CM स्टालिन ने परिसीमन और त्रि-भाषा विवाद पर बुलाई सर्वदलीय बैठक, BJP ने किया बहिष्कार का ऐलान

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MK Stalin Calls All Party Meet: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य के लोगों से परिसीमन और तीन-भाषा नीति के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार दावा कर रही है कि वह राज्य पर अपनी इच्छाएं नहीं थोप रही है, लेकिन उसकी कार्रवाई इसके विपरीत संकेत देती है.
मुख्यमंत्री स्टालिन ने 5 मार्च, 2025 को सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें लोकसभा परिसीमन और तीन-भाषा नीति पर चर्चा होगी. इस बैठक में 45 राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है. हालांकि, बीजेपी ने बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है. बीजेपी नेताओं ने कहा कि यह निर्णय गहन विचार-विमर्श के बाद लिया गया है.
बीजेपी ने उठाए स्टालिन के दावों पर सवालबीजेपी के एक नेता ने कहा, “हमने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि हम बैठक में भाग क्यों नहीं ले रहे हैं.” पार्टी ने यह भी सवाल उठाया कि स्टालिन किस आधार पर यह दावा कर रहे हैं कि तमिलनाडु की लोकसभा सीटें घट सकती हैं?
एआईएडीएमके और पीएमके बैठक में होंगी शामिलएआईएडीएमके ने घोषणा की है कि उसके दो प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल होंगे और पार्टी का रुख स्पष्ट करेंगे. बीजेपी की सहयोगी पार्टी पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) ने भी बैठक में भाग लेने की घोषणा की है.
परिसीमन से तमिलनाडु को नुकसान की आशंकातमिलनाडु के कई राजनीतिक दलों को आशंका है कि परिसीमन प्रक्रिया से राज्य की लोकसभा सीटें कम हो सकती हैं. मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि अगर परिसीमन प्रस्ताव लागू हुआ तो तमिलनाडु की लोकसभा सीटें 39 से घटकर 31 हो सकती हैं, जिससे राज्य का संसदीय प्रतिनिधित्व कमजोर होगा. स्टालिन ने हाल ही में कहा, “यह तमिलनाडु के अधिकारों का मामला है. सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर इसका विरोध करना चाहिए.”
बीजेपी और केंद्र सरकार का परिसीमन पर जवाबकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्टालिन के आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सहित किसी भी दक्षिणी राज्य में संसदीय सीटों की संख्या कम नहीं होगी. उन्होंने स्टालिन पर गलत सूचना फैलाने का भी आरोप लगाया.
डीएमके का तीन-भाषा नीति का विरोध जारीबता दें कि डीएमके सरकार तीन-भाषा नीति का विरोध कर रही है और जोर दे रही है कि तमिलनाडु तमिल और अंग्रेजी के साथ संतुष्ट है. राज्य सरकार का दावा है कि बीजेपी सरकार हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है, जिसे केंद्र ने नकार दिया है. अब जब परिसीमन और भाषा नीति पर बहस तेज हो गई है, यह देखना दिलचस्प होगा कि तमिलनाडु की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है.

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