26/11 हमलों के मास्टरमाइंड ने कबूला सच, हाफिज-हेडली और लश्कर-ए-तैयबा को लेकर किए खुलासे

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Tahawwur Rana Mumbai Attack: 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमलों के पीछे के चेहरों में से एक, तहव्वुर राणा, को भारत लाए जाने के बाद अब उसने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. लम्बे समय तक अमेरिका, कनाडा और पाकिस्तान के बीच सक्रिय रहे राणा ने न सिर्फ अपनी पृष्ठभूमि, बल्कि डेविड हेडली और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े अपने संबंधों की भी विस्तृत जानकारी दी है.
तहव्वुर ने पूछताछ के दौरान कहा, मैं मूल रूप से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचावतनी का रहने वाला हूं. मेरे दिवंगत पिता, राणा वल्ली मोहम्मद, बी.ए. स्नातक थे और भारत के पंजाब राज्य के नवांशहर, जालंधर के मूल निवासी थे. भारत के विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण के बाद, उन्होंने अपने परिवार के साथ पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहीवाल जिले के चिचावतनी गाँव में बसने का निर्णय लिया. 
तहव्वुर ने कहां से की थी पढ़ाई?
मेरी दिवंगत माता, मुबारक बेगम, ने अपने जीवन के 96 वर्ष पूरे किए, जिनमें से कई वर्ष उन्होंने कनाडा में मेरे बच्चों और पत्नी के साथ बिताए. सन् 1974 से 1979 तक, मैंने पंजाब, पाकिस्तान स्थित कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल में पढ़ाई की. वहाँ मेरे सहपाठियों में डेविड नामक एक छात्र विशेष रूप से यादगार था. उसका रंग गोरा था और उसकी आँखें भिन्न रंगों की थीं, इस भिन्नता ने मुझे बहुत प्रभावित किया था.
डेविड उर्दू बहुत अच्छी तरह बोलता था, हालांकि उसमें पंजाबी लहजा था. बाद में मुझे पता चला कि उसकी माँ, सेरिल, अमेरिकी नागरिक थीं और उसके पिता पाकिस्तानी थे. सेरिल के पिता संयुक्त राज्य वायुसेना में एयर कमोडोर थे. पारिवारिक समस्याओं और विशेष रूप से सौतेली माँ द्वारा प्रताड़ना के चलते डेविड ने पाकिस्तान छोड़कर अपनी जैविक माँ के साथ रहने के लिए अमेरिका जाने का निर्णय लिया.
डेविड हेडली से कैसे हुई जान-पहचान?
1979 में, जब जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दी गई, उसी दौरान मैं बिना माता-पिता को बताए अमेरिका चला गया, हालाँकि मेरे पास आधिकारिक वीजा था. मेरा उद्देश्य फिलाडेल्फिया स्थित प्रसिद्ध हानिमैन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में चिकित्सा शिक्षा लेना था. लेकिन वहाँ की ट्यूशन फीस लगभग $6000 थी, जो मैं नहीं जुटा सका, इस कारण मुझे पाकिस्तान लौटना पड़ा. उसके बाद, मैंने पाकिस्तान आर्मी के मेडिकल प्रोग्राम में आवेदन किया. मैंने प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की और चयनित हो गया. 1981 से 1986 तक मैंने रावलपिंडी स्थित आर्मी मेडिकल कॉलेज में कैडेट के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त किया. 1986 में मैंने एमबीबीएस पूरा किया और पाकिस्तान सेना में कैप्टन के रूप में मेडिकल कोर में नियुक्त हुआ.
मेरी पहली नियुक्ति 1986 से 1987 तक पाकिस्तान के क्वेटा क्षेत्र में मेडिकल अफसर के रूप में हुई. फिर 1987 से 1988 के बीच मुझे सिंध और बलूचिस्तान के ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात किया गया. 1988 से 1989 तक मैं बहावलपुर में डेजर्ट रेंजर्स के साथ तैनात रहा.
1989 में सऊदी अरब में गया था तहव्वुर
1989 में मुझे डेपुटेशन पर सऊदी अरब भेजा गया, जहाँ मैंने सऊदी सशस्त्र बलों की चौथी ब्रिगेड के साथ सेवा की. 1992 में पाकिस्तान लौटने पर मुझे बाल्टिस्तान क्षेत्र के सियाचिन और बाल्तोरो सेक्टर में तैनात किया गया. वहाँ की कठिन परिस्थितियों और कम ऑक्सीजन स्तर के कारण मुझे पल्मोनरी और सेरेब्रल एडिमा हो गया.
