VP Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ रविवार (27 अक्टूबर) को जयपुर में एआईआर लाइब्रेरी के उद्घाटन समारोह में न्यायपालिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई भी कोर्ट सबऑर्डिनेट नहीं, इसमें बदलाव होना चाहिए.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपालिका हमारे देश का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, इसमें सबऑर्डिनेट शब्द की कोई जगह नहीं है. उन्होंने कहा, “जब मजिस्ट्रेट या जिला जज फैसला लिखता है, उनके मन में एक शंका रहती है कि मेरे फैसले पर क्या टिप्पणी होगी. वह फैसला उसके भविष्य को निर्वहन करता है.”
‘कॉर्पोरेट्स को लोकल अदालतों में करना चाहिए इन्वेस्ट’
उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि कॉर्पोरेट्स को लोकल अदालतों में इन्वेस्ट करना चाहिए. उद्योगपति और कॉर्पोरेट समूहों को अन्य संस्थानों को प्रदान की जाने वाली सहायता की तर्ज पर न्यायपालिका के एक्सक्यूट में भी सहायता करनी चाहिए. कॉर्पोरेट्स के पास सीएसआर फंड है और उनको लोकल अदालतों में इन्वेस्ट करना चाहिए.
नागरिक संहिता में हुए बदलाव पर बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने इसे औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त करने वाली एक बड़ा बदलाव बताया. उन्होंने कहा कि लंबे समय की मांग के बाद अंग्रेजों के बनाए गए इन कानूनों को खत्म किया गया है, जो नए वकीलों के लिए एक वरदान है.
‘पावरफुल कमेटी ने हर प्रावधानों पर किया था विचार’
भारतीय न्याय संहिता सहित तीन कानूनों के पारित होते समय राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने अनुभवों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि एक बहुत पावरफुल कमेटी ने इन कानूनों के हर प्रावधान पर विचार किया. सरकार ने इस बदलाव में गहराई से जांच की है और टेक्नोलॉजी की मदद से हर प्रावधान की बैकग्राउंड को बारीकी से देखा गया है.
उपराष्ट्रपति ने कहा, “किसी भी देश और किसी भी सभ्यता का आकलन उसकी न्याय व्यवस्था से होता है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर नीचे तक हमारी न्यायपालिका बुद्धिमत्ता, प्रतिबद्धता,अखंडता के साथ कार्य करती है.”
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