Tahawwur Rana Extradition: भारत सरकार 2008 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने में लगी हुई है. शुक्रवार (7 मार्च) को विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी कि भारत इस मामले में अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर औपचारिकताओं को पूरा कर रहा है. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को राणा की प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की अपील को खारिज कर दिया था जिससे भारत को उसे लाने का रास्ता साफ हो गया है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) उसे मुंबई हमले की साजिश में भूमिका के लिए तलाश रही है जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) ने 166 लोगों की जान ले ली थी.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा “राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल के दौरान राणा के प्रत्यर्पण को लेकर बयान सामने आया था. इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान जारी संयुक्त बयान में भी इस विषय पर चर्चा की गई थी. हम अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर प्रत्यर्पण से जुड़ी जरूरी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा कर रहे हैं.” हालांकि अमेरिका की कानूनी प्रक्रियाओं पर टिप्पणी से बचते हुए उन्होंने कहा कि भारत को पूरा विश्वास है कि प्रत्यर्पण जल्द ही खत्म होगा.
राणा की अंतिम कोशिश भी हुई नाकाम
मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की जज एलेना केगन ने राणा की अपील पर आपातकालीन रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी है. इसके बावजूद पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक राणा ने अब मुख्य न्यायाधीश जॉन जी. रॉबर्ट्स जूनियर के सामने अपनी अपील को फिर से प्रस्तुत किया है. अपने बचाव में राणा ने अदालत में दावा किया कि चूंकि वह पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम और पाकिस्तान सेना का पूर्व अधिकारी है इसलिए भारत में उसे प्रताड़ना झेलनी पड़ सकती है. उसने ब्रिटेन की हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए अपनी दलील मजबूत करने की कोशिश की जिसमें भारतीय हथियार डीलर संजय भंडारी के प्रत्यर्पण को खारिज किया गया था.
जल्द ही भारत के हवाले किया जाएगा राणा
भारतीय अधिकारियों ने राणा की अपील को निरर्थक करार दिया है और कहा है कि ये प्रत्यर्पण प्रक्रिया को महज कुछ समय के लिए टाल सकता है, लेकिन मार्च के अंत तक उसे NIA टीम के हवाले कर दिया जाएगा. राणा जो पहले पाकिस्तान सेना में डॉक्टर था. 1997 में कनाडा चला गया और वहां एक इमिग्रेशन कंसल्टेंसी कंपनी खोली. 2001 में कनाडा की नागरिकता लेने के बाद उसने अमेरिका में भी अपने कारोबार का विस्तार किया. वह डेविड हेडली का बचपन का दोस्त है जो मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक था और राणा की कंपनी की आड़ में मुंबई में रेकी कर रहा था.
पहले ही कट चुका है लंबा कारावास
मुंबई हमले के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने राणा को गिरफ्तार किया था और डेनमार्क में आतंकी हमले की साजिश रचने और लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने के लिए उसे 14 साल की सजा सुनाई थी. वहीं हेडली को अमेरिका में अक्टूबर 2009 में गिरफ्तार किया गया और 35 साल की सजा दी गई. अब जबकि अमेरिकी अदालतें लगातार राणा की याचिकाओं को खारिज कर रही है भारत को उसके प्रत्यर्पण का इंतजार है ताकि वह मुंबई हमले के मास्टरमाइंड्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सके.
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