आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुनी. लालू ने ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले के मुकदमे पर रोक की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनकी याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है. पहले वहां अपनी बात रखें.
29 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने मुकदमे पर रोक से मना कर दिया था. हालांकि, एफआईआर निरस्त करने की उनकी याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया था. यानी लालू की याचिका अभी हाई कोर्ट में लंबित है.
मामला रेलवे के पश्चिम मध्य जोन में ग्रुप डी की नौकरियों से जुड़ा है. आरोप है कि 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहते लालू ने नौकरी के बदले जमीनें लीं. उन्हें अपने परिवार और सहयोगियों के नाम ट्रांसफर करवाया. मई 2022 में दर्ज एफआईआर में लालू के अलावा उनकी पत्नी और परिवार के कुछ और सदस्यों के भी नाम हैं.
अपनी याचिका में लालू ने निचली अदालत की कार्रवाई रोकने की मांग की थी. उन्होंने एफआईआर निरस्त करने और 2022, 2023 और 2024 में दाखिल 3 चार्जशीट को रद्द करने की मांग भी की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने सुनवाई से मना कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हम सिर्फ यही कह सकते हैं कि हाई कोर्ट आपकी याचिका का जल्द निपटारा करे. साथ ही, हाई कोर्ट अंतिम फैसला लेते समय पहले की गई अपनी टिप्पणियों पर ध्यान न दे.’ सुप्रीम कोर्ट ने लालू के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के अनुरोध पर उन्हें निचली अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी.
लालू की दलील है कि एफआईआर 14 साल की देरी से दर्ज हुई. मामले में पहले भी प्राथमिक जांच हुई थी, जिसे बंद कर दिया गया था. भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 17A में संबंधित अधिकारी से अनुमति के बाद ही केस की व्यवस्था है. उसका उल्लंघन हुआ है. इसका विरोध करते हुए सीबीआई के लिए पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि लालू का मामला इस धारा के तहत नहीं आएगा.
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