Bawadi Found In Sambhal: संभल के चंदौसी में प्रशासन को खुदाई के दौरान एक प्राचीन बावड़ी मिली है, जिसको लेकर दावा किया जा रहा है कि सहसवान के राजा की जमीन थी, जिसमें रानी सुरेंद्र बाला रहती थी और यह रानी सुरेंद्र बाला की बावड़ी है, लेकिन अब इस पूरे मुद्दे में एक नया ट्विस्ट आ गया है. स्थानीय निवासी मोहम्मद मुस्तकीम कुरैशी नाम के एक शख्स सामने आए हैं, जिन्होंने य दावा किया है कि जमीन और बावड़ी दोनों उनकी है और इसका प्रशासन कुछ नहीं कर सकता.
यूपी तक की रिपोर्ट के मुताबिक, बावड़ी पर दावा करने वाले मोहम्मद मुस्तकीम कुरैशी ने कहा, “ये सारी प्रॉपर्टी हमारी है और प्रशासन से इसका कोई लेना देना नहीं है. प्रशासन केवल इसकी जांच कर सकता है. अगर इसमें कुछ निकलता है क्या… बाकी ना ये कोई सरकारी जगह है ना प्रशासन का इससे कोई लेना देना है. यह हमारी अपनी प्रॉपर्टी है और इसके हम पूरे पूरे दावेदार हैं. बस प्रशासन केवल इसको चेक कर सकता है कि इसके अंदर क्या है और प्रशासन का इसमें कोई लेना देना नहीं है.”
क्या बोले मोहम्मद मुस्तकीम कुरैशी?
उनसे पूछा गया कि ये उनकी प्रॉपर्टी है तो क्या उन्हें मालूम था कि इस जमीन के नीचे बावड़ी है? इसके जवाब में मोहम्मद मुस्तकीम कुरैशी ने कहा, “हां यह बावड़ी पहले से थी और बदायूं के अहूजा बाबू ने इसकी प्लॉटिंग करी थी. उन्होंने होशियारी खेली कि इसको दबा के भराव करा दिया और प्लॉटिंग कर दी. उन्होंने होशियारी खेली और मुसलमानों के साथ धोखा किया. वह बोले, “हमारे भाई चंदौसी के निवासी है लल्ला बाबू, ये उनकी प्रॉपर्टी थी. इस प्रॉपर्टी के कागजात है हमारे पास. सारी चीजें मिलेंगी हमारे पास और लल्ला बाबू का अभी परिवार जिंदा है. वो भी है और हम भी हैं.
‘इसका प्रशासन से कोई लेना देना नहीं है’
मोहम्मद मुस्तकीम कुरैशी ने कहा कि हां यह बावड़ी थी और हम इसके अंदर घुसे हैं और घूम कर आए हैं. ये तीन मंजिला गहरी है. इसके अंदर इसमें कमरे बने हुए हैं और ये हमारी अपनी प्रॉपर्टी है. ये इसका प्रशासन से कोई लेना देना नहीं.
रानी सुरेंद्र बाला की पोती शिप्रा आई सामने
इससे पहले रानी सुरेंद्र बाला की पोती शिप्रा भी सामने आई थी. उन्होंने ठीक यही बात का दावा किया था. शिप्रा के मुताबिक उनके पिता ने बदायूं के एक शख्स को पूरी जमीन बेच दी थी. शिप्रा ने कहा कि, “मेरे पिता ने किसी बदायूं के किसी अनेजा को प्रॉपर्टी सेल की थी. प्रॉपर्टी में वसीयत के हिसाब से काफी सारे हिस्सेदार भी आते चले गए. अनेजा ने इसे खरीदने के बाद फिर प्लॉटिंग कर के मुस्लिमों को बेची थी. प्लॉट्स बना के. हमारी इस कोठी का भी वही हुआ है… आधे से ज्यादा प्रॉपर्टी हमारी मुस्लिम ही खरीद रहे हैं. फिलहाल मुस्तकीम और शिप्रा का दावा लगभग मेल खा रहा है. इस पूरी खुदाई की शुरुआत एक शिकायती पत्र से हुई.
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