1993 में स्वास्थ्य लाभ के बाद मैंने सेना से अवकाश लिया और जर्मनी चला गया, जहाँ तीन महीने ठहरने के बाद मैं इंग्लैंड गया. इसी दौरान मुझे पाकिस्तान सेना द्वारा deserter घोषित कर दिया गया. लगभग ग्यारह महीने इंग्लैंड में रहने के बाद, 1994 में मैं अमेरिका चला गया.
अमेरिका में मिल गई थी प्रैक्टिस करने की इजाजत
अमेरिका में मैंने यूएस मेडिकल लाइसेंसिंग एग्जाम (USMLE) दिया और 1997 में उत्तीर्ण किया, जिससे मुझे वहाँ चिकित्सा का अभ्यास करने की अनुमति मिली. उसी वर्ष, मैं ओटावा, कनाडा चला गया और नागरिकता के लिए आवेदन किया. वर्ष 2000 में मुझे कनाडा की नागरिकता मिल गई और मैंने वहीं स्थायी रूप से बसने का निर्णय लिया.
2000 में ही मैंने अमेरिका के लिए निवेशक वीजा (Investor VISA) के लिए आवेदन किया और व्यवसायिक उद्देश्यों से अमेरिका गया. वीजा मिलने के बाद, मैंने किंग्स, इलिनॉय में एक मांस प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया. साथ ही, शिकागो में एक किराना दुकान शुरू की और एक इमारत को मेडिकल क्लिनिक के लिए लीज़ पर लिया.यह उल्लेखनीय है कि सऊदी अरब में मेरी तैनाती के दौरान मैंने अच्छी रकम बचा ली थी, जिससे मेरे अमेरिका में निवेश संभव हो पाए. मेरी पत्नी, समराज राणा, एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने USMLE पास किया है और वर्तमान में कनाडा में पंजीकृत डॉक्टर हैं.
डेविड के बारे में तहव्वुर ने क्या बताया? 
जब मुझसे पूछा गया कि डी (David) किन भाषाओं में निपुण है, तो मैंने बताया कि वह पंजाबी, उर्दू, अंग्रेज़ी, हिंदी, फ़ारसी, पश्तो और अरबी भाषाएँ धाराप्रवाह बोल सकता है. 2005 में devid ने मुझे बताया था कि उसने वर्ष 2003-2004 में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े तीन कोर्स किए थे. कुछ कोर्स के नाम ‘आम’ और ‘खास’ थे, तीसरे का नाम अब याद नहीं है. उसने यह भी बताया था कि उसने कई महिलाओं से विवाह किए हैं.
अमेरिका में वह फिलाडेल्फिया में रह रहा था. एक बार जब मैंने उससे संपर्क किया, तो वह बहुत बुरी हालत में था और उसने बताया कि वह कुछ नशे की लत में पड़ गया है.
डेनमार्क के अखबार पर हमले के मामले में मुझे 18.10.2009 को गिरफ्तार किया गया था और शायद डेविड को मुझसे पहले 04.10.2009 को उसी मामले में गिरफ्तार किया गया. मुझे पता है कि अगले 10 से 14 दिनों तक एफबीआई डेविड के बयान दर्ज कर रही थी.
जब मुझसे Immigrant Law Centre के बारे में पूछा गया, तो मैंने कहा कि मांस प्रसंस्करण और किराना व्यवसाय के साथ-साथ मैंने एक ऐसा केंद्र शुरू किया, जो विभिन्न देशों के वीज़ा दिलवाने में लोगों की मदद करता था.
इस Immigrant Law Centre का विचार डेविड मॉरिस का था, जो पहले से ही इस व्यवसाय में था. हमने अमेरिका के शिकागो में इसकी एक शाखा शुरू की, जहाँ रेमंड जे. सैंडर्स को वकील नियुक्त किया गया.कनाडा के ओटावा में डेविड मॉरिस इस सेंटर को संभालता था और ऑस्ट्रेलिया में एक पाकिस्तानी नागरिक आरिफ इसे देखता था. भारत में यह ज़िम्मेदारी सैयद सज्जाद को दी गई थी, जो हैदराबाद से था और पहले शिकागो में रह चुका था.
लश्कर से कैसे जुड़ा था तहव्वुर राणा?
हेडली और मैं बचपन के दोस्त हैं. हम दोनों ने 1974 से 1979 तक कैडेट हसन अब्दाल मिलिट्री कॉलेज, पंजाब साहिब, पाकिस्तान में 8वीं से 12वीं तक पढ़ाई की. जब हेडली के लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ाव के बारे में पूछा गया, तो मैंने बताया कि हेडली ने कहा था कि (संभवतः 2001 या 2004 में), उसने पाकिस्तान में लश्कर के तीन चरणों का प्रशिक्षण लिया था. जब उससे डी के लश्कर की विचारधारा को मानने के बारे में पूछा गया, तो मैं ने यह तो बताया कि उसने प्रशिक्षण लिया था, लेकिन यह कहकर गुमराह करने की कोशिश की कि लश्कर के सदस्य वास्तव में विचारधारा के अनुयायी नहीं, बल्कि जासूस हैं.
