महिला जज के साथ कोर्ट में बदतमीजी करने वाला वकील सजा कम करवाने के लिए पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

Must Read

<p style="text-align: justify;">सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (10 जून, 2025) को एक वकील की वह याचिका खारिज कर दी जो दिल्ली की एक अदालत में महिला जज के साथ अभद्र और अपमाजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए सुनाई गई 18 महीने की जेल की सजा के खिलाफ दायर की गई थी.</p>
<p style="text-align: justify;">जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने दिल्ली हाईकोर्ट के 26 मई के फैसले के खिलाफ वकील संजय राठौर की अपील खारिज कर दी. हाईकोर्ट ने महिला न्यायिक अधिकारी की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए वकील को सुनाई गई सजा को कम करने से इनकार कर दिया. बेंच ने अदालती कार्यवाही के दौरान वकील की अपमानजनक टिप्पणियों का हवाला देते हुए पूछा, ‘इस तरह एक महिला न्यायिक अधिकारी न्यायिक कार्यों का निर्वहन कैसे कर सकती है?'</p>
<p style="text-align: justify;">वकील कथित तौर पर यातायात चालान से संबंधित अपने मामले की सुनवाई स्थगित होने से नाराज थे और उन्होंने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के खिलाफ अपमानजनक और अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के साथ ही अदालत कक्ष में हंगामा भी किया. अपने कृत्यों के कारण बहुत कुछ सहने का हवाला देते हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट से नरमी बरतने का आग्रह किया, लेकिन कोर्ट उसकी दलीलों से प्रभावित नहीं हुआ.</p>
<p style="text-align: justify;">बेंच ने कहा, ‘नहीं. कुछ नहीं किया जा सकता. हमें मामले की प्रकृति देखनी होगी. यहां एक महिला न्यायिक अधिकारी के साथ न्यायालय में दुर्व्यवहार किया गया.’ हाईकोर्ट ने वकील की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि लैंगिकता के आधार पर दुर्व्यवहार के माध्यम से न्यायाधीश को धमकाने या डराने वाला कोई भी कार्य न्याय पर ही हमला है.</p>
<p style="text-align: justify;">हाईकोर्ट ने 26 मई को कहा, ‘जब किसी न्यायिक अधिकारी की गरिमा को अभद्र शब्दों के इस्तेमाल से ठेस पहुंची जो संदेह से परे साबित हो चुके हैं, तो कानून को उस धागे की तरह काम करना चाहिए जो उसे रफू करे और दुरुस्त करे.’ वकील की सजा को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट ने आदेश की तारीख से 15 दिन के भीतर उन्हें आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया और कहा कि यह केवल व्यक्तिगत दुर्व्यवहार नहीं था, बल्कि ऐसा मामला था जिसमें खुद न्याय के साथ अन्याय हुआ.</p>
<p style="text-align: justify;">इसमें कहा गया कि एक न्यायाधीश जो कानून की निष्पक्ष आवाज का प्रतीक हैं, अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करते समय व्यक्तिगत हमले का निशाना बन गईं. हाईकोर्ट ने कहा, ‘जब एक महिला न्यायाधीश न्यायालय के किसी अधिकारी, जो इस मामले में एक अधिवक्ता हैं, की ओर से व्यक्तिगत अपमान और अनादर का निशाना बनती हैं, तो यह न केवल एक व्यक्तिगत गलती को दर्शाता है, बल्कि उस प्रणालीगत स्थिति को दर्शाता है जिसका महिलाओं को कानूनी प्राधिकार के उच्चतम स्तरों पर भी सामना करना पड़ता है.</p>

india, india news, india news, latest india news, news today, india news today, latest news today, latest india news, latest news hindi, hindi news, oxbig hindi, oxbig news today, oxbig hindi news, oxbig hindi

ENGLISH NEWS

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -