गांव 87 जीबी की ममता की संघर्ष की गाथा: ईंट भट्टा पर चिमनी की रोशनी में मिली सफलता

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: मां की मृत्यु के बाद की कठिनाइयों को पार कर ममता ने सरकारी अध्यापिका का पद हासिल किया।
श्री गंगानगर•Mar 08, 2025 / 02:23 pm•Krishan chauhan श्रीगंगानगर.हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, जिसे महिलाओं के संघर्ष और उपलब्धियों के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। इस विशेष दिन पर हम आपको एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी सुनाते हैं, जिसमें एक बेटी ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद सफलता के नए दौर को छुआ है। अनूपगढ़ तहसील के गांव 87 जीबी की ममता ने अपने परिवार की जिम्मेदारी संभालते हुए न सिर्फ पढ़ाई जारी रखी,बल्कि आज सरकारी अध्यापिका बनकर अपने सपनों को भी साकार किया है। उनका मानना है, च्च्अगर आपका इरादा मजबूत हो और सपने बड़े हों, तो कोई भी कठिनाई आपके रास्ते में बाधा नहीं बन सकती। ममता का संघर्ष ममता की जिंदगी में संघर्ष की कहानी तब शुरू होती है, जब उनकी मां गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं। अचानक आई विपरीत परिस्थितियां ममता के कंधों पर पूरे घर की जिम्मेदारी डाल गईं। आर्थिक समस्याओं के अलावा, हर रोज़ ईंट भट्टे पर मजदूरी करते हुए भी उसने चिमनी की रोशनी में पढ़ाई की। कठिनाइयों का सामना करते हुए ममता ने कभी हार नहीं मानी और अपने सपनों की ओर बढ़ती रही। उसने सरकारी अध्यापिका लगकर यह साबित कर दिया कि कठिनाइयों को पार करके भी सफलता पाई जा सकती है। परिवार का समर्थन ममता की बड़ी बहन सुमन ने बताया कि उनकी सफलता का मुख्य कारण उनका अडिग हौंसला और परिवार का सहयोग है। उनके पिता रावता राम और दादा स्वर्गीय नत्थूराम ने हमेशा उनका मार्गदर्शन किया। परिवार के सदस्यों ने मिलकर उसे मेहनत और संघर्ष के जरिए वह मुकाम दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां वह आज खड़ी है। स्कूल से स्कूल तक का सफर ममता अनूपगढ़ ब्लॉक के गांव 90 जीबी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में अध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं। वह कहती हैं, “जिस स्कूल में मैंने पढ़ाई की,आज मैं उसी स्कूल में बच्चों को शिक्षा दे रही हूं। यह मेरे लिए गर्व की बात है।” यह एक अद्भुत संयोग है कि उसी संस्था ने उसे शिक्षा दी,अब वह वहां बच्चों के भविष्य निर्माण का कार्य कर रही हैं। सही मार्गदर्शन और मेहनत ममता की सफलता में राजस्थान बावरी समाज विकास संस्था का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस संस्था ने “बेटियां छू रही आसमां” मुहिम के तहत ममता की आर्थिक मदद की और सही मार्गदर्शन भी दिया। इस संस्था की महिला विंग की जिलाध्यक्ष व कनिष्ठ अ​​भियंता सरोज पंवार ने कहा, “ममता ने परिवार और समाज का मान-सम्मान बढ़ाया है। उसका यह मुकाम सभी के लिए गर्व की बात है।” उन्होंने यह भी कहा कि सही मार्गदर्शन और कड़ी मेहनत से किसी भी व्यक्ति को अपनी मंजिल तक पहुंचाया जा सकता है।संबंधित खबरेंHindi News / Sri Ganganagar / गांव 87 जीबी की ममता की संघर्ष की गाथा: ईंट भट्टा पर चिमनी की रोशनी में मिली सफलता

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