Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के अग्रिम जमानत याचिका का निपटारा करते समय 30 से 40 पन्नों का आदेश पारित करने पर शुक्रवार (21 फरवरी 2025) को आपत्ति व्यक्त की. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘दिल्ली हाई कोर्ट में जो कुछ हो रहा है, वह घृणित है. अग्रिम जमानत याचिका का निपटारा करते समय हाई कोर्ट की ओर से 30-40 पृष्ठ लिखना, निचली अदालत को यह संकेत देने जैसा है कि आपके पास दोषी ठहराने के लिए यह एक कारण है. मूलतः यह एक दोषसिद्धि आदेश है.’’
धोखाधड़ी के मामले में SC कर रहा था सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट धोखाधड़ी के एक मामले में डॉक्टर आधार खेड़ा की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था. खेड़ा ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसने छह फरवरी को अपने 34 पृष्ठ के आदेश में उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था खेड़ा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता ही याचिकाकर्ता और उसकी मां के माध्यम से एक फर्म का संचालन कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने उनकी भूमिका को उनके पिता के बराबर बताया और याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने से इनकार करने में इस तथ्य की अनदेखी कर दी कि वह मामले की जांच में शामिल हुए थे. लूथरा ने दलील दी कि मामले में आरोप-पत्र दाखिल कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस ने मांगा जवाब
उन्होंने कहा, “याचिकाकर्ता के पिता ही याचिकाकर्ता और उनकी मां (प्रॉक्सी के रूप में) के माध्यम से संबंधित फर्म चला रहे थे. उन्हें 7 महीने की हिरासत के बाद जमानत दी गई. याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट ने उनके पिता के बराबर माना और अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया, जबकि वह 5 मौकों पर जांच में शामिल हुए. इसके बाद, पीठ ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा और खेड़ा को मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया.”
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