खुद को मुगलों की वंशज बताने वाली महिला की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. सुल्ताना बेगम ने दिल्ली के लाल किला पर कब्ज़ा मांगा था. उनका कहना था कि 1857 में अंग्रेज़ों ने गलत तरीके से उसे हथिया लिया था. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने याचिका पर हैरानी जताते हुए कहा, ‘आपने सिर्फ लाल किला क्यों मांगा? फतेहपुर सीकरी भी मांग लेतीं. बाकी इमारतों को क्यों छोड़ दिया?’
सुल्ताना बेगम ने 2021 में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर लाल किला खुद को सौंपे जाने की मांग की थी. उन्होंने अपने आप को आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के पड़पोते की विधवा बताया था. हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी थी. जज ने कहा था, ‘अगर इन बातों को सही मान भी लिया जाए, तो भी 164 साल के बाद किए जा रहे किसी दावे पर विचार नहीं किया जा सकता.’
याचिकाकर्ता ने इसके ढाई साल बाद हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील दाखिल की. हाई कोर्ट की डबल बेंच ने दिसंबर, 2024 में यह कहते हुए अपील को ठुकरा दिया कि सिविल मामलों में अपील दायर करने की एक समय सीमा होती है. लगभग 900 दिनों के बाद दाखिल अपील विचार योग्य नहीं है.
इस फैसले के खिलाफ सुल्ताना बेगम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सुनवाई के दौरान जजों के रुख को देखते हुए यह साफ हो गया कि वह हाई कोर्ट की डबल बेंच के आदेश को बरकरार रखेंगे. ऐसे में उनके वकील ने अनुरोध किया कि याचिका को सिर्फ देरी के आधार पर खारिज माना जाए. लेकिन चीफ जस्टिस ने इस अनुरोध की अस्वीकार करते हुए इसे तथ्यों के आधार पर खारिज कर दिया. यानी भविष्य में सुल्ताना बेगम के लिए दोबारा लाल किले पर दावा कर पाना संभव नहीं हो सकेगा.
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