मुंबई में इमिग्रेशन सेंटर खोलने के विचार के बारे में जब पूछा गया, तो मैंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह मेरा विचार था, हेडली का नहीं. मैंने कहा कि मेरी मैनेजर महरूख भरूचा, मुंबई में मेरी शाखा को संभाल रही है, न कि हेडली.
जब हेडली 1को मनी ट्रांसफर सेवा के जरिए पैसा देने के बारे में पूछा गया, तो मैंने कहा कि यह पैसा फर्स्ट इमिग्रेशन सेंटर की ओर से दिया गया था.
मुंबई स्थित इस सेंटर के व्यापार के बारे में मैंने बताया कि हमने कोशिश की थी लेकिन स्थान की वजह से दिक्कतें थीं. मैंने अपनी एमबीबीएस की डिग्री 1981 से 1986 तक आर्मी मेडिकल कॉलेज, रावलपिंडी से पूरी की. इसके बाद पाकिस्तान आर्मी में कैप्टन डॉक्टर के रूप में क्वेटा में शामिल हुआ. मैंने सिंध-बालूचिस्तान के ग्रामीण इलाकों, बहावलपुर की मरुस्थली रेंज, सियाचिन-बाल्तोरो सेक्टर में सेवा दी. बाद में मुझे कुवैत पर इराक के हमले के बाद विशेष कार्य हेतु सऊदी अरब भेजा गया.
जब पूछा गया कि मैं पाकिस्तान आर्मी से desert क्यों हुआ, तो मैंने बताया कि सियाचिन में मेरी पोस्टिंग के दौरान मुझे पल्मोनरी एडिमा हो गया था, और मैं ड्यूटी से अनुपस्थित रहा.
1993 में मैंने जर्मनी में पढ़ाई के लिए यात्रा की और फिर इंग्लैंड गया. जुलाई 1994 में अमेरिका गया और 1997 में USMLE पास किया. इसके बाद 1997 से 2000 के बीच मुझे कनाडा की नागरिकता मिली और मैंने ओटावा में रहना शुरू किया.
2000 में मुझे अमेरिकी निवेशक वीजा मिला और किंग्स, इलिनॉय में मांस प्रसंस्करण प्लांट शुरू किया. साथ ही शिकागो में रियल एस्टेट और किराना व्यवसाय शुरू किया. मेरी पत्नी बहावलपुर, पाकिस्तान से हैं. वह डॉक्टर हैं और उन्होंने भी USMLE पास किया है. वर्तमान में वह कनाडा में रह रही हैं. जब मुझसे अब्दुल रहमान पाशा, साजिद मीर, मेजर इकबाल के बारे में पूछा गया, तो मैंने बताया कि मैं इन्हें जानता हूँ क्योंकि वे पाकिस्तान से हैं.
मुंबई हमलों में कौन-कौन रहा शामिल?
मुझे पता है कि मेजर इकबाल को पाकिस्तान के कबायली क्षेत्र में गिरफ्तार किया गया था. अब्दुल रहमान पाशा से मेरी मुलाकात हेडली ने करवाई थी. जब राजाराम रेगे के बारे में पूछा गया, जिसका ज़िक्र डेविड ने किया था, मैंने बताया कि वह रिश्वत माँग रहा था, लेकिन किस काम के लिए, यह नहीं बताया. जब मेजर इकबाल की ईमेल आईडी मुझे भेजे जाने के बारे में पूछा गया, तो मैंने कोई कारण नहीं बताया और गुमराह करने की कोशिश की. जब हेडली द्वारा अमेरिकी भारतीय दूतावास में जमा वीजा फॉर्म में गलत जानकारी देने के बारे में पूछा गया, तो मैंने कहा कि गलती दूतावास की थी, उन्हें जांच करनी चाहिए थी.
हाफिज सईद को लेकर भी किए खुलासे
जब हेडली द्वारा मुंबई में उतरने के स्थानों की जानकारी मुझे देने के बारे में पूछा गया, तो मैंने इससे इनकार किया. जब हाफिज सईद से मुलाकात के बारे में पूछा गया, तो मैंने कहा कि मैंने उससे कभी मुलाकात नहीं की, लेकिन मुझे पता है कि लश्कर-ए-तैयबा, हरकत-उल-जिहाद, और जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान की आतंकवादी संगठन हैं. जब भारत के बशीर शेख के बारे में पूछा गया, तो मैंने बताया कि वह मुझसे कनाडा में मिला था और हेडली के लिए मुंबई में रहने की जगह ढूँढ़ने में उसकी मदद की थी.

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