने यमन में ही अपना एक क्लिनिक खोलने की प्लानिंग की. और इस क्लिनिक को खोलने के लिए निमिषा ने यमन के ही एक नागरिक और अपने पति टोनी थॉमस के दोस्त तलाल अब्दो महदी की मदद मांगी. तलाल ने मदद नहीं की. तब निमिषा के दोस्त अब्दुल हनान आगे आए और उनकी मदद से निमिषा ने पति के भारत लौटने के अगले साल यानी कि साल 2015 में अपना क्लिनिक खोल लिया.
फर्जी दस्तावेज और निमिषा बनी तलाल की पत्नी
जब क्लिनिक से आमदनी होने लगी तो तलाल अब्दो महदी ने पैसे के लिए निमिषा को परेशान करना शुरू कर दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक जब निमिषा ने पैसे देने से इनकार कर दिया तो तलाल ने फर्जी डॉक्यूमेंट्स के जरिए निमिषा को अपनी पत्नी घोषित कर दिया. परेशान निमिषा ने यमन पुलिस से इसकी शिकायत की. निमिषा की शिकायत पर पुलिस ने तलाल को गिरफ्तार भी कर लिया. जब तलाल जेल से रिहा हुआ तो उसने धोखे से निमिषा का पासपोर्ट अपने पास रख लिया और फिर से निमिषा से पैसे मांगे. चूंकि निमिषा एक नर्स थी, तो उसने तलाल को काबू में करने के लिए नशे का एक इंजेक्शन लगा दिया, ताकि जब वो बेहोश हो तो निमिषा उससे अपना पासपोर्ट वापस ले सके. इंजेक्शन लगाने के दौरान निमिषा का दोस्त अब्दुल हनान भी मौजूद था.
नशे के इंजेक्शन का ओवरडोज और तलाल की मौत
उस इंजेक्शन के ओवर डोज की वजह से तलाल की मौत हो गई. तलाल की मौत होने के बाद निमिषा और अब्दुल हनान ने डेड बॉडी को ठिकाने लगाने के लिए प्लान बनाया. इसके लिए दोनों ने तलाल की बॉडी के टुकड़े कर दिए और उन्हें पानी के टैंक में डिस्पोज कर दिया. इसके बावजूद निमिषा और हनान बच नहीं सके. पुलिस ने पता लगा लिया कि तलाल की हत्या इन दोनों ने ही की है. अगस्त, 2017 में पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. निचली अदालत ने दोनों को ही उम्रकैद की सजा सुनाई. लेकिन मामला हाई कोर्ट गया तो निमिषा की उम्रकैद की सजा को बढ़ाकर फांसी में तब्दील कर दिया गया, जबकि अब्दुल हनान की उम्रकैद की सजा बरकरार रही.
मां ने खाई बेटी को बचाने की कसम
ऐसे में निमिषा की मां ने तय किया कि अब वो खुद यमन जाएंगी. वहां पहुंचकर तलाल अब्दू महदी के घरवालों से मिलकर अपनी बेटी को बचाने की कोशिश करेंगी. अब चूंकि यमन में शरिया का कानून चलता है. शरिया में सजा का प्रावधान है किसास में. इसमें अपराधी ने जो अपराध किया होता है, उसे भी वही सजा मिलती है. जैसे अगर किसी ने किसी की आंख फोड़ दी, तो जिसने आंख फोड़ी है, सजा के तौर पर उसकी भी आंख फोड़ दी जाती है. लेकिन इसी किसास में सजा का एक विकल्प पैसे देना भी है. अरबी में इसे कहा जाता है जैसा दिया या दियाह. अंग्रेजी में इसे ही कहते हैं ब्लड मनी.
ब्लड मनी के लिए पहले हुए तैयार फिर किया इनकार
मारे गए तलाल अब्दू महदी के परिवारवाले भी ब्लड मनी लेकर निमिषा को छोड़ने पर तैयार हो गए थे. साल 2022 में ही तलाल के घरवालों ने बतौर ब्लड मनी 50 मिलियन यमनी रियाल यानी 1 करोड़ 52 लाख 32 हजार 757 रुपये की मांग की थी. और यमन की पुलिस ने जेल में निमिषा से मिलकर ये बात बता भी दी थी. इसके बाद निमिषा की मां पहले केरल हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचीं. सु्प्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब तलब भी किया. और सरकार ने कोर्ट को जो जवाब दिया, उसने निमिषा के परिवार के साथ ही 140 करोड़ भारतीयों का भी दिल तोड़ दिया.
फांसी से चंद घंटे पहले ग्रैंड मुफ्ती की एंट्री
मोदी सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि हमने हर मुमकिन कोशिश कर ली है, लेकिन यमन में कोई सरकार नहीं है जिससे बात की जा सके. वहां हूतियों का कब्जा है, जो आतंकी हैं, लिहाजा बात की गुंजाइश ही नहीं है. वहीं निमिषा की मां भी यमन में ही हैं, जिन्होंने तलाल अब्दो के परिवार को 8 करोड़ 59 लाख रुपये की ब्लड मनी ऑफर की थी. इसमें करीब 34 लाख रुपये की मदद केंद्र सरकार ने की थी, लेकिन तलाल का परिवार ये रकम लेने को राजी नहीं था. ऐसे में निमिषा की मौत के कुछ ही घंटे बचे थे. लेकिन उससे पहले ही ग्रैंड मुफ्ती और सुन्नी नेता कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलियार यमन पहुंच गए. वहां उन्होंने यमन के सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज से बात की. फिर दोनों ने मिलकर यमन की सुप्रीम कोर्ट के एक जज और मृतक तलाल के भाई से बात की. जज ने फांसी टाली और अब दोनों लोग परिवार को ब्लड मनी के लिए राजी करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि निमिषा को बचाया जा सके और सही सलामत उसे भारत वापस लाया जा सके.अब सबकुछ तलाल के परिवार के हाथ में है. देखते हैं कि वो क्या फैसला करते हैं, फैसला जो भी होगा, हम आपको बताएंगे. देखते रहिए एबीपी लाइव, शुक्रिया.
ये भी पढ़ें:- बेंगलुरु: तिहाड़ जेल में मुलाकात, फिर लॉरेंस बिश्नोई गैंग के नाम पर करने लगे वसूली, 4 आरोपी गिरफ्तार
india, india news, india news, latest india news, news today, india news today, latest news today, latest india news, latest news hindi, hindi news, oxbig hindi, oxbig news today, oxbig hindi news, oxbig hindi
ENGLISH NEWS