Kabir Bose Case: पश्चिम बंगाल पुलिस की जांच पर असंतोष जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के बीजेपी नेता कबीर शंकर बोस के ऊपर दर्ज FIR सीबीआई को ट्रांसफर कर दी है. 6 दिसंबर 2020 को हुगली में दर्ज 2 FIR में कबीर समेत कई बीजेपी नेताओं पर तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पिटाई और महिलाओं से बदसलूकी का आरोप लगाया गया था.
कबीर शंकर बोस पर तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पिटाई का आरोप
कबीर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उनके पूर्व ससुर टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने व्यक्तिगत खीज निकालने के लिए उनका नाम केस में डलवाया. कबीर की सुरक्षा करने वाले CISF ने भी कोर्ट में उनकी मूवमेंट लॉग शीट पेश की थी. इससे पता चला था कि वह घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने जांच पर लगाई रोक
जस्टिस बी वी नागरत्ना और पंकज मिथल की बेंच ने माना है कि मामले में पुलिस ने तथ्यों की सही पड़ताल नहीं की. कबीर शंकर बोस को पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी का प्रतिद्वंद्वी होने का नुकसान होने की आशंका है. इसलिए जांच सीबीआई (CBI) को सौंपना सही होगा. ध्यान रहे कि कबीर बोस के पूर्व ससुर कल्याण बनर्जी तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता और लोकसभा सांसद हैं. कबीर बीजेपी (BJP) के टिकट पर कल्याण बनर्जी के खिलाफ सिरामपुर सीट से लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं. जिसमें उन्होंने कल्याण बनर्जी के खिलाफ मुकाबला किया था.
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