वायुसेना के विंग कमांडर सेहरावत पर रेप के आरोप का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने SIT जांच पर लगाई रोक

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सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में एक वरिष्ठ वायुसेना अधिकारी के खिलाफ एक महिला अधिकारी द्वारा कथित बलात्कार मामले में एसआईटी के नेतृत्व वाली जांच में आगे की कार्यवाही पर अस्थायी रोक लगा दी है. भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी विंग कमांडर पी.के. सेहरावत पर एक महिला फ्लाइंग ऑफिसर ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है.
जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सेहरावत की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए स्थगन आदेश जारी किया, जिसमें विशेष जांच दल (SIT) को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी गई थी.
कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ दवे और अन्य की दलीलें सुनने के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को एक नोटिस जारी किया, जिसमें छह हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा गया है. इस बीच, बडगाम पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर संख्या 370/2024 से उत्पन्न होने वाली आगे की कार्यवाही को रोक दिया गया है.
मामले की पृष्ठभूमिविंग कमांडर सेहरावत के खिलाफ आरोप 31 दिसंबर, 2023 से शुरू होते हैं, जब एक महिला फ्लाइंग ऑफिसर ने उन पर श्रीनगर में ऑफिसर्स मेस में नए साल की पूर्व संध्या पर आयोजित पार्टी के दौरान यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. बाद में उसने अधिकारियों द्वारा घटना को छुपाने के लिए लगातार उत्पीड़न और प्रयास करने का आरोप लगाया.
इसके बाद, 8 सितंबर, 2024 को बडगाम पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (2) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई, जो किसी अधिकारी द्वारा किए गए गंभीर बलात्कार से संबंधित है. जम्मू और कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने इससे पहले 10 अक्टूबर और 16 अक्टूबर, 2024 को बडगाम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) द्वारा पारित दो आदेशों को रद्द कर दिया था. ये आदेश वायु सेना अधिनियम, 1950 की धारा 124 के आह्वान से संबंधित थे, जो यह निर्धारित करता है कि किसी सैन्य अधिकारी पर नागरिक अदालत में मुकदमा चलाया जाना चाहिए या कोर्ट-मार्शल द्वारा.
जस्टिस जावेद इकबाल वानी ने 33 पन्नों के फैसले में कहा कि वायुसेना अधिनियम की धारा 124 को जांच पूरी होने और आरोप पत्र दाखिल होने के बाद ही लागू किया जा सकता है. अदालत ने कहा कि इस धारा को समय से पहले लागू करने से जांच प्रक्रिया में बाधा आ सकती है और धारा 125 के तहत मजिस्ट्रेट के अधिकार सीमित हो सकते हैं.
हाईकोर्ट ने एसआईटी को अपनी जांच जारी रखने की अनुमति दी थी, यह सुनिश्चित करते हुए कि मामला सैन्य न्यायाधिकरण को हस्तांतरित होने के बजाय नागरिक क्षेत्राधिकार में रहे. इस फैसले को चुनौती देते हुए विंग कमांडर सहरावत ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अगली सूचना तक एफआईआर से जुड़ी सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी.
अब मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी, जब केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और अन्य प्रतिवादियों से जवाब मिल जाएगा. इस बीच, सहरावत अग्रिम जमानत पर हैं, जिसे जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने 13 सितंबर, 2024 को जांचकर्ताओं के समक्ष अनिवार्य उपस्थिति और यात्रा प्रतिबंधों सहित शर्तों के साथ मंजूर किया था.
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