जनगणना को लेकर सामने आया बड़ा अपडेट, मोदी सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिया ये

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Census in India: केंद्र सरकार ने रविवार (29 जून) को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वे प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं में कोई भी प्रस्तावित बदलाव इस साल के अंत 31 दिसंबर, 2025 से पहले कर लें, क्योंकि इस दिन तक किए गए बदलाव जनगणना कार्य के लिए अंतिम माने जाएंगे.
देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण ने कहा है कि जनगणना के लिए सभी गांवों और कस्बों को एक समान गणना प्रखंडों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक प्रखंड के लिए एक गणक (गणना करने वाला) नियुक्त किया जाता है, ताकि जनसंख्या की गणना के दौरान किसी भी चूक या दोहराव से बचा जा सके.
इस दिन से देश में शुरू हो जाएगा जनगणना कार्य
नियमों के अनुसार, जनगणना प्रशासनिक इकाइयों जैसे जिला, उप-जिला, तहसील, तालुका और थाना की सीमा निर्धारित होने के तीन महीने बाद ही की जा सकती है. नारायण ने कहा कि एक अप्रैल, 2026 से घर सूचीकरण कार्य, पर्यवेक्षकों और गणकों की नियुक्ति और उनके बीच कार्य विभाजन किया जाएगा और एक फरवरी, 2027 से जनगणना शुरू होगी. पत्र में कहा गया है कि एक बार गणना प्रखंडों को अंतिम रूप दे दिए जाने के बाद प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए.
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को दिए गए निर्देश
मुख्य सचिवों को लिखे अपने पत्र में नारायण ने उनसे सभी विभागों को नगर निगमों, राजस्व गांवों, तहसीलों, उप-विभागों या जिलों की सीमाओं में कोई भी प्रस्तावित बदलाव 31 दिसंबर से पहले कर लेने का निर्देश देने को कहा.
उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि एक जनवरी, 2026 और 31 मार्च, 2027 के बीच प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं में कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए, जिस दौरान जनगणना का कार्य होगा.
31 दिसंबर, 2025 के बाद प्रशासनिक इकाइयों में नहीं होगा कोई बदलाव
मौजूदा सीमाओं में किसी भी तरह के बदलाव की सूचना राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जनगणना निदेशालयों और भारत के महापंजीयक को 31 दिसंबर, 2025 तक देनी होगी. पत्र में कहा गया है, ‘‘जनगणना 2027 के लिए प्रशासनिक इकाइयों की सीमा में 31 दिसंबर, 2025 के बाद कोई भी बदलाव नहीं किया जाएगा.’’
गणकों के लिए उचित कार्यभार सुनिश्चित करने के लिए, जनगणना के लिए एक प्रशासनिक इकाई को ‘प्रखंड’ नामक प्रबंधनीय खंडों में विभाजित किया जाता है. प्रखंड जनगणना के प्रयोजनों के लिए एक काल्पनिक मानचित्र पर एक गांव या शहर के भीतर एक स्पष्ट रूप से परिभाषित क्षेत्र है.
इन्हें घरों के सूचीकरण अभियान के दौरान आवास सूचीकरण प्रखंड (HLB) और जनसंख्या गणना के दौरान गणना प्रखंड (EB) कहा जाता है और ये जनगणना के लिए सबसे छोटी प्रशासनिक इकाइयों के रूप में काम करते हैं.
दो चरणों में संपन्न होगी जनगणना
जातिगत गणना के साथ भारत की 16वीं जनगणना, 2027 में की जाएगी, जिसकी संदर्भ तिथि लद्दाख जैसे बर्फीले क्षेत्रों में एक अक्टूबर, 2026 और देश के बाकी हिस्सों में एक मार्च, 2027 होगी. जनगणना दो चरणों में होगी. पहले चरण में यानी घरों के सूचीकरण अभियान (HLO) में प्रत्येक घर की आवासीय स्थिति, संपत्ति और सुविधाओं के बारे में जानकारी एकत्र की जाएगी.
उसके बाद, दूसरे चरण यानी जनसंख्या गणना (PE) में हर घर में प्रत्येक व्यक्ति का जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक और अन्य विवरण एकत्र किया जाएगा.
34 लाख से ज्यादा गणक-पर्यवेक्षक और करीब 1.3 लाख जनगणना कार्यकर्ता होंगे तैनात
एक सरकारी बयान में कहा गया था कि जनगणना में जातियों की भी गिनती की जाएगी. जनगणना कार्य के लिए 34 लाख से अधिक गणकों और पर्यवेक्षक और लगभग 1.3 लाख जनगणना कार्यकर्ता तैनात किए जाएंगे. यह अब तक की 16वीं और आजादी के बाद आठवीं जनगणना होगी.
वहीं, आगामी जनगणना ‘मोबाइल एप्लीकेशन’ की मदद से डिजिटल माध्यम से की जाएगी. लोगों को स्व-गणना का प्रावधान भी उपलब्ध कराया जाएगा.
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