SC On Uttarakhand Forest Dept Fund Scam: उत्तराखंड में वनीकरण के लिए आवंटित कैम्पा (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority – CAMPA) फंड के कथित दुरुपयोग के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. अदालत ने उत्तराखंड सरकार की आलोचना करते हुए मुख्य सचिव से इस पर स्पष्टीकरण मांगा है.
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मंगलवार (04 मार्च, 2025 ) को इस मामले की सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि यह फंड पर्यावरण संरक्षण और वनीकरण के लिए दिया जाता है, जिसका गलत इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. अदालत ने राज्य सरकार को पारदर्शिता बरतने और जनता को बताने का निर्देश दिया कि यह फंड कहां खर्च हुआ है.
सीएजी रिपोर्ट के खुलासे CAG की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच कैम्पा फंड का दुरुपयोग किया गया. इस फंड का इस्तेमाल आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर, कार्यालयों के जीर्णोद्धार, कानूनी मामलों और अन्य निजी कार्यों में किया गया. रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 2019-20 से 2021-22 के बीच 275.34 करोड़ रुपये का ब्याज नहीं चुकाया गया, जबकि बार-बार अनुरोध करने के बावजूद इस राशि का उपयोग अन्यत्र किया गया.
अदालत के सख्त सवालसुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब यह फंड पर्यावरण संरक्षण के लिए था, तो इसे अन्य गैर-जरूरी खर्चों पर क्यों इस्तेमाल किया गया? अदालत ने सरकार से पूछा,”आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज और कूलर का वनीकरण से क्या संबंध है?”
सरकार का जवाब और अगली सुनवाईराज्य सरकार ने स्वीकार किया कि जुलाई 2023 में 150 करोड़ रुपये का ब्याज जमा किया गया. हालांकि, सीएजी रिपोर्ट में अन्य वित्तीय अनियमितताओं का भी जिक्र किया गया है, जिन पर सरकार की ओर से स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई.
जनहित याचिका से उठा मामलाबता दें कि यह मामला एक जनहित याचिका (PIL) के तहत उठाया गया था, जिसमें पर्यावरण संरक्षण और वन घोटालों की जांच की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि अगर फंड का सही इस्तेमाल होता, तो उत्तराखंड के वनों का बेहतर संरक्षण संभव था.
कैम्पा फंड का असल उद्देश्यकैम्पा फंड का मुख्य उद्देश्य वन क्षेत्र बढ़ाना और पर्यावरण संतुलन बनाए रखना है. जब किसी औद्योगिक परियोजना के लिए जंगल काटा जाता है, तो उसके बदले में इस फंड में राशि जमा की जाती है, ताकि नए पेड़ लगाए जा सकें.
अगली कार्रवाईसुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अगर 19 मार्च तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो मुख्य सचिव राधू रतूड़ी को अदालत में पेश होना पड़ेगा. साथ ही, अदालत विस्तृत जांच और दोषियों पर कार्रवाई का आदेश भी दे सकती है.
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