वक्फ संशोधन बिल का मुस्लिम संगठन और विपक्ष क्यों कर रहे विरोध? जानें क्या NDA को बिल पास कराने

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Wakf Amendment Bill: वक्फ संशोधन बिल 2024 को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तकरार तेज होती जा रही है. मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों का आरोप है कि यह बिल सरकार को वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण देने की साजिश है. दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर उपयोग और पारदर्शिता आएगी.
हालांकि संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में वक्फ संशोधन बिल 2024 को पेश किया जा सकता है. यह बिल पहली बार 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में लाया गया था, लेकिन विपक्ष के विरोध के चलते इसे संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेज दिया गया था. अब सरकार इसे पारित कराने की तैयारी कर रही है, लेकिन मुस्लिम संगठन और विपक्षी दल इसके खिलाफ हैं.
बिल पर सरकार बनाम विपक्षदरअसल, सरकार का पक्ष है कि वक्फ संपत्तियों को रेगुलेट करने और विवादों को हल करने के लिए यह बिल जरूरी है. इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर उपयोग हो सकेगा. महिला सदस्यों को भी वक्फ बोर्ड में जगह मिलेगी. भ्रष्टाचार को रोकने और संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के लिए इसमें 14 संशोधन किए गए हैं.
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का आरोपसरकार वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है. 1995 के मौजूदा वक्फ एक्ट में ऐसे बदलाव किए जा रहे हैं, जिससे सरकार को वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में दखल देने का अधिकार मिल जाएगा. यह मुसलमानों के धार्मिक और संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है.
विपक्ष और मुस्लिम संगठनों की बड़ी आपत्तियां1. वक्फ संपत्तियों के विवादों को अब हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी.2. पहले वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होता था.3. दान के बिना किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा.4. पहले सिर्फ दावे के आधार पर कोई भी संपत्ति वक्फ संपत्ति मानी जा सकती थी.5. वक्फ बोर्ड में महिलाओं और अन्य धर्मों के दो सदस्य होने अनिवार्य होंगे.6. पहले बोर्ड में सिर्फ मुस्लिम पुरुष ही होते थे.7. कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण और प्रबंधन करने का अधिकार मिलेगा.8. पहले वक्फ संपत्तियों का सर्वे वक्फ बोर्ड के पास होता था.
बिल में नए प्रावधाननए प्रावधान के मुताबिक कलेक्टर को यह जांचने का अधिकार होगा कि कोई सरकारी संपत्ति गलत तरीके से वक्फ संपत्ति घोषित हुई है या नहीं, 6 महीने के भीतर सभी वक्फ संपत्तियों का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा. वक्फ संपत्तियों की नोटिफिकेशन 15 दिन के अंदर पोर्टल पर अपलोड करनी होगी (JPC ने इसे 90 दिन करने की सिफारिश की है).
क्या है वक्फ और इसका प्रबंधन?बता दें कि वक्फ एक इस्लामी परंपरा है, जिसमें धार्मिक उद्देश्यों के लिए संपत्ति दान की जाती है. वक्फ संपत्तियों को बेचा या विरासत में नहीं दिया जा सकता, ये हमेशा अल्लाह के नाम पर होती हैं. भारत में 8,72,351 वक्फ संपत्तियां हैं, जो 9 लाख एकड़ भूमि में फैली हुई हैं. अनुमानित रूप से इनकी कीमत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक है. वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन 1995 के वक्फ एक्ट के तहत वक्फ बोर्ड की ओर से किया जाता है. सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्डों में भ्रष्टाचार अधिक है, इसलिए इसे सुधारने के लिए वक्फ संशोधन बिल 2024 लाया जा रहा है.
NDA को बिल पास कराने में छूट जाएंगे पसीने?विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों के विरोध के चलते सरकार को राज्यसभा में कठिनाई हो सकती है. जंतर-मंतर पर बड़े विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिससे सियासी दबाव बढ़ रहा है.सरकार को अपने सहयोगी दलों को साथ रखना होगा, क्योंकि कुछ एनडीए सहयोगी भी इस मुद्दे पर असहज हो सकते हैं.
लोकसभा में सरकार की मजबूत स्थितिवक्फ संशोधन बिल को संसद में पारित कराना सरकार के लिए कोई बड़ी चुनौती नहीं है. यह बिल पहले ही संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से पास हो चुका है, और लोकसभा में सरकार के पास स्पष्ट बहुमत है.
लोकसभा में संख्याबल:लोकसभा कुल सीटें: 542एनडीए के सांसद: 293 (जिसमें बीजेपी के 240 सदस्य)कांग्रेस सहित INDIA ब्लॉक के सांसद: 233अन्य निर्दलीय और छोटे दलों के सांसद: 16 सदस्यअगर बिल पर वोटिंग (डिवीजन) होती है, तो भी सरकार आसानी से इसे पारित करा लेगी, क्योंकि एनडीए के पास स्पष्ट बहुमत है.
राज्यसभा में सरकार की स्थितिराज्यसभा कुल सदस्य: 236बीजेपी के सांसद: 98एनडीए के कुल सांसद: 1156 नॉमिनेटेड सदस्य (जो आमतौर पर सरकार के पक्ष में वोट करते हैं), वहीं, संभावित समर्थन के साथ एनडीए का आंकड़ा 120+  है जो कि बहुमत के लिए पर्याप्त है.
राज्यसभा में विपक्षी गठबंधन की स्थिति:कांग्रेस के सदस्य: 27INDIA ब्लॉक (कांग्रेस सहित) के कुल सांसद: 85YSR कांग्रेस: 9बीजेडी: 7AIADMK: 4निर्दलीय और छोटे दल: 3
जेडीयू और टीडीपी का समर्थन बना रहेगा?ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने जेडीयू (नीतीश कुमार) और टीडीपी (चंद्रबाबू नायडू) से बिल का विरोध करने की अपील की है. अगर ये दोनों पार्टियां एनडीए के खिलाफ जाती हैं, तो सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हालांकि, जेडीयू और टीडीपी पहले ही सरकार को समर्थन देने का संकेत दे चुकी हैं, इसलिए इनके विरोध की संभावना बेहद कम है. अब देखना होगा कि सरकार विपक्ष और मुस्लिम संगठनों के विरोध को कैसे संभालती है और क्या यह बिल बिना किसी बड़े राजनीतिक संकट के पारित हो पाएगा?

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